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अन्याय और अत्याचार को ख़त्म करने के लिए हुआ था श्री कृष्ण का जन्म : राजेश खुराना

संजय सागर

आगरा। द्वापर युग में युगपुरूष के रूप में असमान्य शक्तियों के साथ श्री कृष्ण ने भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी को रोहणी नक्षत्र में मध्यरात्री में कंश के कारागृह में जन्म लिया और अत्याचार का नाश किया। कृष्ण जन्माष्टमी त्योहार हिंदु धर्म के परंपरा को दर्शाता है व सनातन धर्म का बहुत बड़ा त्योहार है, अतः भारत से दूर अन्य देशों में बसे भारतीय भी इस त्योहार को धूम-धाम से मनाते हैं। श्री कृष्ण को सनातन धर्म से संबंधित लोग अपने ईष्ट के रूप में पूजते है। इस वजह से उनके जीवन से जुड़ी अनेकों प्रसिद्ध घटनाओं को याद करते हुए उनके जन्म दिवस के अवसर को उत्सव के रूप में धूम धाम से मनाते हैं।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर आगरा स्मार्ट सिटी, भारत सरकार के सलाहकार सदस्य, उत्तर प्रदेश अपराध निरोधक लखनऊ के सचिव व हिन्दू जागरण मंच, ब्रज प्रान्त उ.प्र.के प्रदेश संयोजक तथा आत्मनिर्भर एक प्रयास के चेयरमैन व सुप्रशिद्ध समाज सेवक राजेश खुराना ने श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पावन अवसर आप सभी प्रियजनों को हार्दिक बधाई श्री कृष्ण आप सभी के जीवन को खुशियों से भर दें। उन्होंने सभी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि भगवान श्री कृष्‍ण की कृपा आप और आपके पूरे परिवार पर सदा बनी रहे। संकट में जब कोई हाथ और साथ दोनों ही छोड़ देता हैं तब भगवान श्री कृष्ण कोई न कोई उंगली पकड़ने वाला भेज देते हैं, इसी का नाम क़ुदरत हैं। इसलिए सदा मुस्कुराते रहिये। भगवान श्री कृष्ण को कर्म योगी कहा जाता है और उनकी सारी शिक्षा कर्म के इर्द-गिर्द ही घूमती है। भगवान कृष्ण ने गीता में भी कहा है। कर्मण्येवाधिकारस्ते मां फलेषु कदाचन अर्थात कर्म करो और फल की इच्छा मत करो, मुझे मत मानो मेरी मानो। भगवान कृष्ण से वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण का विश्व से पूरी तरह से खात्मा करने की प्रार्थना की। जैसा के हम जानते हैं कि
श्री कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव का महत्व बहुत व्यापक है व हमारे सभ्यता व संस्कृति को दर्शाता है। युवा पीढ़ी को भारतीय सभ्यता, संसकृति से अवगत कराने के लिए, इन लोकप्रिय तीज-त्योहारों का मनाया जाना अति आवश्यक है। हम सभी को इन पर्वों में रुचि लेना चाहिए और इनसे जुड़ी प्रचलित कथाओं को जानना चाहिए। यह सनातन धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, अतः इस दिवस पर अनेक लोगों द्वारा उपवास भी रखा जाता है। भारत के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में कृष्ण जन्माष्टमी का विभिन्न स्वरूप देखने को मिलता है। दही हांडी की प्रथा मुख्य रूप से महाराष्ट्र और गुजरात से संबंध रखता है। जब दुष्ट कंस द्वारा अत्याचार स्वरूप सारा दही और दुध मांग लिया जाता था। इसका विरोध करते हुए श्री कृष्ण ने दुध-दही कंस तक न पहुंचाने का निर्णय लिया। इस घटना के उपलक्ष्य में दही हांडी का उत्सव मटके मे दही भरकर मटके को बहुत ऊचाई पर टांगा जाता है तथा फिर युवकों द्वारा उसे फोड़ कर मनाया जाता है। वैसे तो जन्माष्टमी का त्योहार विश्व भर में मनाया जाता है, पर मथुरा और वृदावन में प्रमुख रूप से मनाया जाता है। यहां कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर रासलीला का आयोजन किया जाता है। देश-विदेश से लोग इस रासलीला के सुंदर अनुभव का आनंद उठाने आते हैं। देश भर के कृष्ण मंदिरों में दिल्ली का एस्कॉन मंदिर प्रसिद्ध है। इस दिवस की तैयारी मंदिर में हफ्तों पहले से शुरू कर दी जाती है, उत्सव के दिन विशेष प्रसाद वितरण तथा भव्य झांकी प्रदर्शन किया जाता है। जिसे देखने और भगवान कृष्ण के दर्शन हेतु विशाल भीड़ एकत्र होती है। इस भीड़ में आम जनता के साथ देश के जाने माने कलाकार, राजनीतिज्ञ तथा व्यवसायी भगवान कृष्ण के आशिर्वाद प्राप्ति की कामना से पहुंचते हैं। 

श्री खुराना ने आगे बताया कि श्री कृष्ण का जन्म मथुरा के राजा कंस के कारागार में हुआ था। श्री कृष्ण के जन्म दिवस के रूप में हर वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष को कृष्ण जन्माष्टमी पर्व हर्षोल्लास के साथ पूरे भारत में मानाया जाता है। इसके अलावा बांग्लादेश के ढांकेश्वर मंदिर, कराची, पाकिस्तान के श्री स्वामी नारायण मंदिर, नेपाल, अमेरिका, इंडोनेशिया, समेत अन्य कई देशों में एस्कॉन मंदिर के माध्यम से विभिन्न तरह से मनाया जाता है। यह भारत के विभिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न तरह से मनाया जाता है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी देश के सभी मंदिरों को फूलों तथा अन्य सजावट की सामग्री के सहायता से कुछ दिन पहले से सजाना प्रारम्भ कर दिया जाता है। मंदिरों में कृष्ण के जीवन से जुड़े विभिन्न घटनाओं को झांकी का रूप दिया जाता है। इस अवसर पर भजन कीर्तन के साथ-साथ नाटक तथा नृत्य भी आयोजित किए जाते हैं। श्री कृष्ण हिंदुओं के आराध्य के रूप में पूजे जाते हैं इस कारणवश भारत के अलग-अलग क्षेत्र में कोई दही हांडी फोड़ कर मनाता है, तो कोई रासलीला करता है। इस आस्था के पर्व में भारत देश भक्ति में सराबोर हो जाता है। वर्ष के अगस्त या सितम्बर महिने में, श्री कृष्ण के जन्म दिवस के अवसर पर कृष्ण जन्माष्टमी, भारत समेत अन्य देशों में मनाया जाता है। यह एक आध्यात्मिक उत्सव तथा हिंदुओं के आस्था का प्रतीक है। इस त्योहार को दो दिन मनाया जाता हैं। ऐसा माना जाता है नक्षत्रों के चाल के वजह से साधु संत (शैव संप्रदाय) इसे एक दिन मनाते हैं, तथा अन्य गृहस्थ (वैष्णव संप्रदाय) दूसरे दिन पूजा अर्चना उपवास करते हैं। कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर हफ्तों पहले से बाज़ार की रौनक देखते बनती है, जिधर देखो रंग बिरंगे कृष्ण की संदुर मन को मोह लेने वाली मूर्तियां, फूल माला, पूजा सामग्री, मिठाई तथा सजावट के विविध समान से मार्केट सज़े मिलते हैं। एक के बाद एक राक्षसों (पूतना, बघासुर, अघासुर, कालिया नाग) के वध से उनकी शक्ति और पराक्रम का पता चलता है। अत्यधिक शक्तिशाली होने के उपरांत (बाद) भी, वह सामान्य जनों के मध्य सामान्य व्यवहार करते, मटके तोड़ देना, चोरी कर माखन खाना, ग्वालो के साथ खेलना। कंस के वध के बाद कृष्ण द्वारकाधीश का उपदेश देकर अर्जुन को जीवन के कर्तव्यों का महत्व बताया और युद्ध में विजय दिलाया। कृष्ण के कारागृह में जन्म लेने के वजह से देश के ज्यादातर थाने तथा जेल को कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर सजाया जाता है तथा यहां पर्व का भव्य आयोजन किया जाता है। श्री कृष्ण के कार्यों के वजह से महाराष्ट्र में विट्ठल, राजस्थान में श्री नाथजी या ठाकुर जी, उड़ीसा में जगन्नाथ तथा इसी तरह विश्व भर में अनेक नामों से पूजा जाता है। उनके जीवन से सभी को यह प्रेरणा लेने की आवश्यकता है की चाहे जो कुछ हो जाए व्यक्ति को सदैव अपने कर्म पथ पर चलते रहना चाहिए। पुनः श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन अवसर आप सभी प्रियजनों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें। श्रीकृष्ण जी आप सभी के जीवन को खुशियों से भर दें।

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