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"राजनेताओ को महान बनने का शौक है लेकिन नेल्सन मंडेला जैसीे तपस्या, त्याग और निष्ठां कहाँ से लाएंगे ?"

संजय सागर

आगरा। नेल्सन मंडेला को सफलताओं से मत आंकिये बल्कि जितनी बार गिरे और गिरकर उठे उस बल पर आंकिये। आजकल राजनेताओ को महान बनने का शौक है लेकिन नेल्सन मंडेला जैसीे तपस्या, त्याग और निष्ठां कहाँ से लाएंगे ? अपने लोगो को बराबरी व सम्मान देने की खातिर नेल्सन मंडेला 30 साल तक जेल में बंद रहे। दुनिया भर ने साउथ अफ्रीका की निंदा और बहिष्कार किया लेकिन वो ठस से मस नहीं हुए। आप अंदाज़ लगाये एक व्यक्ति अपने जीवन में एक उम्र कैद भी बड़ी मुश्किल से भोग पाता है,लेकिन नेल्सन मंडेला ने अपने एक ही जीवन में अपने लोगो को बराबरी व सम्मान देने की खातिर दो - दो उम्र कैद भोगी, ऐसे थे सर नेल्सन मंडेला।

इस संदर्भ में उत्तर प्रदेश स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष विनोद इलाहाबादी ने नेट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार अपने वक्तव्य में बताया कि आखिरकार दुनिया के दबाव मे 1991 में नेल्सन मंडेला को रिहाई मिली और जब वो रिहा हुए तो दक्षिण अफ्रीका की गोरी सरकार के साथ - साथ दुनिया भर में ये उत्सुकता थी कि वो अपना क्या स्टैंड लेंगे ? क्या वो जेल से बाहर आकर बदले की भावना से काम करेंगे या फिर कुछ और ? जानते है नेल्सन मंडेला ने 30 साल कैद भोगने के बाद बाहर आने पर सबसे पहले क्या कहा..? उन्होंने कहा कि अब हमें पुरानी बातों को छोड़ कर सभी दुःख दर्द भूल एक नयी शुरुआत करनी होगी। मुझे अब अपने अतीत को नहीं खंगलाना है। नई शुरुआत ही नए देश को जन्म देगी। इतना कह कर ही उन्होंने गोरों और कालो की बरसो बरस चली आ रही वैमनस्यता को समाप्त कर दिया और एक नये दक्षिण अफ्रीका का जन्म हुआ। महान लोग कौन होते है ? वो कैसे बनते है ? महान लोग वो होते है, जो बंधी बंधाई लकीर को तोड़ कर आउट ऑफ कंटेंट जाकर देश हित में फैसले लेते है, वो अपनी निज़ता अपने सिद्धान्त देश हित में ही समाहित करते है। उनके देश का हित ही उनका अपना हित होता है। वो अपने को देश से बड़ा नहीं मानते, वो देश से ऊपर किसी को नहीं मानते। नेल्सन मंडेला महात्मा गांधी से प्रभावित थे। वो कहते थे कि जब भी मुझे निराशा ने घेरा मैंने उनके जीवन से प्रेरणा पायी और उसी के बल पर मैं जिन्दा रहा। महानता जय जय कार करने से चाटुकारिता से नही उपजती, वो महानता कृत्रिम है, नकली है। महानता वो होती है जिसको कह कर स्वयं को गौरव अनुभव हो। भारत के अधिकाँश राजनेताओ को महान बनने का शौक है लेकिन मंडेला जैसीे तपस्या त्याग और निष्ठां कहाँ से लाएंगे ? पिछले साल प्रधानमंत्री मोदी जी ने पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को भारत के नेल्सन मंडेला की उपाधि से नवाजा था। किस आधार पर ? कि वो आज़ाद भारत में सबसे ज्यादा जेल जाने वाले नेता रहे। ज्यादातर उनकी राजनीति और कार्यशैली भावुकता पर ही आधारित रही है। नरेंद्र मोदी जी भी इससे अछूते नहीं है। भारत में नेल्सन मंडेला पैदा नहीं होते यहाँ अब नेल्सन मंडेला बनाये जाते है या फिर घोषित किये जाते है। नेल्सन मंडेला बनने के लिए 360 डिग्री जैसा घुमाव अपने जीवन में लाना पड़ता है और यहाँ का पोलिटिकल मैटीरियल तो पाँच साल से आगे का नहीं सोचता लेकिन जिन्दा कौमो के "महान" लोग अपने मुल्क के वास्ते आने वाले 100 साल 200 साल आगे का सोचते हैं। अब नेल्सन मंडेला बनाये नहीं जा सकते क्योंकि वो तो राष्ट्रहित के अचार, विचार संस्कार और देशभक्ति से प्रेरित होते हैं।

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