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भूपेंद्र चौधरी: मुलायम सिंह के विरुद्ध चुनाव लड़कर चर्चा में आए थे भूपेंद्र चौधरी, हार के बाद भी मिली थी नई पहचान

मुरादाबाद मंडल के संभल लोकसभा चुनाव में 1999 के दौर में सपा और मुलायम सिंह का जबर्दस्त प्रभाव था। मुस्लिम बहुल सीट पर भाजपा को एक प्रत्याशी की तलाश थी जो मुलायम सिंह के कद के सामने कुछ ठहर सके।

सपा नेता मुलायम सिंह यादव के विरुद्ध भाजपा को जब संभल से कोई प्रत्याशी नहीं सूझा तो उन्होंने भूपेंद्र सिंह को प्रत्याशी बना दिया। चुनाव नतीजा तो तय था पर इस चुनाव में हारने के बाद भी भूपेंद्र सिंह ने चर्चा काफी पा ली। इसके बाद वह किसी चुनाव में नहीं उतरे। मुरादाबाद मंडल के संभल लोकसभा चुनाव में 1999 के दौर में सपा और मुलायम सिंह का जबर्दस्त प्रभाव था। मुस्लिम बहुल सीट पर भाजपा को एक प्रत्याशी की तलाश थी जो मुलायम सिंह के कद के सामने कुछ ठहर सके। कई नामों पर चर्चा के बाद भूपेंद्र सिंह का नाम फाइनल किया गया। पार्टी का आदेश हुआ तो भूपेंद्र सिंह इनकार नहीं कर सके।

मुलायम सिंह चुनाव जीते पर भूपेंद्र सिंह को इस चुनाव के बाद भी प्रदेश में एक अलग पहचान मिल गई थी। इसके बाद वह 2016 में एमएलसी बने। 2017 में वह योगी सरकार में पहले राज्य मंत्री बनाए गए इसके बाद योगी पार्ट 1 में ही कैबिनेट मंत्री पंचायतराज विभाग बन गए। योगी सरकार टू में भी उन्हें यही फोलियो मिला और एमएलसी भी दोबारा पार्टी ने बनाया दिया। साल दर साल पार्टी में उनका विश्वास जमता चला गया। 

विवादों से सदैव दूरी बना कर रखी

मुरादाबाद में गुटबाजी बहुत रही इसके बाद भी गुटबाजी से भूपेंद्र सिंह विवादों में नहीं पड़े। हमेशा विवादों से बच कर निकलते रहे। उनकी ताजपोशी में भूपेंद्र सिंह की निर्विवाद छवि भी कम महत्वपूर्ण नहीं है।लोकसभा चुनाव 2019 में भी पार्टी ने जाट बेल्ट में भूपेंद्र सिंह को जिम्मेदारी सौंपी। मेरठ मंडल के कई क्षेत्रों में वह चुनाव के दौरान रहे। रोलोद के गढ़ बागपत में भी समय दिया। 2022 के विधानसभा चुनाव में किसान आंदोलन की आंच से पार्टी को बचाने के लिए उन्हें जिम्मेदारी दी और इस टेस्ट में भी वह पास हो गए। मुरादाबाद, मेरठ और सहारपुर मंडल में पार्टी ने उन्हें कई जगह भेजा और इसमें वह खरे भी उतरे।

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