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ट्रायल रन में वंदे भारत एक्सप्रेस ने तोड़े सारे रिकॉर्ड, 180 किमी/घंटे की पकड़ी रफ्तार

आपको बता दें कि इस ट्रेन के दूसरे चरण का ट्रायल रन कोटा-नागदा सेक्शन पर शुरू हुआ। रेलवे के मुताबिक, ट्रायल रन पूरा होने के बाद इसकी रिपोर्ट रेलवे सेफ्टी कमिश्नर को भेजी जाएगी।

केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को अपने ट्विटर हैंडल से एक वीडियो शेयर किया है। इसमें वंदे भारत एक्सप्रेस (Vande Bharat) जिसे ट्रेन-18 के नाम से भी जाना जाता है, ने ट्रायल रन के दौरान 180 किमी प्रति घंटे की गति सीमा को तोड़ दिया। यह रेलवे के लिए एक नई कामयाबी है। वीडियो शेयर करते हुए अश्विनी वैष्णव ने ट्विटर पर लिखा, "वंदेभारत-2 का स्पीड ट्रायल कोटा-नागदा सेक्शन के बीच 120/130/150 और 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से शुरू हुआ।"

वंदे भारत वर्तमान में शताब्दी एक्सप्रेस की जगह लेगा। आपको बता दें कि इस ट्रेन की क्षमता 200 किमी प्रति घंटे की रफ्तार की है। हालांकि, इसके लिए अनुकूल ट्रैक और ग्रीन सिग्नल हो। नई वंदे भारत में 16 कोचों के साथ शताब्दी एक्सप्रेस के समान यात्री ले जाने की क्षमता होगी। इसमें दोनों सिरों पर ड्राइवर केबिन हैं। वंदे भारत एक्सप्रेस पूरी तरह से वातानुकूलित ट्रेन है। यह ट्रेन यात्रियों को आरामदायक और सुरक्षित यात्रा प्रदान करती है।

आपको बता दें कि इस ट्रेन के दूसरे चरण का ट्रायल रन कोटा-नागदा सेक्शन पर शुरू हुआ। रेलवे के मुताबिक, ट्रायल रन पूरा होने के बाद इसकी रिपोर्ट रेलवे सेफ्टी कमिश्नर को भेजी जाएगी। सुरक्षा आयुक्त से हरी झंडी मिलने के बाद नई वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन दूसरे नए रूट पर चलने लगेगी। सूत्रों ने बताया कि नई ट्रेन अहमदाबाद और मुंबई के बीच चलाई जा सकती है।

सूत्रों के अनुसार, नई ट्रेनों में यात्रा को सुरक्षित और अधिक आरामदायक बनाने के लिए ऑटोमेटिक फायर सेंसर, सीसीटीवी कैमरे और जीपीएस सिस्टम लगे होंगे। इन ट्रेनों की अधिकतम गति 180 किमी/घंटा तक है। ICF ने अगस्त 2023 तक 75 वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण का लक्ष्य रखा है।

पिछली ट्रेनों की तुलना में हल्के डिब्बे होने के कारण नई ट्रेनों में यात्रा करना अधिक आरामदायक होगा। कोच स्टेनलेस स्टील के बने होते हैं। वजन कम होने के कारण यात्री तेज रफ्तार में भी ज्यादा सहज महसूस करेंगे। इसके अलावा, इस नई ट्रेन में पायलट द्वारा संचालित ऑटोमेटिक गेट हैं। इसकी खिड़कियां चौड़ी हैं। सामान रखने के लिए भी जगह ज्यादा है। सूत्रों का कहना है कि ट्रेन के कुछ हिस्सों को छोड़कर अधिकांश हिस्से "मेड इन इंडिया" हैं।

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