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बीमारी, ईडी के छापे और साथ छोड़ते अपने, कब खत्म होंगे कांग्रेस के दुख

कांग्रेस पार्टी में मचे घमासान के बीच शुक्रवार को गुलाम नबी आजाद ने भी इस्तीफा देकर नया बवाल खड़ा कर दिया है। आजाद पहले सीनियर नेता नहीं हैं जो इस्तीफा दिए हैं। इससे पहले कई नेता साथ छोड़ चुके है।

कांग्रेस पार्टी के लिए सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे बाद अब यही कहा जा सकता है कि भारत जोड़ो यात्रा शुरू करने से पहले, कांग्रेस नेतृत्व को कांग्रेस जोड़ो का अभ्यास करना चाहिए। गुलाम नबी आजाद, जिनकी पार्टी में गिनती एक दमदार नेताओं में होती थी, लेकिन अब उनके इस्तीफे ने पार्टी नेतृत्व पर बड़ा सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। 

पिछले कुछ महीने में कपिल सिब्बल, अश्विनी कुमार और सुनील जाखड़ के पार्टी से जाने के साथ-साथ पार्टी कई और कारणों से भी लड़खड़ाती हुई नजर आई है। एक तरह से कह सकते हैं कि पहले सीनियर नेताओं का इस्तीफा फिर खराब स्वास्थ्य (सोनिया गांधी) और ईडी की छापेमारी, कांग्रेस के लिए बुरी खबर की कमी नहीं रही है।

बीमार स्वास्थ्य

सोनिया गांधी, जिन्हें 2019 में राहुल गांधी के पद छोड़ने के बाद बागडोर संभालने के लिए कहा गया था, पिछले कुछ समय से बीमारी से जूझ रही हैं। इस महीने दूसरी बार वो कोविड पॉजिटिव पाई गईं थीं। 75 साल की सोनिया गांधी को कोरोना वायरस से संक्रमित होने और ठीक होने के बाद जून में कोविड संबंधित दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। अस्पताल में भी भर्ती रहीं। यहां तक मेडिकल जांच के लिए सोनिया गांधी को अब इंग्लैंड जाना पड़ा है। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी उनके साथ हैं।

ईडी की छापेमारी

नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय ने 23 जून को सोनिया गांधी और राहुल गांधी को तलब किया था। पार्टी के दो टॉप के नेताओं को ईडी की ओर से तलब किए जाने कार्यकर्ताओं ने विरोध भी किया फिर भी दोनों नेताओं से करीब 50 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की गई। इसके बाद हेराल्ड भवन नें छापेमारी की गई और उसके एक हिस्से को सील भी किया गया था। कांग्रेस पार्टी के स्वामित्व वाले नेशनल हेराल्ड अखबार के प्रधान कार्यालय और 11 अन्य स्थानों पर छापेमारी हुई। समाचार पत्र एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) द्वारा प्रकाशित किया जाता है और यंग इंडियन के स्वामित्व में है।

पार्टी नेतृत्व और सीनियर नेताओं के बीच विरोधाभास

जब कांग्रेस एकजुट मोर्चा बनाने की कोशिश का उल्टा ही खामियाजा भुगतना पड़ा। इस साल मई में पार्टी के सीनियर लीडर और सुप्रीम कोर्ट के वकील कपिल सिब्बल पार्टी का साथ छोड़ समाजवादी पार्टी के समर्थन से एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में राज्यसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया और जीत भी मिली। सिब्बल प्रभावी रूप से ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद, आरपीएन सिंह जैसे कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं की एक लंबी सूची में शामिल हो गए। वहीं, सुष्मिता देव, सुनील जाखड़ और हार्दिक पटेल, जिन्होंने पार्टी की जमीनी स्तर पर उपस्थिति की कमी से लेकर उसके नेतृत्व की कमियों तक के कारणों का हवाला देते हुए साथ छोड़ दिया।

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