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यौन शोषण को छिपाते और दोषियों को बचाते रहे चर्च अधिकारी

जर्मनी के ट्रियर डायोसिज के अधिकारियों ने कैथोलिक पादरियों के हाथों यौन उत्पीड़न को दशकों तक छुपाये रखा. इस मामले में बनाये एक स्वतंत्र आयोग की अंतरिम जांच रिपोर्ट में यह बात सामने आई...

गुरुवार को जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि यौन उत्पीड़न करने वालों को डायोसीज के भीतर और कैथोलिक संस्थाओं में दूसरी जगहों पर भेजा गया. रिपोर्ट के मुताबिक इसके पीछे एक वजह इन पादरियों को कानूनी कार्रवाइयों से बचाना भी था. डायोसीज चर्च प्रशासन की एक ईकाई है जिसमें एक बिशप के अंतर्गत आने वाले अधिकार क्षेत्र को शामिल किया जाता है.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इन पादरियों ने नई जगहों पर जाकर भी नाबालिगों और बच्चों का बार बार यौन उत्पीड़न करते रहे. आयोग ने डायोसीज की आलोचना करते हुए कहा है कि वह "बहुत से मामलों में" प्रमुख पीड़ितों को संरक्षण देने के उपाय करने में नाकाम रहा.

यौन शोषण के गंभीर मामले

रिपोर्ट में खासतौर से दो गंभीर मामलों का जिक्र किया गया है. इनमें से एक मामले में यौन उत्पीड़न की कई घटनाओं के बाद एक पादरी के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी हुआ, मगर डायोसीज ने विशेष दखलंदाजी करके उस पादरी को पराग्वे भेज दिया. 

इसी तरह एक और पादरी को ऑस्ट्रिया में बच्चे के यौन शोषण मामले में दोषी करार दिये जाने के बाद भी डायोसीज में एक पद पर नियुक्त कर दिया गया. नियुक्ति के बाद पादरी ने फिर नाबालिगों का यौन शोषण करने में अपने पद का दुरुपयोग किया.

रिपोर्ट में कहा गया है कि ये मामले दिखाते हैं कि अपराध करने वालों को "जिम्मेदारी से संभाला" नहीं गया. 

यौन शोषण और दोषियों को बचाने के मामलों में अलग अलग बिशपों और दूसरे अधिकारियों की खास भूमिका का पता लगाने के लिये आयोग अभी और आगे जांच करेगा. ट्रियर के पूर्व बिशप बर्नहार्ड स्टाइन के दौर में हुए दुर्व्यवहार के मामलों की जांच रिपोर्ट अक्टूबर के मध्य तक पूरी होने की उम्मीद है. पूरी जांच में छह साल का समय लगने की योजना बनी है और इसे शुरू हुए अभी एक साल से थोड़ा ज्यादा हुआ है. 

195 दोषी और 513 पीड़ित

अब तक की जांच में ही 195 दोषियों और 513 पीड़ितों का पता चल गया है. यौन शोषण के ये मामले 1946 से लेकर 2021 के बीच के हैं. जांच आयोग में प्रभावित लोगों और विशेषज्ञों समेत कुल सात सदस्य हैं. पीड़ितों की संख्या अभी और बढ़ने के आसार हैं खासतौर से ट्रियर यूनिवर्सिटी के साथ मिल कर की जा रही स्टडी में.

पादरियों के हाथों यौन शोषण की घटनायें बहुत लंबे दौर में हुई हैं. बहुत से दोषियों ने यौन शोषण के साथ ही पद का दुरुपयोग करने के आरोपों को स्वीकार भी किया है. सितंबर 2018 में जर्मन बिशप्स कांफ्रेंस ने यौन दुर्व्यवहार के बारे में एक रिपोर्ट जारी की थी. इसमें ट्रियर डायोसीज के 442 पीड़ितों की पहचान की गई थी और ये मामले 2014 तक के थे.

कैथोलिक चर्चों से जुड़े यौन शोषण के मामले पिछले दशकों में कई जगहों पर सामने आये हैं. चर्च प्रशासन पर इन मामलों की जांच और दोषियों के खिलाफ ढिलाई के आरोप भी लगते रहे हैं.

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