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छत्तीसगढ़ के सरगुजा में वक्त पर खाना नहीं बनाने पर माता-पिता ने नाबालिग बेटी की हत्या को दिया अंजाम

पुलिस द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक अपनी ही बेटी के हत्या के आरोपियों ने वारदात को अंजाम देने के बाद पुलिस को गुमराह करने के लिए गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई। लेकिन पुलिस की जांच में पूरी सच्चाई सामने आ गई।

अंबिकापुर, एजेंसियां: छत्तीगढ़ के सरगुजा जिले में एक माता-पिता ऐसे भी हैं जिन्होंने अपनी ही बेटी को मौते के घाट उतार दिया। 12 साल की बच्ची का कसूर सिर्फ इतना था कि वो वक्त पर अपने मां-बाप के खाना न दे सकी। इससे गुस्साए बच्ची के माता-पिता ने उसकी हत्या कर, शव जंगल में दफना दिया।

मामले में पुलिस द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक अपनी ही बेटी के हत्या के आरोपियों ने वारदात को अंजाम देने के बाद पुलिस को गुमराह करने के लिए गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई। लेकिन पुलिस की जांच में पूरी सच्चाई सामने आ गई, हत्या के आरोप में पुलिस ने दंपत्ति को गिरफ्तार कर लिया है। साथ ही दोनों ने बेटी की हत्या करने की बात भी कबूल कर ली है। पुलिस की पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि बेटी द्वारा वक्त पर खाना नहीं बनाने और घर में मवेशियों को चारा नहीं देने के बाद गुस्से में आकर उन्होंने हत्या की वारदात को अंजाम दिया।

पुलिस द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक हत्या की वारदात को जून के महीने में अंजाम दिया गया था। लेकिन आरोपियों की गिरफ्तारी पिछले सोमवार को संभव हो पाई है। वो लगातार पुलिस को गुमराह कर रहे थे। पुलिस ने बताया की आरोपी 28 जून को जब अपने घर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि उनकी बेटी ने खाना नहीं बनाया था और उनके बैलों को चारा भी नहीं दिया। इससे नाराज होकर उन्होंने अपनी बेटी को डंडे से पीटा, जिसके दौरान लड़की जमीन पर गिर गई और उसका सिर एक पत्थर से टकरा गया। जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

हत्या के बाद आरोपी ने अपनी बेटी की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई जिसके बाद पुलिस ने उसकी तलाश शुरू की। बाद में 26 अगस्त को, लड़की के पिता ने खुद पुलिस से संपर्क किया और उन्हें बताया कि उनकी बेटी का क्षत-विक्षत शव जंगल में पड़ा मिला है और उसने उसकी पहचान कपड़ों और चप्पलों से की है। हालांकि पूछताछ के दौरान पूरा मामला साफ हो गया।

 

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