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दुनियाभर की सरकारों को निशाना बना रहे चीनी हैकर, एडवांस पर्सिस्टेंट थ्रेट के नाम से है इनकी पहचान

चीन के एपीटी हैकर समूह अपने जासूसी के एजेंडे को हासिल करने के लिए असामान्य मालवेयर टूल्स का इस्तेमाल करते हैं। पकड़ में आने से बचने के लिए वे हमले की रणनीति लगातार बदलते रहते हैं। चीन के ये जासूसी अभियान उसकी पंचवर्षीय विकास योजनाओं से जुड़े हुए हैं।

बीजिंग, एजेंसियां: चीन के सरकार समर्थित हैकर समूह दुनियाभर में सरकारी संस्थानों और कंपनियों को निशाना बना रहे हैं। इन्हें एडवांस पर्सिस्टेंट थ्रेट (एपीटी) के नाम से जाना जाता है और ये एक दशक पुराने समूह हैं। इंडो-पैसिफिक सेंटर फार स्ट्रैटजिक कम्युनिकेशंस (आइपीसीएससी) में फेलो रिसर्चर ग्रुहा बोस ने लिखा है कि वर्तमान में सक्रिय एपीटी41 और एपीटी27 सबसे पुराने और खतरनाक समूह हैं जिन्होंने देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने की क्षमताएं प्रदर्शित की हैं।

 

चीन के एपीटी हैकर समूह अपने जासूसी के एजेंडे को हासिल करने के लिए असामान्य मालवेयर टूल्स का इस्तेमाल करते हैं। पकड़ में आने से बचने के लिए वे हमले की रणनीति लगातार बदलते रहते हैं। चीन के ये जासूसी अभियान उसकी पंचवर्षीय विकास योजनाओं से जुड़े हुए हैं। इन समूहों को उनकी गतिविधियों, लक्षित क्षेत्रों और सरकार में उन्हें किसका समर्थन है, इसके आधार पर नंबर दिए गए हैं।

इस क्षेत्र से जुड़ी कंपनी मैंडिएंट की रिपोर्ट के मुताबिक चीन के कुछ एपीटी हैं: एपीटी1 (पीएलए यूनिट 61398), एपीटी2 (पीएलए यूनिट 61486), एपीटी4 (मावेरिक पांडा, स्कीपाट ग्रुप, विस्प), एपीटी16, एपीटी26, एपीटी27, एपीटी40, एपीटी41 (डबल ड्रैगन, विन्टी ग्रुप, बैरियम या एक्सीओम), एपीटी30, एपीटी31.. इनमें से प्रत्येक एपीटी ने किसी खास साल की अपनी गतिविधि में लक्षित सरकारी संस्थानों एवं कंपनियों से रणनीतिक राष्ट्रीय सुरक्षा का लाभ उठाने में अहम भूमिका निभाई है।

उदाहरण के तौर पर एपीटी26 ने एरोस्पेस, रक्षा एवं ऊर्जा क्षेत्र को लक्ष्य बनाया, जबकि एपीटी16 का फोकस जापान और ताइवान की हाईटेक, सरकारी सेवाओं, मीडिया और वित्तीय सेवाओं से जुड़ी कंपनियां थीं। डबल ड्रैगन के नाम से कुख्यात एपीटी41 जासूसी के साथ साइबर अपराध में भी लिप्त है। एपीटी41 वित्त आधारित गतिविधियों में लिप्त है जो वीडियो गेम उद्योग को निशाना बनाता है। फायरआइ इंटेलिजेंस रिपोर्ट के मुताबिक एपीटी41 ने पिछले सात साल में 14 देशों में संगठनों को निशाना बनाया है जिनमें फ्रांस, भारत, इटली, म्यांमार, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, स्विटजरलैंड, जापान, नीदरलैंड, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड, तुर्किये, अमेरिका और ब्रिटेन शामिल हैं।

 

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