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आइआइटी बीएचयू ने खोजी दूषित जल के शोधन की विधि, ज्वालामुखी की राख से बनी मिट्टी में भारी धातुओं को अवशोषण की क्षमता

आइआइटी बीएचयू के विज्ञानियों ने बेंटोनाइट क्ले (ज्वालामुखी की राख से बनी मिट्टी) की मदद से दूषित पानी से कापर निकिल और जिंक जैसे भारी धातुओं को निकालने में सफलता पाई है। यह मिट्टी भारी धातुओं को लगभग 90 प्रतिशत अवशोषित कर जल को उपयोग योग्य बना सकती हैं।

जागरण संवाददाता, वाराणसी : आइआइटी बीएचयू के विज्ञानियों ने बेंटोनाइट क्ले (ज्वालामुखी की राख से बनी मिट्टी) की मदद से दूषित पानी से कापर, निकिल और जिंक जैसे भारी धातुओं को निकालने में सफलता पाई है। विज्ञानियों ने अपने शोध में पाया कि त्वचा का सौंदर्य निखारने के लिए मुल्तानी मिट्टी की तरह इस्तेमाल होने वाली बेंटोनाइट क्ले में जल में घुले जहरीले भारी धातुओं को अवशोषित करने की क्षमता है।

यह मिट्टी भारी धातुओं को लगभग 90 प्रतिशत अवशोषित कर जल को उपयोग योग्य बना सकती हैं। जर्नल आफ एन्वायरमेंटल केमिकल इंजीनियरिंग में प्रकाशित यह शोध व्यावसायिक स्तर पर भी दूषित जल को शुद्ध करने का सहज उपाय साबित होगा।

आइआइटी बीएचयू के स्कूल आफ बायोकेमिकल इंजीनियरिंग के सहायक प्रोफेसर डा. विशाल मिश्र ने बताया कि बेंटोनाइट क्ले भारी धातुओं की बेहतर अवशोषक होती है। उन्होंने बेंटोनाइट क्ले में सामने घाट से ली गई मिट्टी और लकड़ी के बुरादे को मिलाकर गोलियां बनाईं। इनमें से कुछ गोलियों को धूप में सुखाया और कुछ गोलियों को भट्ठी में पकाया। इसके बाद उन्हें अलग-अलग भारी धातुओं से युक्त दूषित जल में डाला। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक की मदद से उन्होंने पाया कि भट्ठी में सुखाई गई गोलियों ने 90 प्रतिशत तक भारी धातुओं को अवशोषित कर पानी को शुद्ध कर दिया। धूप में सुखाई गई गोलियों में भी भारी धातुओं को अवशोषित करने की पर्याप्त क्षमता होती है, लेकिन वे कुछ देर बाद गलने लगती हैं। इस शोध से जल को काफी सस्ते में शुद्ध करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।

एक लीटर पानी में आठ गोली ही काफी

डा. मिश्र बताते हैं कि एक लीटर पानी को साफ करने के लिए तापीय रूप से सुखाई गई आठ गोलियां काफी हैं। एक गोली की कीमत दो रुपये पड़ती है। डा. मिश्र ने इस शोध के पेटेंट के लिए आवेदन कर दिया है। इसके औद्योगिक उपयोग के लिए कई कंपनियां संपर्क में हैं। शोध में पीएचडी कर रही ज्योति सिंह और विकलांगों के लिए एकीकृत संस्थान करौंदी (आइडीडी) की छात्रा सर्वांशी स्वरूप भी शामिल थीं।

क्या है बेंटोनाइट क्ले

ज्वालामुखी की राख से बनाई जाने वाली बेंटोनाइट क्ले में कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम और सिलिकेट जैसे तत्व पाए जाते हैं। एंटी बैक्टीरियल के साथ इसमें मृत त्वचा को हटाने वाले गुण पाए जाते हैं। यह त्वचा की एलर्जी, सूजन, संक्रमण, मुंहासों व एक्जिमा जैसी दिक्कतों को दूर करने के काम भी आती है। इसका प्रयोग पूरी दुनिया की कास्मेटिक इंडस्ट्री में किया जाता है।

 

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