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कार्यक्रम को सफल बनाने को डा. हीरा लाल ने बताए तीन मुख्य बिंदु

इंडिया समाचार 24

आगरा। नाको और उत्तर प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी द्वारा होटल जेपी पैलेस में टारगेटेड इंटरवेंशन परियोजना की तीन दिवसीय समीक्षा बैठक आयोजित हो रही है। गुरुवार को  समीक्षा बैठक में  डा. हीरा लाल, अपर परियोजना निदेशक, उ.प्र. राज्य एड्स नियन्त्रण सोसाइटी द्वारा तीन मुख्य बातें कही गई।

उन्होंने कहा    हमारा समस्त कार्यक्रम गवर्नेंस से सम्बन्धित होता है। हम सभी लोग अपेक्षित परिणाम प्राप्त किये जाने के लिए परियोजनाओं का क्रियान्वयन करते है। हमारी व्यवस्थाएं एवं प्रक्रियाएं बदलती रहनी चाहिए क्योंकि समय के साथ गतिविधियाँ एवं कार्यक्रम लगातार बदल रहे हैं। स्थिर व्यवस्था से अपेक्षित परिणाम प्राप्त नहीं किए जा सकते हैं। उन्होने कहा कि हमे अपने दिमाग में फिट हो चुके स्थायी ढांचे के साफ्टवेयर को बदलते रहना चाहिए। 

डा. हीरा लाल दूसरे बिंदु में कहा- यूनाइटेड नेशंस द्वारा निर्धारित किये गये आठ सूचकांकों क्रमशः ‘‘भागीदारी, सर्वसम्मति उन्मुख, उत्तरदायित्व, पारदर्शिता, जिम्मेदारी, प्रभावी और किफायती, न्यायसंगत और समावेशी तथा कानून के शासन का अनुपालन’’ इन सभी पर कार्य करना होगा। हमें अपने प्रत्येक कार्यक्रम में इन 8 सूचकांकों को लागू करना होगा, तभी हम लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं। अभी तक इस तरह के सूचकांकों पर समीक्षा नहीं की जाती थी, इसलिए हमें अपेक्षित परिणाम नही मिलते थे। लेकिन इस समीक्षा बैठक के पश्चात एक नया प्रयास करना होगा, यदि हम अपने लक्ष्य तक पहुॅचना चाहते हैं। 


डा. हीरा लाल तीसरे बिंदु में कहा कि टीआई कार्यक्रम-लक्षित हस्तक्षेप परियोजना विभिन्न स्वयं सेवी संगठनों (एनजीओ) के माध्यम से लागू किया जाता है। एनजीओ इस परियोजना की रीढ हैं। इनको हर तरह से मजबूत करना और मोबिलाइज करना हमारी मजबूरी नहीं जरूरत है। इनको विभिन्न प्रकार से प्रोत्साहित करना होगा। इसके लिए प्रत्येक प्रदेश के सबसे अच्छे एनजीओ को नाको द्वारा राज्य स्तर पर पुरस्कृत किया जाना चाहिए। माह में एक बार वेबिनार के माध्यम से बारी-बारी से अच्छा कार्य करने वाले एनजीओ को वार्ता का सुअवसर देना चाहिए, जिससे कि इनकी बेस्ट प्रैक्टिस का प्रचार-प्रसार पूरे देश में किया जा सके। इसी प्रकार इस प्रक्रिया को राज्यों द्वारा भी किया जाना चाहिए। जिससे कि स्वयं सेवी संगठनों के मध्य आगे बढने की एक अच्छी प्रतिस्पर्धा कायम हो सके और कार्यक्रम की गुणवत्ता में आशातीत एवं अपेक्षित परिणाम प्राप्त हो सके।

अन्त में डा. हीरा लाल ने कहा कि हम जो काम करते हैं उसे अब नये ढंग से करने की जरूरत है। डू द सेम थिंग डिफ्रेंली, इस मंत्र को हम सभी को अपनाना होगा, क्योंकि बहुत तेजी से बदलते परिवेश में यह हमारी जरूरत ही नहीं समय की मांग है। एनजीओ को अपने परिवार का सबसे मजबूत सदस्य समझा जाना चाहिए और इन्हे लगातार प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इससे हमारी रीढ़ मजबूत होगी और हमारी सफलता अपेक्षानुसार हमारे हाथों में होगी।

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