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कैसे रूस की 4 महीने की मेहनत को यूक्रेन ने चार दिन में किया बेकार

यूक्रेन ने दावा किया है कि उसने खारकीव प्रांत के बड़े हिस्से पर दोबारा अधिकार कर लिया है और रूस की सेना को खदेड़ दिया है। रूस ने भी माना है कि उसने खारकीव से सैनिकों को पीछे हटने केलिए कहा है।

यूक्रेन पर रूस के हमले को 6 महीने बीत चुके हैं। इस दौरान रूस ने यूक्रेन में बड़ा नुकसान किया है। वहीं यूक्रेन ने रूस की सेना के सामने हार नहीं मानी और अब दावा किया है कि खारकीव से उसने रूसी सेना को खदेड़ दिया है। यूक्रेन का दावा है खारकीव के अलावा रूस की सीमा से 50 किलोमीटर पहले तक बड़े इलाके पर यूक्रेनी सेना ने अपना अधिकार पा लिया है। बता दें कि लगभग चार महीने पहले रूस ने खारकीव शहर पर कब्जा किया था और दावा किया था कि अब पूरे यूक्रेन पर जीत हासिल करने में अब देर नहीं है। 

रूस ने भी माना यूक्रेन का दावा, पुतिन की फजीहत!
रूस के रक्षा मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि वह यूक्रेन के खारकीव में दो जगहों से अपने सैनिकों को वापस बुला रहा है। न्यूज एजेंसी के मुताबिक रूस ने खारकीव प्रांत के इज्यूम शहर के आसपास के क्षेत्र को छोड़ने का ऐलान कर दिया है। हालांकि रूस के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि सैनिकों को हटाकर दोनेस्क के अभियान में भेजा जा रहा है। 

जानकारों का कहना है कि यूक्रेन ने रूसी सेना से दर्जनों कस्बों और गांवों को मुक्त करा लिया है और अब रूसी सैनिक भागकर पूर्व की तरफ चले गए हैं। रूसी एक्सपर्ट निकोले मित्रोकिन ने अल जजीरा को बताया, चार दिन के अंदर ही यूक्रेन ने रूसी सेना की चार महीने की मेहनत बर्बाद करके रख दी। हालांकि लुहांस्क के अलगाववादी इसपर सवाल खड़ा करते हैं। उनका कहना है कि जिस आसानी से यूक्रेन अपने क्षेत्रों पर पुनः अधिकार करने का दावा कर रहा है वह संभव नहीं है। उनका कहना है कि जो तस्वीरें भी सामने आई हैं उनमें किसी तरह की बड़ी लड़ाई नहीं देखी गई है। 

रूस ने भेज दिए थे नौसिखिए सैनिक?
रूस के रक्षा विशेषज्ञ यूरी फायो दोरोव ने नोवाया गजेता डेली में लिखा, रूस के जो सैनिक खारकीव में तैनात किए गए थे उनकी ट्रेनिंग बहुत बुरी ती। उन्हें युद्ध का अनुभव ही नहीं था। आम लोगों को भी यहां भेज दिया गया था। वे अपने जीवन को खतरे में क्यों डालते। पहले भी इस तरह का दावा किया गया था कि रूस पैसे की लालच देकर अनट्रेंन्ड लोगों को भी यूक्रेन लड़ने के लिए भेज रहा था। 

कैदियों को भी युद्ध में भेजा गया
एक मानवाधिकार संगठन ने दावा किया था कि रूस ने 7 हजार से 10 हजार कैदियों को भी लड़ने भेज दिया था। रूस को इस बात का अंदाजा नहीं था कि यूक्रेन इस तरह से टक्कर लेगा और युद्ध इतना लंबा खिंचेगा। रूस को झटके पर झटका लगा और फिर उसे सेना को बढ़ाने के लिए कैदियों को भी लड़ाई में भेजना पड़ा। उनके पास युद्ध का और हथियारों का चलाने का अनुभव नहीं था। 

रूस को लुहान्स्क और दोनेत्स्क के रास्ते हथियार और रसद सप्लाई होती है। रूस यूक्रेन के दूसरे बडे़ शहर खारकीव पर यहीं से हमला किया करता था। लेकिन अब यूक्रेन ने रूस की सीमा पर भी कई चेकपोस्ट पर कब्जा कर लिया है। इससे रूस की सप्लाई लाइन भी प्रभावित हो सकती है। दावा किया गया था कि इज्यूम शहर में ही रूस के हमले की वजह से और जरूरी चीजों और सेवाओं की कमी की वजह से हजारों की संख्या में आम नागरिक मारे गए। 

खारकीव में पानी और बिजली का संकट
खारकीव के बड़े इलाके को यूक्रेन ने मुक्त कराने का दावा किया है। हालांकि रविवार को रूस ने शहर में गोलीबारी की थी। इसके बाद कई जगहों पर आग लग गई। पावर प्लांट भी आग का शिकार गया। इसके बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने कहा है कि कुछ दिनों तक संकट बना रह सकता है। हालांकि इसका हल जल्द ही निकाला जाएगा। 

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