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उषा ने गाय के गोबर को बनाया रोजगार का माध्यम, 100 से अधिक परिवारों को दिया काम

Motivational Story कोरोना में रोजगार गंवाने वाली उषा आज 100 से अधिक परिवारों को रोजगार दे रही हैं। उन्होंने गाय के गोबर को अपना नया रोजगार का माध्यम बनाया है। फिलहाल वह गाय के गोबर से 10 लाख दीये तैयार करवा रही हैं।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। मां ब्रह्मचारिणी यानी शक्ति का वह रूप जो अभीष्ट पाने को कठिनतम तप करती हैं। जोरबाग की रहने वाली उषा गुप्ता और उनके साथ कार्य कर रही अन्य महिलाएं मां के इसी स्वरूप का साक्षात उदाहरण हैं। घरेलू झगड़ों से परेशान उषा ससुराल छोड़कर खुद को साबित करने के लिए 2017 में अंबाला से दिल्ली आईं। मन में एक दृढ़ संकल्प था कि खुद का काम करूंगी।

कोरोना में छिन गया था रोजगार

उषा ने कथक नृत्य की कक्षाएं लेकर जीवनयापन शुरू किया था, लेकिन कोरोना में यह रोजगार छिन गया। अक्टूबर 2021 में उनकी माता का देहांत हो गया। उन्हें मजबूरन अंबाला लौटना पड़ा। विपरीत हालात में भी उषा ने हार नहीं मानी। उन्होंने गाय के गोबर को रोजगार का माध्यम बनाया।

उषा के मुताबिक, एक दिन वह केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के गाय के गोबर से रोजगार शुरू करने के लिए दिए जा रहे प्रशिक्षण के लेक्चर सुन रही थीं। इसके बाद उन्होंने गोबर से उत्पाद तैयार करने के लिए दिन-रात इंटरनेट मीडिया खंगाला। गोशालाओं में जाकर काम किया और फिर नागपुर से उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण लिया।

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शुरुआती दिनों में खुद ही गाय का गोबर एकत्र कर अलग-अलग उत्पाद बनाने शुरू किए। फिलहाल वह गाय के गोबर से 10 लाख दीये तैयार करवा रही हैं, जिन्हें दीपावली से पहले दुबई भेजना है।

100 से अधिक परिवारों को दिया रोजगार

उषा ने उत्तराखंड और गुजरात में भी प्रशिक्षण लिया। ट्रेनिंब के बाद वह दोबारा दिल्ली आईं और गोशालाओं से संपर्क किया। मशीनों के लिए इंजीनियरिंग के छात्रों की सहायता ली। उन्होंने गीता कालोनी के गोशाला में गायों के गोबर से उत्पाद बनाने शुरू कर दिए। उन्होंने इस काम में 100 से अधिक परिवारों को रोजगार दिलाया।

गोबर से गमले, मूर्ति, दीये, अगरबत्ती, खड़ाऊ, नेम प्लेट समेत 56 उत्पाद बनाए जा रहे हैं। उषा दिल्ली की नौ गोशालाओं से देशी गायों का 40 टन गोबर प्रति माह लेती हैं और फिर उत्पाद बनवाती हैं। वह हर गोशाला में आठ परिवारों को रहने के लिए आग्रह करती हैं।

महिलाएं गोबर से कंडे बनाती हैं। उषा इन्हें खरीदती हैं। उषा ने आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की 19 महिलाओं को उत्पाद तैयार करने की ट्रेनिंग दी है। वह अपने उत्पादों को मेलों में और ऑनलाइन बेचती हैं।

 

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