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अब गंगा-जमुनी तहजीब के पैरोकार कहाँ

डॉ.बचन सिंह सिकरवार

गत दिनों ऑल इण्डिया इमाम आर्गनाइजेशन के चीफ इमाम डॉ.उमेर अहमद इलियासी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आर.एस.एस.) के सर संघ चालक डॉ.मोहन भागवत को अपने यहाँ मस्जिद में बुलाने तथा उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ और ‘राष्ट्रऋषि’ कहे जाने पर जिस तरह इंग्लैण्ड, पाकिस्तान समेत देश के अलग-अलग जगहों से फोन ‘तन सर से जुदा’ करने की धमकियाँ मिल रही हैं, वह उन मजहबी कट्टरपंथियों का दुःसाहस ही माना जाएगा। कोई उनसे यह पूछे कि आखिर डॉ.इलियासी ने ऐसा कौन-सा गुनाह/जुल्म कर दिया,जिसके लिए उन्होंने उनके लिए ‘सर तन से जुदा किये जाने की सजा तजवीज की है। वैसे क्या इन कट्टरपंथियों को यह मालूम नहीं है कि खुलेआम वे एक ऐसे शख्स का गला काट मारने की धमकी दे रहे हैं, जो अब उस संगठन के सर्वेसर्वा के सम्पर्क में हैं, जिसकी देश की सŸाा तक सीधी पहुँच है। लेकिन इस अत्यन्त गम्भीर मसले पर गंगा-जमुनी तहजीब का राग अलापने वालों की खामोशी बेहद खल रही है। वैसे सार्वजनिक सभाओं और टी.वी.चैनलों पर बैठ कर संविधान और पंथनिरपेक्षता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की दुहाई देने वाले सियासी नेता, मुल्ला, मौलवी, इमाम, इस्लामिक स्कॉलर कुछ नहीं बोल रहे हैं। अगर ऐसा कुछ किसी हिन्दू संगठन के नेता ने कहा होता, तो उस पर लानत-मजम्मत करने वालों की लाइन लग जाती। इतना ही नहीं, इन सबकी नीति और नीयत का इससे भी पता चलता है कि इनमें से किसी ने भी मुस्लिम धर्मगुरु डॉ.उमेर अहमद इलियासी के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघ चालक डॉ.मोहन भागवत से मस्जिद और मदरसे में आने न्योता भेजने और उनसे मुलाकात करने की पहल का स्वागत/खैरमखदम नहीं किया , बल्कि इनमें से कुछ उस पर ऐतराज करने से भी बाज नहीं आए। दरअसल, ये लोग उनकी इस पहल को अपने मंसूबों पर पानी फिरता देख रहे हैं। अगर चीफ इमाम डॉ.इलियासी ही आर.एस.एस. को अच्छा-सच्चा होने और मुसलमान का दोस्त होने का प्रमाणपत्र/सर्टिफिकेट देने लगे थे, तो उनकी मुसलमानों को संघ का हौवा दिखाने की सियासत ही खत्म हो जाएगी? उस हालत में ये मुसलमानों को कैसे डराएँगे? अब इनमें से कोई भी अभिव्यक्ति स्वतंत्रता की बात भी नहीं कर रहा है। क्या कोई बातएगा कि उन्होंने डॉ.मोहन भागवत को आमंत्रित कर कौन-सा गुनाह कर दिया, जो इनमें उस इमाम ऑर्गनाइजेशन के एक इमाम ने भी आकर अपने चीफ इमाम का बचाव में एक दलील तक देने की जहमत नहीं उठायी। ऐसे में उन्हें सर तन से जुदा की धमकी देने वाले इस्लामिक कट्टरपंथियों की मजम्मत करने उम्मीद कैसे की जा सकती है? अब वामपंथी, उदारवादी साहित्यकार, लेखक, पत्रकार, अभिनेता, अभिनेत्री, गीतकार न जाने कहाँ किसी बिल में छुप गए है,जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर हिन्दू देवी-देवताओं के अनुचित/अश्लील चित्रण,उनके विषय में अभद्र टिप्पणियों की तरफदारी करते आए हैं।
वस्तुतःइस विवाद की शुरुआत इसी 22 सितम्बर को तब हुई,जब ऑल इण्डिया इमाम ऑर्गनाइजेशन के चीप इमाम डॉ.उमेर अहमद इलियासी द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक डॉ.मोहन भागवत को कस्तूर गाँधी मार्ग,नई दिल्ली स्थित मस्जिद में आमंत्रित किया, जिसके वह मुख्य इमाम हैं। फिर वे उन्हें लेकर पुरानी दिल्ली के बाड़ा हिन्दूराव स्थित 74साल पुराने मदरसा ताजबीदूल कुरान’ लेकर गए। उस दौरान डॉ. मोहन भागवत के साथ सहकार्यवाह डॉ.कृष्ण गोपाल, सम्पर्क प्रमुख रामलाल,मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मार्गदर्शक इन्द्रेश कुमार भी थे। जहाँ ये सभी दो घण्टे रहे।उस दौरान मदरसा ‘वन्देमातरम्, भारत माता की जय के नारों से गुंजायमान होता रहा। चाय नाश्ता करने के बाद डॉ.भागवत ने मदरसों के छात्रों से संवाद किया। जब उन छात्रों ने उनसे डॉक्टर, इंजीनियर, आर्किटेक्ट, शिक्षक,चार्टर्ड एकाउण्टेण्ट बनने की इच्छा व्यक्त की, तब डॉ.भागवत ने उन्हें बताया कि मदरसा शिक्षा से यह सब सम्भव नहीं है।इसके लिए यहाँ आधुनिक शिक्षा व्यवस्था को होना जरूरी है,ताकि छात्रों के सपने पूरे हो सकें।इससे मदरसों की असलियत और उनमें पढ़ने वालों के सपने भी सबके सामने आ गए,निश्चय ही इससे उन कट्टरपंथियों को बुरा लगा होगा,जो मदरसों के सर्वे के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं।
फिलहाल, डॉ.इलियासी को सर तन से जुदा की धमकी ने एक बार फिर इस्लामिक कट्टरपंथियों और गंगा-जमुनी तहजीब का ढोल पीटने वालों का असली चेहरा दुनिया के सामने ला दिया है।सम्भवतःइस तहजीब के माने हिन्दुओं का धार्मिक भावनाओं की अनदेखी,उपेक्षा, अवमानना है। हकीकत यह है कि अपने देश में इस्लामिक कट्टरपंथी नहीं,कथित पंथनिरपेक्ष राजनीतिक दलों के नेता भी नहीं चाहते,कि हिन्दू -मुस्लिम धर्मगुरुओं के बीच अविश्वास और मतभेद की दीवारें गिरें।उनके मध्य मेल-मिलाप बढ़े। इसके साथ ही सरकार को भी डॉ.इलियासी समेत देश के दूसरे लोगों को सर तन से जुदा के धमकी देने वालों को गिरफ्तार उन्हें नमूना सजा देनी चाहिए,ताकि भविष्य में कोई किसी को ऐसी धमकी देने की जुर्रत न करे।

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