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प्यारे जरा तो मन में विचारो, क्या साथ लाए और ले चलोगे

आगरा

आगरा। भगवान सूर्य बुद्धि को तीक्ष्ण बनाते हैं। बुद्धि तत्व में प्रखरता उन्हें प्रिय है। यही कारण है कि सत्संगति तथा कथा वाचन करने वाले लोग उनकी विशेष कृपा पाते हैं। जिस प्रकार श्रीहरि ब्राह्मणों को भोजन कराने से प्रसन्न होते हैं, उसी प्रकार सूर्य देव कथा वाचन से संतुष्ट होते हैं।' भगवान सूर्य देव की यह महिमा भागवत कीर्तिकार डॉक्टर दीपिका उपाध्याय ने आज कथा के दूसरे दिन सुनाई। श्री गोपाल जी धाम, आगरा में चल रही श्री भविष्य पुराण कथा का आज दूसरा दिन था।

 शांत रस प्रधान कीर्तन 'प्यारे जरा तो मन में विचारो' की स्वर लहरियों के साथ सुर मिलाते भक्त बड़े ही स्थिर चित्त होकर कथा का रसपान कर रहे थे। गृहस्थों के कर्तव्य बताते हुए प्रख्यात भागवत कीर्तिकार डॉक्टर दीपिका उपाध्याय ने गृहस्थों के लिए अनिवार्य पांच महायज्ञ के विषय में बताया। उन्होंने कहा कि अध्ययन एवं अध्यापन करना अर्थात शिक्षा प्राप्त करना और शिक्षा प्रदान करना ब्रह्म यज्ञ है। पितरों के निमित्त तर्पण आदि कर्म करना पितृ यज्ञ है। बलिवैश्वदेव कर्म भूत यज्ञ है। अतिथियों का स्वागत सत्कार अतिथि यज्ञ है। प्रत्येक गृहस्थ के यहां यह पाँच महायज्ञ होने से सुख शांति और संपन्नता बनी रहती है।

 आगे तिथियों का महत्व बताते हुए कथावाचक ने बताया कि जिस देवता की जो तिथि है उस पर उनका पूजन करना विशेष फलदायी होता हैं लेकिन वर्तमान समय में लोग तिथि का महत्व भूलते जा रहे हैं। तिथि का स्थान अंग्रेजी के दिनांक ने ले लिया है। अपनी संस्कृति से यह दूरी अनुचित है। 

तिथि का फल बताते हुए कथावाचक ने नाग पंचमी की कथा सुनाई कि किस प्रकार नाग माता कद्दू के छल के कारण गरुड़ जी की माता विनता को दासी बनना पड़ा। यहां तक कि जब नागों ने अपनी माता को छल करने से रोकना चाहा तो माता के श्राप के कारण उन्हें नष्ट भी होना पड़ा। वरदान और श्राप दोनों ही पुण्य फलों का क्षय करते हैं इसलिए ऋषि मुनि कहते हैं कि वरदान और श्राप देने से संतों को भी बचना चाहिए।

 भगवान सूर्य की तेजस्विता तथा उसके सकारात्मक प्रभाव के कारण ही एक बार दैत्यों ने भगवान सूर्य का हरण करने की ठान ली। जब देवताओं को यह पता चला तो उन्होंने आपसी सहमति कर भगवान सूर्य की रक्षा के लिए बारह तेजस्वी देवता विविध रूपों में उनके मंडल में स्थापित कर दिए। सब दिशाओं में स्थित क्षिप्र योद्धा के समान ये देवता दुष्टों को त्रास देते हैं तथा भक्तों को अभय दान। सूर्य मंडल में स्थित यह 12 देवता सदैव सूर्य के ही साथ रहते हैं।

 इसके साथ ही कथावाचक ने भगवान सूर्य की पूजा में प्रयुक्त होने वाले फल फूलों तथा अन्य सामग्री के वैज्ञानिक एवं प्राकृतिक महत्व को बताया। गुरुदीपिका योगक्षेम फाउंडेशन के तत्वावधान में चल रही यह भविष्य पुराण कथा 7 दिनों तक चलेगी। रविवार 9 अक्टूबर को भगवान सूर्य के दिव्य सहस्रार्चन के साथ कथा का समापन होगा। फाउंडेशन की निदेशक वारिजा चतुर्वेदी ने सहस्रार्चन में अधिक से अधिक लोगों से सहभागिता करने की अपील की है।

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