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गुरुदीपिका योगक्षेम फाउण्डेशन के माध्यम से दिया वनस्पतियों के संरक्षण का सुंदर संदेश

आगरा

आगरा। 'कनेर का पुष्प भगवान सूर्य को विशेष प्रिय हैं। यदि कनेर के 1000 पुष्पों से भगवान सूर्य की अर्चना की जाए तो सूर्य देव को सहज ही प्रसन्न किया जा सकता है। यह बताता है कि कम पानी से युक्त भूमि में भी पौधारोपण करना कितना आवश्यक है। भूमि को बंजर होने से बचाने का संदेश देते हैं भगवान सूर्य। जहां अधिकांश देवताओं के पूजन में कमल पुष्प का प्रयोग होता है वहीं सूर्यदेव कनेर के पुष्पों से भी प्रसन्न हो जाते हैं और संदेश देते हैं कि हमें थोड़ा सा प्रयास करके धरती के हर क्षेत्र को हरा-भरा रखना चाहिए। लगभग सभी छोटे बड़े पुष्प, सिर्फ तृण यहां तक कि औषधियां अर्पित करके भी हम सूर्यदेव को प्रसन्न कर सकते हैं।'
 यह उद्गार प्रख्यात भागवत कीर्तिकार डॉक्टर दीपिका उपाध्याय ने श्री भविष्य पुराण पर चल रहे प्रवचन में कहे। गुरुदीपिका योगक्षेम फाउंडेशन के तत्वावधान में चल रही श्री भविष्य पुराण कथा का आज तीसरा दिन था।
 श्री कृष्ण पुत्र साम्ब को मिले श्राप की चर्चा करते हुए कथावाचक ने बताया कि जब दुर्वासा ऋषि ने जाम्बवती नंदन साम्ब को उसका रूप नष्ट हो जाने का शाप दिया तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें सूर्यदेव की उपासना करने का आदेश दिया।  सूर्य देव की पूजा एवं तप करने से साम्ब पुनः निरोग हो गए। निरोग होने के उपरांत उन्होंने भगवान सूर्य की प्रतिमा की स्थापना की और भव्य मंदिर बनाएं। द्वादश आदित्य को समर्पित यह मंदिर मित्र वन, जिसे अब मुल्तान प्रांत कहा जाता है, में स्थित थे।
 इसके बाद भगवान सूर्य की कथाओं से युक्त भविष्य पुराण के माहात्म्य का वर्णन किया गया। कथावाचक ने बताया कि सूर्य देव सभी ग्रह नक्षत्रों के राजा हैं। सूर्य देव के प्रसन्न होने से सभी ग्रहों के दुष्प्रभाव कम हो जाते हैं। यही कारण है कि जब धरती, अंतरिक्ष या देवों का कोप होता है तब सूर्य भगवान की उपासना विशेष फलदाई होती है। अशुभ स्वप्न देखने अथवा प्रकृति में उत्पात सूचक लक्षण दिखने पर विधि विधान से सूर्य देव की उपासना करनी चाहिए जिससे धरती पर शांति हो सके।
 कथा के उपरांत निवृत्ति कारक कीर्तन किया गया। श्री गोपाल जी धाम, आगरा में सोमवार से प्रारंभ हुई यह भविष्य पुराण कथा रविवार तक चलेगी। रविवार को भगवान सूर्य का सामूहिक सहस्रार्चन किया जाएगा। इस अवसर पर गुरुदीपिका योगक्षेम फाउंडेशन की निदेशक वारिजा चतुर्वेदी ने लोगों से प्रकृति तथा वनस्पतियों के संरक्षण की अपील की।

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