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युग द्रष्टा थे डॉ हेडगेवार- गजेंद्र

डॉ दिलीप अग्निहोत्री 

लखनऊ। राष्ट्रीय स्वय सेवक संघ की स्थापना विजय दशमी के दिन हुई थी. इस दिवस का प्रतीकात्मक महत्त्व था.  असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक. अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है. संघ संस्थापक ने भी कहा था कि वह कोई नया कार्य नहीं कर रहे हैं. विश्व गुरु और परम वैभवशाली भारत की परम्पर की प्रतिष्ठा कर रहे हैं. भारत में 
जब तक राष्ट्रीय स्वाभिमान की चेतना रही, तब तक आक्रांता इस तरफ देखने का साहस नहीं करते थे. लेकिन राष्ट्रीय एकता और स्वाभिमान कमजोर होने के बाद ही दुष्ट प्रवृत्ति के लोगों का मनोबल बढ़ा.यह बात  गजेंद्र जी क्षेत्र संगठन मंत्री विश्व हिन्दू  परिषद ने कही.वह विवेक खंड गोमती नगर में विजय दशमी उत्सव को संबोधित कर रहे थे.उन्होने कहा कि ऋषि 
विश्वमित्र प्रभु राम और लक्ष्मण जी को आसूरी शक्तियों के उत्पात दिखाने ले गए थे. बाद में  प्रभु राम ने समाज को संगठित करके रावण की सत्ता का अंत किया था. डॉ हेडगेवार स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे. उन्होने 
क्रांतिकारी संगठन और कांग्रेस दोनों में सक्रियता  से कार्य किया. इसके साथ ही वह विश्वगुरु भारत के पराभव के कारणों पर भी विचार करते थे. उनका निष्कर्ष तथ्य परक था. राष्ट्रीय 
संगठन और स्वाभिमान
का क्षरण ही पराभव का 
मूल कारण था.समाज को संगठित और राष्ट्रीय स्वाभिमान को जागृत करने के लिए संघ की स्थापना हुई थी. संघ इसी भावना से कार्य कर रहा है. कुछ संगठन होने मात्र से भारत का का दुनिया में प्रभाव और महत्त्व बढ़ गया है.
रूस और यूक्रेन दोनों कह रहे हैं कि भारत के सहयोग से समस्या का समाधान हो सकता है. अमेरिका के सैकड़ों स्थानों पर विजय दशमी और रावण का पुतला दहन समारोह आयोजित किया जा रहा है.देश के भीतर भी अनेक ऐतिहासिक समस्याओं का समाधान हो रहा है.
इस अवसर पर नगर 
संघचालक महेश शर्मा, नगर कार्यवाह राजीव पंडित,सह नगर कार्यवाह गौरव सिंह के अलावा बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे.

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