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समाजसेवा कभी नहीं जाती व्यर्थ, कोरोना काल में की गयी निस्वार्थ सेवा के लिए डा. विजय किशोर बंसल को अभी तक मिल रहा है सम्मान...

दुनिया में धन- दौलत, संपत्ति को ही विरासत माना जाता है लेकिन विजय किशोर बंसल अपने बाबा रामबाबू बंसल द्वारा छोड़े गये समाज सेवा एवं धार्मिक कार्यों को आगे बढ़ाना ही विरासत मानते हैं। यही नहीं, उनके पिता गिर्राज किशोर बंसल भी अपने व्यवसाय के साथ-साथ धार्मिक एवं सामाजिक कार्यों में दिलचस्पी लेते रहे।

मजदूरी करने वाले लोगों को उनके घरों में कैसे रोका जा सकता है, पुलिस प्रशासन के साथ विमर्श में ये बात निकल कर आई कि इन लोगों को उनके घर पर ही भोजन मुहैया करा दिया जाए तो ये लोग घर से क्यों निकलेंगे। जहां तक वितरण का सवाल था, उसकी जिÞम्मेदारी पुलिस ने ल ेली। पुलिस हर गली, मोहल्ले का पहले ही सर्वे करके ऐसे लोगों की सूची बना चुकी थी, जो रोजी न होने के कारण रोटी को मोहताज हो चुके थे। विजय किशोर बंसल ने मां केला देवी धर्मशाला को पाकशाला में तब्दील करके वहां दिन रात काम करने के लिए हलवाई तैनात कर दिये, ताकि पुलिस प्रशासन की ओर से आने वाली डिमांड को पूरा किया जा सके। पुलिस प्रशासन द्वारा मीडिया  को दानवीरों की उपलब्ध कराई गई लिस्ट में डा. विजय किशोर बंसल का नाम सबसे ऊपर रहा। विजय किशोर बंसल को करीब से जानने वाले उनकी निस्वार्थ समाज सेवा से भली भांति वाकिफ हैं। वे बताते हैं कि विजय किशोर बंसल लंबे समय से आरएसएस से जुड़े हुए हैं। उन्होंने सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल की इच्छा मात्र से ही मथुरा के पांच स्कूलों को गोद लिया हुआ है। इनमें से एक स्कूल में खुद कृष्ण गोपाल जी पढ़े हैं। इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स एडवाइजरी कौंसिल द्वारा जारी सर्टिफिकेट में कहा गया है कि श्री बंसल विषम  परिस्थितियों में भी लॉकडाउन लागू होने के बाद से प्रतिदिन हजारों लोगों को उनके घरों पर भोजन पहुंचा कर कोरोना वायरस का प्रसार रोकने में मददगार साबित हुए।
समाजसेवा को ही मानते हैं विरासत.

दुनिया में धन- दौलत, संपत्ति को ही विरासत माना जाता है लेकिन विजय किशोर बंसल अपने बाबा रामबाबू बंसल द्वारा छोड़े गये समाज सेवा एवं धार्मिक कार्यों को आगे बढ़ाना ही विरासत मानते हैं। यही नहीं, उनके पिता गिर्राज किशोर बंसल भी अपने व्यवसाय के साथ-साथ धार्मिक एवं सामाजिक कार्यों में दिलचस्पी लेते रहे।

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