image

लखनऊ में डेंगू की रफ्तार धीमी पड़ी, घातक बुखार का कहर तेज

राजधानी लखनऊ में लखनऊ में डेंगू की रफ्तार धीमी पड़ गई है। वहीं घातक बुखार का कहर जारी है। बड़ी संख्या में मरीजों को भर्ती करने की जरूरत पड़ रही है।

लखनऊ में डेंगू की रफ्तार धीमी पड़ गई है। वहीं घातक बुखार का कहर जारी है। बुखार सात से 10 दिनों तक मरीजों को बेहाल कर रहा है। तेज बुखार, शरीर में दर्द व जोड़ों में सूजन जैसे गंभीर लक्षण लेकर मरीज अस्पताल आ रहे हैं। बड़ी संख्या में मरीजों को भर्ती करने की जरूरत पड़ रही है। इन मरीजों की पहले हफ्ते की डेंगू, मलेरिया, टायफाइड व चिकनगुनिया की रिपोर्ट भी नेगेटिव आ रही है।

अस्पतालों में बुखार पीड़ित बढ़े
बलरामपुर, लोहिया, सिविल, केजीएमयू, लोकबंधु, रानी लक्ष्मीबाई, महानगर भाऊराव देवरस समेत ज्यादातर अस्पतालों के मेडिसिन विभाग के 90 फीसदी बेड पर बुखार पीड़ित भर्ती हैं। इन अस्पतालों में लगभग 300 बुखार पीड़ित भर्ती हैं। ओपीडी में रोजाना 400 से अधिक बुखार पीड़ित आ रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि 80 फीसदी मरीज वायरल फीवर की चपेट में हैं। रोजाना 50 से अधिक बुखार पीड़ितों को भर्ती करने की जरूरत पड़ रही है।

बुखार आने पर घबराएं नहीं
लोकबंधु अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय शंकर त्रिपाठी के मुताबिक पांच फीसदी बुखार पीड़ित बुखार संग बदन दर्द और जोड़ों में सूजन की शिकायत लेकर आ रहे हैं। जांच रिपोर्ट नेगेटिव आ रही है। लिहाजा लक्षणों के आधार पर मरीजों को दवाएं दी जा रही हैं। बुखार आने पर मरीज घबराएं नहीं। खान-पान पर ध्यान दें। डॉक्टर की सलाह पर ही दवाएं लें।

15 दिन में ठीक हो रही समस्या
केजीएमयू मेडिसिन विभाग के डॉ. केके सावलानी बताते हैं कि बुखार संग शरीर में भीषण दर्द और जोड़ों में सूजन चिकनगुनिया के लक्षण हैं। ज्यादातर मरीज बुखार आने के दो से तीन दिन में डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया समेत दूसरी जांच करा रहे हैं। जबकि चिकनगुनिया की सटीक पहचान बुखार आने के कम से कम एक सप्ताह बाद होती है। लिहाजा डॉक्टर की सलाह पर जांच कराएं। वे बताते हैं कि चिकनगुनिया भी कई मरीजों में देखने को मिला है। डॉ. सावलानी बताते हैं कि डेंगू के मुकाबले चिकनगुनिया कम घातक है। पर, इसमें बदन दर्द बहुत होता है। 10 से 15 दिन में मरीज को राहत मिलती है।

Post Views : 260

यह भी पढ़ें

Breaking News!!