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डॉ. विजय किशोर बंसल को मिली डॉक्टर ऑफ सोशल वर्क की उपाधि 

डीके श्रीवास्तव

आगरा। जब पूरी दुनिया कोरोना के खौफ से घरों में छिपी थी। मानवता कराह रही थी। लोगों के लिए दो वक्त की रोटी तक मुश्किल हो गयी थी। ऐसे समय में डॉ. विजय किशोर बंसल ने लोगों की मदद का बीड़ा उठाया। ताजनगरी के प्रमुख समाजसेवी डॉ. विजय किशोर बंसल ने कोरोना काल में हर गली-मोहल्ले तक सेवा कार्य को पहुंचा दिया। कोरोना के भयावह हाला में डॉ. बंसल ने कैसा कार्य किया। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि आगरा के पुलिस और प्रशासन की ओर से जारी की गयी दानवीरों की सूची में डॉ. विजय किशोर बंसल का नाम सबसे ऊपर था। 
दशकों से सेवा के क्षेत्र में कार्य कर रहे डॉ. विजय किशोर बंसल की उपलब्धियों में एक और उपाधि जुड गयी है। डॉ. विजय किशोर बंसल को साउथ कोरिया की बुसान यूनिवर्सिटी ऑफ फॉरेन स्टडीज ने मानव सेवा के क्षेत्र में किए गए कार्यों के लिए डॉक्टर्स ऑफ सोशल वर्क की उपाधि प्रदान की है। इससे पहले डॉ. बंसल को द अमेरिकन किंग्स यूनिवर्सिटी से डाक्टर ऑफ लेटर, पीस यूनिवर्सिटी से डाक्टर ऑफ लेटर की उपाधि मिल चुकी है। इसके साथ ही इंटरनेशनल यूनिसेफ काउंसिल से यूनिसेफ अवार्ड, डॉ. अब्दुल कलाम अवार्ड, लॉयर्स विजन से कोरोना योद्धा सम्मान, फ्रेंड्स ऑफ गुड हेल्थ से इंटरनेशनल अम्बेसडर ऑफ ह्यू्मैनटी, इंटरनेशनल ह्यूमैन राइट्स से ग्रेट वॉरियर ऑफ ह्यूमैनिटी का सम्मान मिला।

  
संघ से जुड़े है डॉ. बंसल, पांस स्कूल लिए हैं गोद 
डॉ. विजय किशोर बंसल को करीब से जानने वाले उनकी निस्वार्थ समाज सेवा से भली भांति वाकिफ हैं। डॉ. बंसल लंबे समय से आरएसएस से जुड़े हुए हैं। उन्होंने सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल की इच्छा मात्र से ही मथुरा के पांच स्कूलों को गोद लिया हुआ है। इनमें से एक स्कूल में खुद कृष्ण गोपाल जी पढ़े हैं। 

लॉकडाउन में हजारों लोगों को उपलबध कराया भोजन 
इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स एडवाइजरी कौंसिल द्वारा जारी सर्टिफिकेट में कहा गया है कि डॉ. बंसल विषम  परिस्थितियों में भी लॉकडाउन लागू होने के बाद से प्रतिदिन हजारों लोगों को उनके घरों पर भोजन पहुंचा कर कोरोना वायरस का प्रसार रोकने में मददगार साबित हुए। विजय किशोर बंसल ने मां कैला देवी धर्मशाला को पाकशाला में तब्दील करके वहां दिन रात काम करने के लिए हलवाई तैनात कर दिये, ताकि पुलिस प्रशासन की ओर से आने वाली डिमांड को पूरा किया जा सके। 

समाजसेवा को ही मानते हैं विरासत
दुनिया में धन- दौलत, संपत्ति को ही विरासत माना जाता है लेकिन विजय किशोर बंसल अपने बाबा रामबाबू बंसल द्वारा छोड़े गये समाज सेवा एवं धार्मिक कार्यों को आगे बढ़ाना ही विरासत मानते हैं। यही नहीं, उनके पिता गिर्राज किशोर बंसल भी अपने व्यवसाय के साथ-साथ धार्मिक एवं सामाजिक कार्यों में भी आगे रहे।

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