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जी 20 में भारत की बढ़त 

डॉ दिलीप अग्निहोत्री 

विश्व गुरु भारत ने सम्पूर्ण मानवता के लिए वसुधैव कुटुम्बकम का विचार दिया था. किसी अन्य सभ्यता संस्कृति के लिए यह दुर्लभ चिंतन था. इसमें सभ्यताओं के बीच संघर्ष की कोई संभावना नहीं थी. लेकिन कालान्तर में ऐसे संघर्ष का दौर भी चला. दुनिया में शांति और सौहार्द की अभिलाषा रखने वालों को भारतीय विरासत में ही समाधान दिखाई दे रहा है. अन्य कोई विकल्प है भी नहीं.  
यह विषय दुनिया को युद्द मुक्त करने तक ही सीमित नहीं है. भारत ने पृथ्वी सूक्त के माध्यम से मानवता को पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति संवर्धन का भी संदेश दिया. कोरोना काल में भारतीय जीवन-शैली और आयुर्वेदिक को दुनिया में पुनः प्रतिष्ठित किया है. उस समय अपने को विकसित समझने वाले देश भी लाचार हो गए थे. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विश्व कल्याण के द्रष्टिगत दुनिया को भारतीय विरासत से परिचित करा रहे है.उनके प्रयासों से अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है.योग प्रत्येक व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य हेतु बहुत उपयोगी है. नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ऐसे हो मानवीय तथ्यों को दुनिया में स्थापित कर रहा है. विगत आठ वर्षों के दौरान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का  प्रभाव बढ़ा है. जी 20 में भी भारत के विचारों को बहुत महत्व मिलने लगा है. कुछ वर्ष पहले तक यह कल्पना भी मुश्किल थी कि भारत इस संगठन का अध्यक्ष बनेगा. आज यह सहज रूप में सम्भव हुआ है. नरेन्द्र मोदी ने इसे भारत के लिए एक बड़ा अवसर माना है. इसके माध्यम से वह विश्व कल्याण के तथ्यों लोगों को अवगत करा रहे हैं. जी 20 शिखर सम्मेलन का लोगो अपने में एक विचार को अभिव्यक्त करने वाला है. नरेन्द्र मोदी ने भारत की मेजबानी में अगले वर्ष आयोजित होने वाली जी-20 शिखर वार्ता का प्रतीक चिन्ह, मुख्य वाक्य और वेबसाइट का अनावरण किया। विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्था वाले देशों के मंच की शिखर वार्ता भारत में पहली बार आयोजित होगी। जी-20 के प्रतीक चिन्ह में सात पंखुड़ियों वाले कमल के फूल पर गोलाकार विश्व स्थित है। इसके नीचे भारतीय संस्कृति का प्रसिद्ध ध्येय वाक्य 'वसुधैव कुटुम्बकम' अंकित है। साथ ही वन अर्थ,वन फैमिली और वन फ्यूचर को स्थान दिया गया है।मोदी ने कहा कि इस लोगो और थीम के माध्यम से एक संदेश दिया गया है। हिंसा के प्रतिरोध में महात्मा गांधी के जो समाधान हैं। जी 20 के जरिए भारत उनकी वैश्विक प्रतिष्ठा को नई ऊर्जा दे रहा है।
नरेन्द्र मोदी ने संयुक्तराष्ट्र महासभा में भी कहा था कि भारत युद्ध नहीं बुद्ध का देश है. प्रतीक चिन्ह में कमल का फूल भारत की पौराणिक धरोहर, हमारी आस्था और हमारी बौद्धिकता को चित्रित करता है। प्रतीक चिन्ह के कमल की सात पंखुड़ियां दुनिया के सात महाद्वीपों और संगीत के सात स्वरों का प्रतिनिधित्व करती हैं। प्रतीक चिन्ह इस आशा को जगाता है कि दुनिया एक साथ आगे बढ़ेगी। जी-20 का ये लोगो केवल एक प्रतीक चिन्ह नहीं है। ये एक संदेश है। ये एक भावना है, जो हमारी रगों में है। ये एक संकल्प है,जो हमारी सोच में शामिल रहा है। इसमें वसुधैव कुटुम्बकम' के मंत्र की भावना हैं. इसमें पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य के मुख्य वाक्य में प्रतिबिंबित हो रहा है. प्रतीक चिन्ह में कमल इन विपरीत परिस्थितयों में आशा जगाता है। चाहे कितनी भी विपरीत परिस्थितियां हों कमल खिलता रहता है.आजादी के अमृतकाल में देश के सामने जी-20 की अध्यक्षता का बड़ा अवसर है। यह भारत के लिए गर्व और गौरव की बात है। जी-20 ऐसे देशों का समूह है जो विश्व के सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी में पच्चासी प्रतिशत की भागीदारी रखता है। इन देशों में दुनिया की दो तिहाई जनसंख्या रहती है. विश्व व्यापार में इसकी पचहत्तर 
प्रतिशत की भागीदारी है.भारती का प्रयास रहेगा कि विश्व में दुनिया में कोई 'पहली दुनिया' या 'तीसरी दुनिया' न हो, बल्कि एक दुनिया' हो.
कांग्रेस ने इस विषय को भी अपनी राजनीति का अवसर मान लिया है. लोगो के माध्यम से भारतीय विरासत का दुनिया को संदेश दिया गया. यह पूरे देश के लिए गर्व का विषय है. लेकिन कांग्रेस इसमें शामिल नहीं है. उसे दुनिया में भारतीय विरासत का यह संदेश पसन्द नहीं आया है.कांग्रेस नेता 
जयराम रमेश ने कहा कि पंडित नेहरू ने कांग्रेस के झंडे को भारत का झंडा बनाने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। जय राम रमेश को यह समझना चाहिए कि प्रजातंत्र में किसी राजनीतिक पार्टी का झंडा राष्ट्रीय ध्वज हो भी नहीं सकता. यदि उसे राष्ट्रीय ध्वज बनाया जाता तो कांग्रेस को अपना झंडा बदलना पढ़ता. इसलिए कांग्रेस ने चरखे के साथ तिरंगे को बनाये रखा था. जी 20 के लोगो में तिरंगे की  पृष्टभूमि है. कमल हमारी समृद्ध विरासत का प्रतीक है. कांग्रेस ने इसे राजनीत के चश्मे से देखा है. उसने कहा कि भारत के जी 20 के अध्यक्ष पद के लिए भाजपा का चुनाव चिन्ह आधिकारिक लोगो बन गया है। यह स्तब्ध करने वाला है। हम जानते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा बेशर्मी से खुद को बढ़ावा देने का कोई मौका नहीं गंवाएंगे। इसका जबाब भाजपा ने दिया है. बताया गया  यह भारत की प्राचीन विरासत, विश्वास और विचार का प्रतीक है. कठिन समय में आशा का प्रतीक। इस वर्ष जी-20 शिखर वार्ता की मेजबानी इंडोनेशिया कर रहा है। इसी वर्ष नवंबर महीने में इंडोनेशिया के बाली में शिखर वार्ता आयोजित है। शिखर वार्ता पर यूक्रेन संघर्ष के कारण अनिश्चितता बनी हुई है। शिखर वार्ता में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन,चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित अन्य विश्व नेताओं को भाग लेना है। यूक्रेन संघर्ष के कारण रूस और पश्चिमी देशों के बीच तनातनी बनी हुई है। राष्ट्रपति पुतिन शिखर वार्ता में भाग लेंगे या नहीं इसे लेकर अनिश्चिय की स्थिति है। बाली बैठक में यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की को आमंत्रित किया गया है। हाल के दिनों में कूटनीतिक हलकों में यह चर्चा चल रही है कि अमेरिका सहित पश्चिमी देश यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की मध्यस्थता प्रयास पर गौर कर रहे हैं।

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