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विश्व मंच पर भारतीय विचार 

डॉ दिलीप अग्निहोत्री

जी20 शिखर सम्मेलन में साझा घोषणा पत्र जारी नहीं हो सका. क्योंकि रूस के विरुद्ध निंदा प्रस्ताव पर आम सहमति नहीं थी. इसके बाबजूद भारत के प्रस्तावों को व्यापक समर्थन मिला. इसे शिखर सम्मेलन के बाद जारी बयान में देखा जा सकता है. वस्तुतः जी 20 रूस के विरोध का उचित मंच नहीं था. इस मसले पर आपसी सहयोग के अन्य क्षेत्रों को उपेक्षित रखना भी ठीक नहीं था. प्रधानमंत्री मंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस विषय पर महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया. उन्होने युद्ध की जगह वार्ता से सभी समस्याओं के समाधान का प्रस्ताव किया था. इस पर अमेरिका और यूरोप के देशों ने भी सहमति व्यक्त की. मेजबान इंडोनेशिया ने भी इसी आधार पर बीच का रास्ता निकालने का प्रयास किया. भारत की दृढ़ता सराहनीय रही. नरेन्द्र मोदी ने युद्ध नहीं बल्कि बुद्ध के अहिंसा सिद्धांत को प्रभावी रूप में उठाया. इसी के साथ रूस से तेल आयात करने को भी उचित बताया. अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के साथ ही राष्ट्र हित को भी प्रमुखता दी गई. अमरिका और यूरोप के देशों ने भी भारत की इस नीति पर असहमति नहीं दिखाई. सभी ने यह माना कि रूस यूक्रेन युद्ध का समाधान भारत के प्रयासों से सम्भव है. भारत के अलावा जी 20 के किसी भी अन्य देश पर ऐसा विश्वास नहीं दिखाया गया. यह भारत के लिए गर्व का विषय है. इसके अलावा भारत के अन्य प्रस्तावों पर भी सदस्य देशों ने गंभीरता से विचार किया.उन्हें साझा बयान में स्थान दिया गया. कहा कि जी 20 शिखर सम्मेलन सुरक्षा मुद्दे हल करने का मंच नहीं है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि यूक्रेन युद्ध रोकने के लिए रास्ता ढूंढना होगा। इसके ही अन्य क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने और समस्या समाधान के साझा प्रयास करने होंगे. जलवायु परिवर्तन, कोविड महामारी और यूक्रेन युद्ध व उससे जुड़ी घटनाओं ने वैश्विक आपूर्ति व्यवस्था को प्रभावित किया है. इन मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र जैसी बहुपक्षीय संस्थाएं विफल रही हैं। इन संस्थाओं में उचित सुधार की आवश्यकता है. तभी दुनिया में शांति, सौहार्द और सुरक्षा सुनिश्चित हो सकती है. भारत की ऊर्जा सुरक्षा विश्व के विकास के लिए आवश्यक है, क्योंकि यह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। इसलिए ऊर्जा की निर्बाध आपूर्ति पर किसी तरह की पाबंदी नहीं लगानी चाहिए। ऊर्जा बाजार में स्थिरता भी होनी चाहिए। मोदी ने कहा कि जी 20 की अगली शिखर बैठक बुद्ध और गांधी के देश में होगी. खाद संकट का समाधान भी करना चाहिए. कोविड में भारत ने के नागरिकों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की थी. यह दुनिया की सबसे बड़ी योजना थी. भारत प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रहा है। टिकाऊ खाद्य सुरक्षा के लिए बाजरे जैसे पौष्टिक व पारंपरिक मोटे अनाज को फिर से लोकप्रिय बनाने की कोशिश है। 

मोटे अनाज वैश्विक कुपोषण व भुखमरी की समस्या का समाधान कर सकते हैं। अगले वर्ष अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष मनाना है. मोदी के विचारों के अनुरूप 

शिखर सम्मेलन में ऊर्जा और खाद्य संकट पर चिंता जताई गई. 

यूरोपीय संघ के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल ने भारत से अपील की कि वे रूस पर युद्ध खत्म करने के लिए दबाव बनाएं। 

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता जेड तरार ने कहा कि वैश्विक मुद्दों पर भारत और अमेरिका हमेशा साथ हैं। राष्ट्रपति बाइडन और नरेंद्र मोदी के बीच अच्छी दोस्ती है.

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