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फल और पकौड़े बेचे…गुजरात के इस लाल ने खुद के दम पर खड़ा किया अरबों का साम्राज्य

साल 2000 में इस शख्स को एशियावीक पत्रिका की ओर से 'पॉवर 50 - मोस्ट पावरफुल पीपल इन एशिया' की सूची में शामिल किया गया था. इनके बेटे भी बड़े उद्योगपतियों मे शुमार होते हैं.

गुजरात का एक शख्स जिसका बचपन आर्थिक तंगी में गुजरा. घर चलाने के लिए फल और पकौड़े बेचे, नौकरी की…लेकिन, वह सपना बड़ा देखता था, बड़ा बिजनेसमैन बनने का… उसने खूब मेहनत की और आगे चलकर अरबों की संपत्ति का मालिक बना. हम बात कर रहे हैं धीरूभाई अंबानी की. धीरूभाई का जन्म 28 दिसंबर 1932 को गुजरात के जूनागढ़ जिले के चोरवाड़ में हुआ था. चोरवाड़ के लोग आज भी धीरूभाई का नाम बड़े ही आदर के साथ लेते हैं.

धीरूभाई अंबानी ने ज्यादा पढ़ाई नहीं की. उन्होंने हाईस्कूल तक ही शिक्षा ग्रहण किया. बताया जाता है कि 17 साल की उम्र में पैसे कमाने के लिए वह अपने भाई के साथ अरब देश चले गए थे. उनके भाई का नाम रमणिकलाल लाल था. यहीं पर साल 1949 में पेट्रोल पंप पर भी काम किया. यहां उनको 300 रुपए प्रतिमाह सैलेरी मिलती थी. हालांकि, यहां उनका मन ज्यादा नहीं लगा और फिर वापस देश आ गए.

पॉलिस्टर धागे का व्यापार शुरू किया

धीरूभाई अंबानी बिजनेस करना चाहते थे. जब वह यमन से लौटे तो उनके पास महज 500 रुपए थे. इसी पैसे को लेकर वह मुंबई आए. यहां धीरूभाई ने पॉलिस्टर धागे का व्यापार शुरू किया. उनके इस काम में चचेरे भाई ने भी मदद की. इस दौरान वह मसाला व्यापार से भी जुड़ गए. वह भारत से मसालों को यमन भेजा करते थे.

बिजनेस जगत में अंबानी परिवार बड़ा नाम

पॉलिस्टर के धागे के व्यापार से धीरूभाई अंबानी को जबरदस्त मुनाफा हुआ. इसके बाद वह धीरे-धीर अन्य उद्योगों से भी जुड़ते गए. आज अंबानी परिवार बिजनेस जगत में काफी प्रसिद्ध नाम है. पेट्रोकेमिकल्स, टेलीकम्युनिकेशन, इंफॉर्मेशन, टेक्नोलॉजी, एनर्जी, रिटेल, कैपिटल मार्केट और टेक्सटाइल इंडस्ट्री में धीरूभाई अंबानी के दोनों बेटों ने काफी पैसा निवेश किया है. धीरूभाई की पत्नी का नाम कोकिलाबेन है. धीरूभाई को दो बेटे और दो बेटियां हैं, जिनके नाम मुकेश अंबानी,अनिल अंबानी, नीना कोठारी और दीप्ति सल्गाओकर हैं.

रिलायंस इंडस्ट्री के मालिक हैं धीरूभाई के बड़े बेटे

साल 2000 में उन्हें एशियावीक पत्रिका की ओर से ‘पॉवर 50 – मोस्ट पावरफुल पीपल इन एशिया’ की सूची में धीरूभाई अंबानी को शामिल किया गया था. 2002 में धीरूभाई अंबानी के निधन के बाद रिलायंस इंडस्ट्री को दो ग्रुप में बांट दिया गया था. इसमें एक ग्रुप मुकेश अंबानी को मिला, जिसका नाम रिलायंस इंडस्ट्री लिमिटेड रखा गया. वहीं दूसरे ग्रुप का नाम अनिल धीरूभाई इंडस्ट्री रखा गया, इसका जिम्मा अनिल अंबानी संभाल रहे थे. धीरूभाई अंबानी के बड़े बेटे मुकेश अंबानी की देखरेख में जिओ (JIO) ने भारत में अन्य टेलीकम्युनिकेशन कंपनियों को काफी पीछे छोड़ दिया है.

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