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शिक्षा से संस्कार व स्वावलंबन

डॉ दिलीप अग्निहोत्री 

लखनऊ। शिक्षा से ज्ञान की प्राप्ति होती है. किन्तु समाज और राष्ट्र के प्रति दायित्व बोध के अभाव में ज्ञान अधूरा ही रहता है. राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल इसी के प्रति विद्यार्थियों को प्रेरित करती है. श्रेष्ठ नागरिक बनने के लिए समाज के प्रति जिम्मेदारी का निर्वाह अपरिहार्य होता है. आनन्दी बेन पटेल 
पर्यावरण संरक्षण, वृक्षारोपण,जल संरक्षण जैसे कार्यों में विद्यार्थियों को योगदान हेतु प्रेरित करती है. विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोहों में उनकी प्रेरणा से छोटे क्लास के बच्चे भी आमंत्रित किए जाते. राज्यपाल चाहती हैं कि बच्चे ऐसे समारोहों से प्रेरणा लें. हरकोर्ट बटलर प्राविधिक विश्वविद्यालय का चतुर्थ दीक्षांत समारोह में भी राज्यपाल ने अपनी इस परम्परा का निर्वाह किया. कार्यक्रम का उद्घाटन राज्यपाल द्वारा ‘‘जल भरो‘‘ कार्यक्रम से किया गया। उन्होंने मटकी में जलधारा डालकर जल संरक्षण का संदेश दिया। कहा कि विश्वविद्यालयों द्वारा जितना जल वर्ष भर में उपयोग में लाया जाता है, वो उतने जल संरक्षण हेतु प्रभावी प्रयास करें।
उन्होंने उच्च शिक्षा में नई राष्ट्रीय नीति की आवश्यकता को बताते हुए कहा कि इससे देश में रोजगार परक शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रमों को न सिर्फ नौकरी के साथ जोड़कर बनाया गया है, बल्कि स्वावलम्बन,योग्य और संस्कार युक्त शिक्षा देने पर भी ध्यान दिया गया है। उन्होंने इस दिशा में विश्व विद्यालय द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने विद्यार्थियों को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि प्रदेश और केन्द्र सरकार की कई योजनाएं ऐसी हैं, जिनका लाभ उठाकर वे अपना स्टार्ट अप प्रारम्भ कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे युवा नौकरी लेने वाले नहीं बल्कि रोजगार देने वाले बनें। उन्होंने  शिक्षा के चारित्रिक गुणों के उच्चतम विकास का आधार बताते हुए कहा कि ये वो शिक्षा है, जिसका घर में माता-पिता से प्राप्त प्रारम्भिक ज्ञान और संस्कार से होता है। इसी क्रम में राज्यपाल  ने कहा कि अब शिक्षण संस्थानों का उद्देश्य सिर्फ शिक्षित युवा तैयार करना नहीं है अपितु ऐसे नियोक्ता भी तैयार करना है, जो आगामी पीढ़ी की आकांक्षाओं को पूरा कर सकें। शिक्षण संस्थानों को उद्यमिता परक सोच को बढ़ावा देना होगा।
राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों में गुणवत्ता सुधार के लिए नैक मूल्यांकन कराने की आवश्यकता पर बल दिया.कहा कि विश्वविद्यालय अपने कार्यों की गुणवत्ता एवं तकनीकी अनुसंधान को बढ़ावा देने में नवीनतम शोधों के साथ विस्तार करे।

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