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युद्ध मुक्त हो यह युग

डॉ दिलीप अग्निहोत्री 

लखनऊ । इस समय दुनिया में रूस यूक्रेन युद्ध का मसला चर्चा में हैं. वैश्विक आतंकवाद भी स्थाई समस्या के रूप में है. दूसरी तरफ शांति के पक्षधर भी अपनी आवाज बुलन्द कर रहे हैं.अनेक विकसित देशों ने माना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही रूस यूक्रेन का युद्ध समाप्त करा सकते हैं. मोदी ने जी ट्वेंटी के शिखर सम्मेलन में दुनिया को शांति का रास्ता भी दिखाया हैं. उन्होने ने कहा कि शताब्दी में विश्व युद्ध हुए थे. लेकिन अब  युग युद्ध का नहीं होना चाहिए. वार्ता के माध्यम से सभी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है. इंडोनेशिया में मोदी ने यह युग युद्ध का नहीं,यह नारा दिया था. जी ट्वेंटी शिखर वार्ता का सम्पूर्ण निष्कर्ष इस नारे में समाहित थे. इस नारे ने दुनिया का ध्यान आकर्षित किया.वसुधैव कुटुम्बकम की विचारधारा से ही विश्व मानवता का कल्याण होगा। भारत की मूल विचारधारा ही ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ पर आधारित है। हमारी इस प्राचीन एवं समृद्ध विरासत का अनुसरण करने में सारे विश्व की भलाई है।
इस नारे ने दुनिया का ध्यान आकर्षित किया.
 इसका प्रमाण उत्तर प्रदेश की राजधानी में दिखाई दिया. जब मॉरिशस के प्रधानमंत्री रूपम ने लखनऊ में इस नारे का उल्लेख किया.उन्होने नरेन्द्र मोदी द्वारा इंडोनेशिया में दिए गए नारे का वैश्विक महत्त्व रेखांकित किया. कहा कि अब युद्ध का युग समाप्त होना चाहिए। वर्तमान युग बातचीत एवं आपसी वार्तालाप करके समाधान ढूढने का है। शांति की स्थापना को प्रोत्साहित करने हेतु हर स्तर पर प्रयास करने की जरूरत है। अवसर था सीएमएस द्वारा आयोजित विश्व न्यायधीशों के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का. इसमें सत्तावन देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए. मॉरिशस के प्रधानमंत्री ने इसका उद्घाटन किया था. राष्ट्रपति स्टीपन मेसिक
क्रोएशिया के पूर्व
एमिल कॉन्स्टेंटिनेस्कु, पूर्व राष्ट्रपति, रोमानिया स्टीपन मेसिक, पूर्व राष्ट्रपति, क्रोएशिया; श्री जोसेलेर्मे प्रिवर्ट, पूर्व राष्ट्रपति, हैती; डा. पकालिथा बी. मोसिलिली, पूर्व प्रधानमंत्री, लेसोथो; जीन-हेनरी सेन्ट, पूर्व प्रधानमंत्री, हैती समेत अनेक मुख्य न्यायाधीश और न्यायविद सहभागी हुए. चार दिन तक चले इस सम्मेलन के अंत में ‘लखनऊ घोषणा पत्र’ जारी किया गया. इसके  माध्यम से विश्व के सभी देशों का आह्वान किया है कि भावी पीढ़ी के हित में नई विश्व व्यवस्था बनाने हेतु एकजुट हों।  भावी पीढ़ी के सुरक्षित भविष्य हेतु एक ‘नवीन विश्व व्यवस्था’ के गठन तक य़ह प्रयास जारी रहेगा। एकता व शान्ति हेतु ठोस कदम उठाने की आवश्यकता जोर दिया गया. मूलभूत अधिकारों, सभी धर्मो का आदर करने एवं विद्यालयों में शान्ति व एकता की शिक्षा देने के लिए भी कहा गया है। इस प्रकरण के प्रयासों से भावी पीढियां लाभान्वित होंगी। न्यायविदों ने संकल्प व्यक्त किया कि वे अपने देश जाकर अपनी सरकार के सहयोग से इस मुहिम को आगे बढायेंगे. जिससे विश्व के सभी नागरिकों को नवीन विश्व व्यवस्था  मिल सके.विश्व सरकार का सपना साकार हो सके.वर्तमान समय में  युद्ध और तनाव की स्थिति है. आर्थिक असमानता है. अर्थव्यवस्था में मंदी का दौर है. समय रहते कदम ना उठाए गए तो  परमाणु युद्ध की नौबत आ सकती है. ग्लोबल वार्मिंग व जलवायु परिवर्तन पृथ्वी पर प्रतिकूल प्रभाव हो रहे हैं 
पेरिस समझौते के निष्कर्षों पर अमल सुनिश्चित होना चाहिए.  यूएन की जलवायु कान्फ्रेन्स ने लक्ष्य निर्धारित किए गए थे. लेकिन उनका भी क्रियान्वयन नहीं किया गया. जलवायु कोष एकत्रित करने के लिए विकसित देशों के आश्वासनों को भी पूरा नहीं किया गया है. इस कार्य को भी यथाशीघ्र पूरा करना चाहिए.  संयुक्त राष्ट्र संघ शांति, मानवाधिकार, सामाजिक उत्थान, विकास व अन्य क्षेत्रों में अपनी विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से काम कर रहा है.लेकिन इसमें 
अधिकारिकता व आवश्यक तंत्रों की कमी हैं.इन कमियों को दूर करना होगा.जिससे आम सभा के निर्णयों को लागू किया जा सके। लखनऊ घोषणा पत्र में रूल ऑफ लॉ एवं न्यायालय की स्वतत्रता की केन्द्रीयता का उल्लेख किया गया. संकल्प व्यक्त किया गया कि  विश्व के सभी देशों के प्रमुख तथा सरकारों के प्रमुख से निवेदन किया जायेगा. संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 108 और 109 की समीक्षा होनी चाहिए.संयुक्त राष्ट्र के अधिकार,प्रतिष्ठा एवं शक्ति को सुदृढ़ किया जाये ताकि आम सभा के प्रस्तावों को लागू किया जा सके. सस्टेनबल विश्व व्यवस्था एवं प्रजातांत्रिक ढंग से चुने गए विश्व संसद की स्थापना के लिए प्रभावशाली वैश्विक शासन करने वाली संस्था की स्थापना होनी चाहिए. जिससे कि विश्व की कार्यपालिका एवं विश्व न्यायालय की स्थापना हो सके. दुनिया के सभी स्कूलों में नागरिक शिक्षा, शांति शिक्षा एव अर्न्तसांस्कृतिक समझ पैदा करने पाठ्यक्रम होना चाहिए.  जिससे कि जिम्मेदार विश्व नागरिक तैयार हो सकें। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार अपेक्षित है. जिससे वह एक अधिक प्रभावशाली, प्रजातान्त्रिक एवं प्रतिनिधि संस्था बन सके।    आतंकवाद, कट्टरपंथी व युद्धों को रोकने के लिए व महासंहार के शस्त्रों का अन्त करने के लिए प्रयास किए जाएँ.अन्तर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट की स्थापना पर विचार किया जाए। सभी व्यक्तियों के सम्मान की रक्षा सुनिश्चित होनी चाहिए.घोषणा पत्र की प्रतियाँ संसार की सभी सरकारों के शासकों व मुख्य न्यायाधीशों और संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव को भेजी जाएगी.सम्मेलन बच्चों के भविष्य व उनकी भलाई को ध्यान में रखते हुए आयोजित किया जा रहा है तथापि सभी के सहयोग व प्रयास से एकता, शान्ति व सौहार्द का वातावरण बनेगा और भावी पीढ़ियों को स्वच्छ वातावरण, शान्तिपूर्ण विश्व व्यवस्था एवं सुरक्षित भविष्य का अधिकार अवश्य मिलेगा। अधिकारों व संस्कारों में विविधता को समझने की जरूरत है। सहिष्णुता से ही सद्भाव विकसित होगा। शिक्षा बच्चों को भविष्य के लिए तैयार करती है और उन्हें विभिन्न प्रकार की परिस्थितियों एवं चुनौतियों से निपटने की क्षमता प्रदान करती है। शान्ति के अभाव में बच्चों का भविष्य सुरक्षित नहीं रखा जा सकता है। आज विश्व में ऐसे लोगों एवं संस्थाओं की जरूरत है जो सबका भला सोचें। ऐसा विश्व नहीं होना चाहिए जो दूसरों के जीवन के लिए खतरा उत्पन्न न करें। पिछली गलतियों से सबक लेने की आवश्यकता है. स्थाई शान्ति की स्थापना संस्कार एवं शिक्षा से ही संम्भव है. सुरक्षा, पर्यावरण की रक्षा, सामाजिक न्याय, समानता,एकजुटता आदि मुद्दों को प्राथमिकता देना होगा। 
मिलकर ऐसी कानून व्यवस्था बनाने की आवश्यकता है, 
जिससे विश्व में एकता व शान्ति स्थापित हो सके,बच्चों पर अत्याचार समाप्त हो और युद्ध समाप्त हो।

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