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गर्भवतियों की आज होगी प्रसव से पहले जांच

आगरा। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान दिवस के तहत गुरुवार को स्वास्थ्य केंद्रों पर गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच की जाएगी। साथ ही लक्ष्य...

प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत बुधवार को जिले में गर्भवतियों की निशुल्क जांच की जाएगी। अभियान का आयोजन जिला अस्पताल, उप जिला अस्पताल, यूपीएचसी, सभी सीएचसी एवं पीएचसी पर किया जाएगा। इस दौरान गर्भवतियों की प्रसव पूर्व जांच, वजन, उंचाई, पेट की जांच, खून की जांच, हीमोग्लोबीन , रक्तचाप, शुगर, एचआईवी, सिफलिस, हृदय स्पंदन, यूरिन, सोनोग्राफी आदि जांचों करने के साथ आवश्यक दवाएं भी उपलब्ध करवाई जाएगी। सीएएचओ डॉ. तेजराम मीना ने बताया कि प्रत्येक गर्भवती महिला को गुणवत्ता युक्त प्रसव पूर्व जांच सुविधाएं के लिए प्रत्येक माह 9 तारीख को एएनसी सेवाएं देने के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएम सएमए) मनाया जाता हैं।

संवाद सहयोगी, किशनगंज : मां बनना एक स्त्री के लिए उसके जीवन का सबसे सुखद एहसास है। गर्भावस्था जहां खुशी का पल होता है। इस दौरान जच्चा-बच्चा की उचित देखभाल की आवश्यक होती है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं की समय पर प्रसव पूर्व जांच जरूरी है। यह बातें गुरुवार को सदर अस्पताल की महिला चिकित्सा पदाधिकारी डा. शबनम यास्मिन ने कही।

उन्होंने कहा कि प्रसव पूर्व जांच से उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था की पहचान कर उसका सही इलाज किया जाता है। प्रसव पूर्व जांच को एंटी नेटल केयर या एएनसी भी कहते हैं। गर्भावस्था के दौरान मां को होने वाली गंभीर बीमारी का पता लगा कर समय रहते भ्रूण को बीमारी से बचाव किया जा सकता है। जांच के दौरान गर्भवती में कुपोषण का पता चल जाता है। जिसके बाद उन्हें पोषक आहार संबंधी उचित परामर्श दिया जा सकता है। नियमित प्रसव पूर्व जांच कराने वाली महिलाओं के बच्चे स्वस्थ होते हैं। जो मातृ शिशु की मृत्यु के जोखिम को भी कम करता है। गर्भवती माता को प्रसव काल के नौ माह में चार बार प्रसव पूर्व जांच की जाती है। इनमें प्रथम जांच 12 सप्ताह के भीतर और दूसरी जांच 14 से 26 सप्ताह में किया जाता है। तीसरी जांच 28 से 34 सप्ताह और चौथी जांच 36 सप्ताह से प्रसव के समय तक के बीच होती है। प्रसवपूर्व जांच में बीपी, हीमोग्लोबिन, वजन, लंबाई, पेशाब में शक्कर व प्रोटीन जांच सहित एचआइवी व अन्य प्रकार की आवश्यक जांच शामिल हैं। इन सब जांच के साथ ही गर्भवती महिलाओं को टेटनस का इंजेक्शन, आयरन व फालिक एसिड के टैबलेट दिए जाते हैं। यदि महिला में खून की कमी होती है तो पोषण संबंधी सलाह व दवाई आदि दी जाती है। गर्भावस्था का पता चलते ही प्रसव पूर्व सभी आवश्यक जांच के लिए अपने क्षेत्र की आशा से संपर्क करना चाहिए। जरूरत पड़ने पर नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर एएनएम तथा चिकित्सक से परामर्श प्राप्त किया जा सकता है। हाल में जारी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे पांच की रिपोर्ट के अनुसार 25 प्रतिशत महिलाओं की गर्भावस्था के दौरान चार बार पूरी तरह प्रसवपूर्व जांच हुई। जिला में स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रसव पूर्व जांच की संख्या को लगातार बढ़ाने की कोशिश जारी है। आशा व आंगनबाड़ी सेविकाओं की मदद से लगातार इसके लिए जागरूकता लाई जा रही है।

 

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