बिकने जा रही अनिल अंबानी की एक और कंपनी, मिल गया खरीदार, शेयर में लगा 5% का अपर सर्किट
NCLT की अहमदाबाद स्पेशल पीठ ने रिलायंस नेवल डिफेंस एंड के लिए स्वान एनर्जी के नेतृत्व वाली हेज़ल मर्केंटाइल कंसोर्टियम योजना को आज मंजूरी दे दी है।
अनिल अंबानी (Anil Ambani) की एक और कर्ज में डूबी कंपनी के लिए अच्छी खबर है। दरअसल, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की अहमदाबाद स्पेशल पीठ ने रिलायंस नेवल डिफेंस एंड इंजीनियरिंग (Reliance Naval Defence & Engineering) के लिए स्वान एनर्जी (Swan energy) के नेतृत्व वाली हेज़ल मर्केंटाइल कंसोर्टियम योजना (Hazel Mercantile consortium plan) को आज मंजूरी दे दी है। रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने आज एक एक्सचेंज फाइलिंग में कहा कि रिलायंस नेवल के लिए हेज़ल मर्केंटाइल की रिज़ॉल्यूशन योजना को एनसीएलटी द्वारा अप्रूव्ड कर दिया गया। बता दें कि जिंदल ग्रुप की कंपनी जिंदल स्टील एंड पावर (जेएसपीएल) भी कर्ज में डूबी इस कंपनी खरीदने की रेस में थी। इस बीच आज रिलायंस नेवल के शेयर में खरीदारी भी बढ़ गई है। कंपनी के शेयर आज 5% के अपर सर्किट में हैं। शेयर 2.44 रुपये पर कारोबार कर रहे हैं। बता दें कि इस साल कई महीनों तक कंपनी के शेयरों की ट्रेडिंग बंद थी।
समाधान की दिशा में एक और कदम
बता दें कि इस साल की शुरुआत में स्वान एनर्जी को रिलायंस नेवल शिपयार्ड के लिए विजेता बोलीदाता के रूप में उभरा था। यह अनिल अंबानी की दिवालिया रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड (इसे पहले पिपावाव शिपयार्ड के नाम से जाना जाता था) के समाधान की दिशा में एक और कदम है। बता दें कि हेज़ल मर्केंटाइल कंसोर्टियम की रिज़ॉल्यूशन योजना को पहले ही रिलायंस नेवल के लगभग 95 प्रतिशत लेंडर्स के पक्ष में मतदान के साथ अप्रूव्ड किया जा चुका है।
जानिए क्या है मामला?
बता दें कि दिवालिया कंपनी रिलायंस नेवल शिपयार्ड के लिए समाधान योजना पर कई सालों से वोटिंग हो रही थी। बोली लगाने वालों में 2,700 करोड़ रुपये के साथ हेज़ल मर्केंटाइल सबसे प्रबल दावेदार थे। ये उद्योगपति निखिल वी. मर्चेंट समर्थित कपंनी है। हालांकि, अनिल अंबानी की रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की ओर से इस बोली प्रक्रिया को रोकने की कोशिश हो रही थी। इसी के तहत मुंबई के उद्योगपति निखिल वी. मर्चेंट की हेज़ल मर्केंटाइल की पात्रता पर सवाल उठाए थे। अनिल अंबानी की इंफ्रा ने रिलायंस नेवल की बोली में भाग लेने की पात्रता पर सवाल उठाकर टारपीडो की ओर रुख किया था। बता दें कि भारतीय स्टेट बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया सहित अन्य वित्तीय लेनदारों पर बकाया 12,429 करोड़ रुपये से अधिक की वसूली के लिए रिलायंस नेवल की समाधान प्रक्रिया पहले ही शुरू हुई थी। दो कंपनियों के एक यूनिट - हेज़ल मर्केंटाइल लिमिटेड और स्वान एनर्जी लिमिटेड ने दिवालिया शिपयार्ड के लिए लगभग 2,700 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी।
पिछले साल पहले कानूनी प्रक्रिया के बाद रिलायंस नेवल के रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल ने इस बोली को स्वीकार कर लिया था। आपको बता दें कि रिलायंस नवल को मूल रूप से पिपावाव शिपयार्ड (Pipavav Shipyard) के नाम से जाना जाता है। इस कंपनी के लिए बोली लगाने वालों में नवीन जिंदल की भी कंपनी थी।