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देवी चित्रलेखा जी महारास, मथुरा गमन एवं रुक्मणी विवाह,

आगरा

आगरा। श्री खाटूश्याम जी स्वयं सेवक परिवार द्वारा आयोजित भागवत कथा मैं आज देवी चित्रलेखा जी के मुख से श्रीमद भागवत कथा में कहा की स्वयं में बहोत सी कमियों के बावजूद यदि हम स्वयं से प्रेम कर सकते है,तो फिर दूसरों में थोड़ी बहोत कमियो की वजह से दुसरो से धृणा कैसे कर सकते है !
- देवी चित्रलेखाजी

समाज की मानसिकता ने ही गोपियों को मज़बूर किया की वो अब एक राक्षस की कैद से बहार आने के बाद वापस घर न जाए। समाज की नज़रों में वो कलंकित थी ।

"भगवान् की भक्ति कीजिए जिनका नाम सूर्य के समान है। जिस प्रकार सूर्य के किंचित उदय होने पर रात्रि का अन्धकार दूर हो जाता है, उसी प्रकार कृष्ण-नाम का थोड़ा-सा भी प्राकट्य अज्ञान के सारे अन्धकार को, जो विगत जन्मों में सम्पन्न बड़े-बड़े पापों के कारण हृदय में उत्पन्न होता है, दूर भगा सकता है। "
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कथा के छटवें दिवस में पूज्या देवी चित्रलेखाजी ने भगवान् के दवारा की गयी लीलाओं का श्रवण कराते हुए बताया कि ब्रज में की गयी भगवान की लीला स्वयं नारायण भी नहीं कर सकते।
इन लीलाओं के द्वारा भक्तो को रिझाना सिर्फ भगवान् कृष्ण ही कर सकते हैं ।
और वृन्दावन भगवान् का घर हुआ इसलिए प्रभु ने सब लीलाओं को एक साधारण बालक की तरह किया। और इस नन्हे से बालक ने अपनी मनमोहक लीलाओं के द्वारा गोपियों का मन ऐसा मोहा के गोपियों को अब न भोजन की सुध रहती है न अपने परिवार की और न ही किसी काम धाम की। गोपियाँ दिन रात कन्हैया का दर्शन करने को लालयत रहती हैं और मैया यशोदा के घर किसी न किसी बहाने के साथ जा के गोविन्द का दर्शन करतीं।
देवीजी ने कथा विषय में आगे बरुण लोक से नन्द बाबा को छुड़ाकर लाने की कथा, और अन्य कथाओ का श्रवण कराते हुए रास लीला का कथा का वर्णन श्रवण कराया की जब भगवान् ने वंशी बजा के गोपियों को अर्धरात्रि में में निमंत्रण दिया । और सभी गोपियाँ अपना घर बार छोड़कर भगवान् के समीप पधारी। भगवान् ने सभी गोपियों की भक्ति की परीक्षा लेने के लिए उन्हें घर जाने को कहा मगर गोपियाँ ने भगवान् से ही प्रश्न किया कि संसार प्रभु प्राप्ति के लिए लाखों प्रयत्न करता है और फिर प्रभु की शरण में आता है।
मगर हम जब आपको प्राप्त कर ही चुके है तो आप हमें दोवारा संसार सागर में जाने को क्यों कहते हो ?
गोपियों की बात मान कर प्रभु ने गोपियों के भीतर दंश मात्र अभिमान को मिटाने के लिए लीला की और प्रभु के अदृश्य हो जाने के कारण गोपियों ने प्रभु को मनाने के लिए अथक प्रयास किया
परंतु प्रभु नहीं आये तब विरह जब सीमा से अधिक हो गया, करोड़ों गोपियों ने एक साथ गोपी गीत गाया। प्रभु प्रगट हुए और प्रभु के एक स्वरुप के साथ 2 गोपियों ने महारस किया।
इसके पश्चात प्रभु के मथुरा गमन की कथा, प्रभु की शिक्षा, उद्धव संवाद, मामा कंस वध आदि कथा का श्रवण करा कर भगवान् कृष्ण और माता रुक्मिणी के विवाह की कथा कह कर
कथा के छठवे दिवस को विश्राम दिया ।

आज का आकर्षण: श्रवण स्वरूप : आदित्य व रुक्मणी स्वरूप निधि ने निभाया।

श्रीमद् भागवत के छठवें दिन मुख्य अतिथि के रूप में उपस्तिथ रही श्रीमति मधु बघेल।भागवत कथा के मुख्य यजमान राजीव अग्रवाल{कपड़े वाले) व उनकी धर्मपत्नी श्रीमती रचना अग्रवाल।आज के दैनिक यजमान: बन्ने भाई व डॉली, राजा व पारुल, राजीव अधिवक्ता व वंदना, प्रदीप गुप्ता व ममता, योगेश अग्रवाल व नीलम, अमित बंसल व प्रथा, निखिल गोयल व नन्दनी।
आज की देवी चित्रलेखा की कथा में मुख्य रूप से उपस्थित रहे संस्थापक अमित अग्रवाल व गुंजन, संयोजक टीटू गोयल व नीलम, कोषाध्यक्ष अनूप अग्रवाल व अंजलि,पंकज व अपर्णा,दीपक व पूजा,विजय व वर्षा,महेश व स्वीटी व ,संजय व रचना,भोलू भाई व संगीता,किशोर व रूपाली,प्रदीप गुप्ता व ममता,संजय व सविता,विजय सिंघल व अंजु,राजीव अधिवक्ता व वंदना,उपस्थित रहे।

आज के कार्यक्रम का विवरण

दैनिक कार्यक्रम

05 जनवरी 2023 श्री सुदामा चरित्र, भागवत सार स्वरूप {श्री संजय जैन {नंदबाबा} & श्रीमती अर्चना जैन {यशोदा मैया} 3 बजे से।

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