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आक्रामक होगी भारत की सेना, सेना पर खर्च होंगे 4276 करोड़ रुपये, कांपेगा चीन और पाकिस्तान

डीएसी ने भारतीय नौसेना के लिए शिवालिक वर्ग के जहाजों और अगली पीढ़ी के मिसाइल वेसल्स (एनजीएमवी) के लिए ब्रह्मोस लॉन्चर और फायर कंट्रोल सिस्टम (एफसीएस) की खरीद के लिए मंजूरी दे दी।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की बैठक में 4276 करोड़ रुपये की रक्षा खरीद के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। इसमें भारतीय सेना के दो और नौसेना के लिए एक खरीद के प्रस्ताव शामिल हैं। यह खरीद भारत में खरीद श्रेणी के तहत की जाएगी। इसमें 50 फीसदी उत्पादों का भारत निर्मित होना जरूरी है।

इन प्रस्तावों में हेलिना एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल लॉन्चर और संबंधित सहायक उपकरण की खरीद भी शामिल है जिसे उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (एएलएच) में इस्तेमाल किया जाएगा। यह मिसाइल दुश्मन के खतरे का मुकाबला करने के लिए एएलएच के शस्त्रीकरण का एक अनिवार्य हिस्सा है। इसके शामिल होने से भारतीय सेना की आक्रमण क्षमता मजबूत होगी।

वशोर्ड मिसाइल प्रणाली
डीएसी ने डीआरडीओ द्वारा डिजाइन और विकास के तहत वशोर्ड (आईआर होमिंग) मिसाइल प्रणाली की खरीद के लिए प्रस्ताव को मंजूरी दी है। उत्तरी सीमाओं पर हाल के घटनाक्रमों को देखते हुए प्रभावी वायु रक्षा हथियार प्रणालियों पर ध्यान देने की आवश्यकता महसूस की गई। यह मानव द्वारा ले जाने लायक है और ऊबड़-खाबड़ इलाकों और समुद्री क्षेत्र में तेजी से तैनात की जा सकती हैं। वशोर्ड की खरीद, एक मजबूत और शीघ्र तैनाती योग्य प्रणाली के रूप में वायु रक्षा क्षमताओं को मजबूत करेगी।

नौसेना के लिए ब्रह्मोस लॉन्चर
इसके अलावा डीएसी ने भारतीय नौसेना के लिए शिवालिक वर्ग के जहाजों और अगली पीढ़ी के मिसाइल वेसल्स (एनजीएमवी) के लिए ब्रह्मोस लॉन्चर और फायर कंट्रोल सिस्टम (एफसीएस) की खरीद के लिए मंजूरी दे दी। इनके शामिल होने से जहाजों में समुद्री हमलों से निपटने और दुश्मन के युद्धपोतों को नष्ट करने करने की क्षमता में इजाफा होगा।

हेलिना : विश्व का सबसे उन्नत टैंक रोधी हथियार
-रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के अनुसार यह विश्व के सबसे उन्नत एंटी टैंक हथियारों में से एक है।
-यह दागो और भूल जाओ के सिद्धांत पर काम करती है।
-रक्षा अनुसंधान और विकास प्रयोगशाला, हैदराबाद और डीआरडीओ की प्रयोगशाला में विकसित।
-अधिकतम सीमा सात किलोमीटर है और इसे एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (एएलच) से दुश्मन के टैंक पर दागा जा सकता है।
-इस मिसाइल प्रणाली का प्रक्षेपण दिन और रात किसी भी समय किया जा सकता है।
-तीसरी पीढ़ी की यह मिसाइल किसी भी युद्धक टैंक को भेदने में सक्षम।
-सेना और वायु सेना के हेलिकॉप्टरों के लिए विकसित किया गया है। हेलिना के वायु सेना संस्करण को ‘ध्रुवस्त्र’ के रूप में भी जाना जाता है।
-यह डायरेक्ट हिट मोड के साथ-साथ टॉप अटैक मोड को लक्ष्य बना सकती है।
-टॉप अटैक मोड में मिसाइल लॉन्च होने के बाद तेज गति के साथ एक निश्चित ऊंचाई तक जाती है, फिर नीचे की तरफ मुड़कर निर्धारित लक्ष्य को भेदती है।
- डायरेक्ट हिट मोड में मिसाइल कम ऊंचाई पर जाकर सीधे लक्ष्य को भेदती है।

वर्शोड : कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली की कहीं भी तैनाती संभव
- वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम में कई अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियां हैं जो कम समय में सक्रिय हो सकती हैं।
-एक मैन पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम है, इसे स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है।
-कम दूरी पर कम ऊंचाई वाले हवाई खतरों को नाकाम करने में सक्षम।
-वर्शोड बहुस्तरीय वायु रक्षा नेटवर्क में दुश्मन के लड़ाकू विमानों और हेलीकाप्टरों के खिलाफ सैनिकों की रक्षा की अंतिम पंक्ति है।

ब्रह्मोस लॉन्चर और फायर कंट्रोल सिस्टम से नौसेना की ताकत बढ़ेगी
-ब्रह्मोस लॉन्चर से लैस भारतीय नौसेना दुश्मन के युद्धपोत को ब्रह्ममोस मिसाइल दागकर तबाह कर सकती है।
-ब्रह्मोस एक सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है। यह कम ऊंचाई पर तेजी से उड़ान भरती है और इस तरह से रडार से बच जाती है।
- ब्रह्मोस की विशेषता यह है कि इसे जमीन से, हवा से, पनडुब्बी से, युद्धपोत से यानी कि लगभग कहीं से भी दागा जा सकता है।
-ब्रह्मोस का विकास डीआरडीओ और रूस की कंपनी कर रही है।
-प्रक्षेपास्त्र तकनीक में दुनिया का कोई भी प्रक्षेपास्त्र तेज गति से आक्रमण के मामले में ब्रह्मोस की बराबरी नहीं कर सकता।
-ब्रह्मोस अमरीका की टॉम हॉक से लगभग दुगनी अधिक तेजी से वार कर सकती है।

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