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केंद्रीय कारागार में बही काव्यधारा, कवियों ने सुनाई कैदियों को कविता, वो बचपन मेरा कहाँ गया मेरी पीढ़ी के लोग कहाँ

दिनेश अगरिया

आगरा।  गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश की आन बान शान पर मर मिटने वाले बलिदानियों की याद में केंद्रीय कारागार आगरा में एक अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन हुया, जिसमें देश के नामचीन कवियों ने कैदियों को कविता सुनाई।
कार्यक्रम के संयोजक हास्य कवि दिनेश अगरिया ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए अपने चुटीले अंदाज में श्रोताओं को हंसा हंसा कर ताली बजाने पर मजबूर कर दिया। और अपने क्रम में " वो बचपन मेरा कहाँ गया मेरी पीढ़ी के लोग कहाँ, दुनियां ये कितनी बदल गई बदल गए इंसान कहाँ" सुना कर श्रोताओं को बचपन की यादों में पहुंचा दिया। अलीगढ़ से पधारे राष्ट्रीय हास्य कवि टीवी फेम मणि मधुकर मूसल ने रुस यूक्रेन पर हास्य व्यंग्य द्वारा अपनी बात कुछ इस अंदाज में कही "बम बरसे है बरसे गोले ,जेलस्कीं गुस्से में वोले ,अब न पिलेगी दादा गिरी बहुत दिनों तक पिल्ली, रैट माने चूहा तो कैट माने विल्ली, टिलल टिलल टिल टिल्ली।
हाथरस से आई कवयित्री रुबिया खान ने मां पर अपनी रचना" मैंने देखा नहीं ईश्वर को मैंने पिता को देखा है, मैंने रातों को जगते अपनी मां को देखा है।" सुनाई तो श्रोताओं की आंखे नम हो गई। भरतपुर की कवयित्री निभा चौधरी ने" मेरे गीत शोर थे केवल तुमसे लगी लग्न से पहले, जैसे पत्थर भर होती है हर प्रतिमा पूजन से पहले"। रचना पढ़ कर  श्रोताओं के ह्रदय तक दस्तक दी।
वीर रस के कवि दीपक दिव्यांशु ने कहा कि नन्ही कलियां पैरों जे क्यों रोज मसल दी जाती है।

इससे पहले कार्यक्रम आयोजक उप महा निरीक्षक कारागार आगरा परिक्षेत्र आर के मिश्र , डिप्टी जेलर आलोक सिंह आदि जेल अधिकारियों ने और श्रीनाथ जी परिवार धर्मार्थ ट्रस्ट के पदाधिकारी कुंज बिहारी अग्रवाल, विनोद जादौन और आदि ने सभी कवियो और कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री रामसकल गुर्जर, कार्यक्रम अध्यक्ष अवनीश कांत गुप्ता
,विशिष्ट अतिथि चो. देवेंद्र सिंह बैराठ, प्रवीण गुप्ता , विकास शल्या आदि का माला और पटका पहनाकर स्वागत किया और प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया। 
कार्यक्रम के आयोजक उप महा निरीक्षक कारागार आगरा परिक्षेत्र आर के मिश्र ने बताया कि जेल में निरुद्ध कैदियों के मनोरंजन के लिए जेल प्रशासन इस प्रकार के कार्यक्रम आयोजित करता रहता है 25 दिसम्बर को जिला जेल में एक कवि सम्मेलन कराया था और आज 74 वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर सेंट्रल जेल में कविता के माध्यम से कैदियों के मनोरंजन कराया गया है। कार्यक्रम अध्यक्ष अवनीश कांत गुप्ता ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम निरन्तर होते रहना चाहिए इससे सामाजिक दृष्टिकोण में परिवर्तन आता है। मुख्य अतिथि रामसकल गुर्जर ने जेल प्रशाषन की प्रशंसा करते हुए कहा कि जेल में साहित्यिक कार्यक्रमो का आयोजन कराना वास्तव में अलग प्रयास है जेल के अंदर रहने वाले ये हमारे भाई लोग भी इस तरह के आयोजनों के हकदार हैं। विशिष्ट अतिथि समाजसेवी देवेंद्र सिंह बैराठ, प्रवीन गुप्ता, विकास शल्या ने भी कार्यक्रम की सराहना की। कार्यक्रम के सह संयोजक समाजसेवी लाल सिंह धाकरे, वीरेंद्र शर्मा, कुंजबिहारी अग्रवाल, संजय कुमार और मनीष थापक आदि ने सभी का धन्यवाद दिया।

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