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सनातन पर खतरा

दिनेश अगरिया

आज भारत की सभ्यता और संस्कृति पर बहुत बड़ा खतरा मडरा रहा है एक बहुत बड़ा नेक्सस हमारे हिन्दू सनातन व्यवस्था को धूमिल करने में अपना एड़ी चोटी का जोर लगा रहा है। दुनिया के कई देश भारत की सभ्यता को तहस नहस करने में दिन रात जुटे हैं और भारत मे रहने वाले सभी गैर हिन्दू धर्म के लोग विदेशी ताकतों को भारत की बर्वादी के लिए खुलकर सहायता कर रहे है। इसके अलावा कुछ हिन्दू लोग भारत में रहकर भारत का खा कर वामपंथी विचार से प्रेरित होकर भारत माँ की अस्मिता और देश के संसाधन एव व्यवस्था को हानि पहुंचा रहे हैं साथ ही कुछ हिन्दू सनातनी जिनका जन्म संस्कार भी भारतीय संस्कृति के अनुसार हुया है केवल अपने व्यक्तिगत लाभ या राजनैतिक महत्वाकांक्षा की पूर्ति करने के लिए अपने मूल अस्तित्व पर हो रहे हमले को देखकर भी चुप रह जाते हैं। वस्तुतः पाश्चात्य देशों की सभ्यता हमारी इस नई पीढ़ी को बहुत पसंद आती है या यूं कहें कि 99 प्रतिशत बच्चे गुरुकुल व्यवस्था को जानते ही नही है क्योंकि यह व्यवस्था मुगलों और अग्रेजो ने हमारे देश से वर्षों पहले नष्ट कर अपनी शिक्षा पद्द्ति को लागू कर दिया था अग्रेजो ने अंग्रेजी और मुगलों ने फारसी और उर्दू का चलन चलाया था फलत: आपको यह जानकर आश्चर्य नही होता कि हर मुसलमान उर्दू और हर क्रिश्चयन अंग्रेजी जानता है लेकिन हर सनातनी संस्कृत नही जानता क्यों?
 हमारी तरह ही हमारे पुरखों को भी लचीले पन की व्यवस्था पसंद थी हमारी तरह वे भी अपने अधिकारों की लड़ाई के लिए कभी तटस्थ नही रहे। आराम पसंद जीवन को जीने वाले हमारे पुरखे कई शतक इसीलिए गुलाम रहे क्योंकि बिना परिश्रम के मिली सुविधाओं के वे दास बन जाया करते थे और इसको अपनी किस्मत मान लिया करते थे अगर कोई अलग कुछ करने का प्रयास करने की कभी सोचता तो ये केकड़े रूपी लोग उसे नकारात्मक ऊर्जा और भविष्य की भयानक तस्वीर दिखाकर उसके जज्बे को उठने से पहले ही नष्ट कर दिया करते थे। आज भी हमारे धर्म और संस्कृति पर भयंकर हमला हो रहा है लेकिन हम कुछ नही करेंगे बल्कि कोई करने की कोशिश करेगा तो उसको भो नए प्रकार के बहाने बनाकर रोकने का भरपूर प्रयास करेंगे। अगर फिर भी वो नही माने तो उसको कट्टर कह कर संबोधित करेंगे। हम हिन्दू ही अपने धर्म को बदनाम करेंगे क्योंकि हमारी जीन्स ही ऐसी है हमारे पुरखे गद्दार नही होते तो ये देश आज हिंदू राष्ट्र होता। हम अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए अपनी सनातन सभ्यता पर भी प्रतिक्रिया करने से नही चूकते। धिक्कार है ऐसे जीवन पर जो अपने अस्तित्व की लड़ाई भो ना लड़ सके।

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