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9 साल बाद जब पानी से निकली "बिजली"

Good News : साल 2019 में पानी में पूरी तरह डूब चुके पनबिजलीघर की पहली इकाई को दोबारा शुरू करने में जो राशि खर्च हुई है वो इसी इकाई को ठीक करने के बाद दोबारा चलाकर, महज दो दिन में वसूल कर ली गई थी. इसके बाद भी इसी यूनिट से अब तक लगभग 50 करोड़ की अतिरिक्त बिजली बनाई जा चुकी है.

Good News : देश में बिजली संकट के दौर में राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम ने सफलता की नजीर पेश की है. जिसमें रावतभाटा में जल त्रासदी में डूबे राणा प्रताप सागर पन बिजली घर की बंद पड़ी एक और इकाई को चालू करने में बड़ी सफलता हासिल कर ली गई है. लगभग दो साल 9 महीनों के बाद पनबिजलीघर की चौथी इकाई को चालू कर लिया गया है, और अब इस इकाई से बिजली बनाई जा रही हैं.

खुशी के इस पल में पनबिजलीघर के दौरे पर रहे अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक आरके शर्मा ने बताया कि बिजली संकट के दौरान जहां 20 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली खरीदी जा रही है. वहीं पनबिजलीघर के माध्यम से 15 से 20 पैसे प्रति यूनिट की लागत में सस्ती और स्वच्छ बिजली बनाई जाती है.

इसे स्वच्छ इसलिए कहा गया है क्योंकि इसे बनाने में किसी प्रकार के केमिकल प्रोसेसिंग को नहीं किया जाता, बल्कि प्राकृतिक रूप से बांध के पानी के बहाव से टरबाइन चला कर बिजली बनाई जाती है. पनबिजलीघर की दो यूनिट चालू हो जाने के बाद अधिकारियों और कर्मचारियों में खुशी की लहर है. 

एक समय ऐसा था जब बाढ़ के पानी में पूरी तरह डूब चुके पनबिजलीघर को दोबारा चालू कर पाना लगभग नामुमकिन नजर आ रहा था.एक विभागीय असेसमेंट के मुताबिक पनबिजलीघर को दोबारा चालू करने में आउट सौरसिंग की मदद के साथ 2 सौ से ढाई सौ करोड़ का खर्च और 4 से 5 साल का समय लगने का अनुमान था.

लेकिन राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम ने अपने अनुभवी इंजीनियर्स की टीम की काबिलियत के दम पर अनुमानित लागत की तुलना में नगण्य राशि खर्च कर 6 महीने के अंतराल में पनबिजलीघर की दो इकाइयों को चालू करने में सफलता हासिल कर ली. जिसे अपने आप में बड़ी उपलब्धी माना जा रहा है.

अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक आरके शर्मा ने बताया कि साल 2019 में पानी में पूरी तरह डूब चुके पनबिजलीघर की पहली इकाई को दोबारा शुरू करने में जो राशि खर्च हुई है वो इसी इकाई को ठीक करने के बाद दोबारा चलाकर, महज दो दिन में वसूल कर ली गई थी.
इसके बाद भी इसी यूनिट से अब तक लगभग 50 करोड़ की अतिरिक्त बिजली बनाई जा चुकी है.

पहली इकाई ने वित्तिय वर्ष 2021-22 के बीच तीन महिनों में 835 लाख यूनिट विद्युत उत्पादन किया, जबकि वित्तिय वर्ष 2022-23 में अभी तक 319 लाख यूनिट का विद्युत उत्पादन किया. अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक आरके शर्मा ने बताया कि मई महीने के दौरान जब राज्य को बिजली की सबसे ज्यादा जरूरत थी. उस दौरान 255 लाख यूनिट बिजली उत्पादित की. जो इस प्लांट की स्थापना के बाद आज तक मई महीने का सर्वाधिक विद्युत उत्पादन रहा.

गौरतलब है कि साल 2019 के सितम्बर महीने में मानसून के दौरान चंबल नदी में पानी की भयंकर आवक हुई थी. बांध के सभी गेट खोलने के बावजूद पानी पनबिजलीघर में घुस गया था और पन बिजलीघर की 43-43 मेगावाट की चारों इकाइयां जलमग्न हो गयी थी और विद्युत उत्पादन पूरी तरह ठप्प हो गया था.

विभाग की ओर से इसे दोबारा चालू करने में 225 करोड़ का खर्च और 4 से 5 साल का समय लगने का अनुमान लगाया था.  ऐसे में पनबिजलीघर को दोबारा शुरू करने की संभावनाएं तलाशी गई. जिसके बाद अलग-अलग थर्मल पावर प्लांट के तकनीकी विशेषज्ञों की टीम का गठन किया गया और पनबिजलीघर को चालू करने में जुट गए.

वहीं इस बीच कोरोना महामारी ने दस्तक दी और इस खतरनाक बीमारी ने पनबिजलीघर के अधिशसासी अधिकारी संजय पालीवाल समेत दर्जनों अधिकारी कर्मचारियों को लील लिया, लेकिन बाकी के अधिकारियों और कर्मचारियों ने हिम्मत नहीं हारी और वो अपने काम में जुटे रहे. अथक प्रयासों के बाद 29 दिसम्बर 2021 को आखिरकार पनबिजलीघर की पहली इकाई को चालू करने में सफलता हासिल कर ली गई और इसके छह महीनों बाद पनबिजलीघर की चौथी इकाई को भी शुरू कर लिया गया है.

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