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युवाओं के लिए अनूठी मिसाल बने- लालसिंह 'लालू'

युवाओं के लिए अनूठी मिसाल बने- लालसिंह 'लालू'

युवाओं के लिए अनूठी मिसाल बने- लालसिंह 'लालू'

(अपने व्यक्तिगत कामों को छोड़कर गरीबों, वृद्धों, विधवाओं, किसानों, मजदूरों के काम में मन से रूचि लेकर अंजाम तक पहुंचा कर ही दम लेना लालू की पहचान है. यही वजह की क्षेत्र के बच्चे से लेकर बुजर्गों तक लालू का नाम गूंजता है. समाज सेवा की अनुपम मिसाल पेश कर रहें लालू का जीवन एक लम्बे संघर्ष की कहानी है.)

 

--सत्यवान 'सौरभ'

 

ईमानदारी, सादगी, विनम्रता, त्याग, संघर्ष और वैचारिक प्रतिबद्धता की अनूठी मिसाल छात्र जीवन से ही समाज सेवा से जुड़े रहें. राजनैतिक पार्टियों की आपसी कलह बार-बार टूटने और बिखरने के दौर में भी लालसिंह लालू ऐसे चंद युवा नेताओं में से है जिन्होंने हमेशा राग-द्वेष से मुक्त रहते हुए साथियों - कार्यकर्ताओं को अपने साथ जोड़ने का काम किया है. अपने स्कूली और कॉलेज के दिनों में सहपाठियों की पहली पसंद रहें लालू आज भिवानी के सिवानी ब्लॉक के भाजपा मंडल के अध्यक्ष है.

 

अपने व्यक्तिगत कामों को छोड़कर गरीबों, वृद्धों, विधवाओं, किसानों, मजदूरों के काम में मन से रूचि लेकर अंजाम तक पहुंचा कर ही दम लेना लालू की पहचान है. यही वजह की क्षेत्र के बच्चे से लेकर बुजर्गों तक लालू का नाम गूंजता है. समाज सेवा की अनुपम मिसाल पेश कर रहें लालू का जीवन एक लम्बे संघर्ष की कहानी है. शुरूआती जीवन में सुनाई न देने की समस्या से जूझते हुए स्कूल और कॉलेज में अव्वल रहने के साथ-साथ अन्य कार्यों में भागीदारी ही नहीं सहपाठियों का मन जीतना लालसिंह के लिए जीवन की एक लय बन गया और वही से पैदा हुआ सबका लालू.  

 

सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक समस्याओं पर लालू के विचार बड़े निर्भीक है. अपने राजनीतिक विरोधियों के प्रति सदैव सम्मान और सद्भाव का व्यवहार इनकी विशेषता है. लालू ने गरीब, शोषित, पीड़ित, किसान, मजदूर और सर्वहारा वर्ग के लिए सतत संघर्ष किया है. इनका राजनीतिक एवं सामाजिक व्यक्तित्व विवाद रहित, जुझारू और उपलब्धियों के हिसाब से कांटो भरा रहा है मगर उन्होंने समझौते नहीं किए और संघर्ष का रास्ता अपनाया. इसी का परिणाम है आज लालसिंह लालू एक युवा राजनीतिक नेता, समाज सुधारक और विचारक के रूप में जाने जाते हैं. अगडे-पिछड़े, दलित और वंचितों की लड़ाई में आगे बढ़कर नेतृत्व करते है लेकिन कभी वैमनस्य पैदा नहीं होने देते.

 

अपने कर्तव्यों के प्रति निष्ठा रखने वाले लोग जो जनसेवा को भगवान का प्रसाद व आशीर्वाद मान कर निस्वार्थ भाव से नित्य करते रहते हैं, उन्हीं महानुभावों की कड़ी में एक व्यक्तित्व लालसिंह लालू भी है । जिन्होंने गांव का विकास, अंधविश्वास का नाश के साथ समाज के धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए स्वयं को समर्पित किया हुआ है। हरियाणा के भिवानी के गाँव बड़वा के सरकारी स्कूल से मैट्रिक परीक्षा पास की. इनके दादा स्वर्गीय किशनराम जी गाँव के सरपंच रहने के साथ-साथ एक विशाल व्यक्तित्व के धनी रहे जिसके फलस्वरूप उस ज़माने के कदावर नेताओं के साथ-साथ तत्कालीन मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों, सांसदों का इनके घर आना होता था तो लालसिंह के मन में राजनितिक और सामाजिक कार्यों की लहरें उठना स्वाभाविक था.

 

1990 के दौर में जब भारत डिजिटल क्रांति की तरफ अपने कदम बढ़ा रहा था तो गाँव के युवा लालू ने अपने खर्चे पर कंप्यूटर खरीदकर गाँव में कंप्यूटर शिक्षा की अलख जगाई और बेहद कम फीस में गाँव के युवाओं को डिजिटल शिक्षा की और अग्रसर किया. महिला शिक्षा को बढ़ावा देने में लालू का अहम योगदान है. गाँव के लड़के-लड़कियों के शिक्षा और नौकरी से सम्बंधित फार्म भरना और उनके पेपर दिलवाने में सहायता करना इनको शुरू से ही पसंद रहा है. यही वजह की आज क्षेत्र के हज़ारों युवा सरकारी और प्राइवेट नौकरी में अच्छे पदों पर पहुंचकर लालसिंह को अपनी सफलता का श्रेय देते है.

 

क्षेत्र की संस्थाओं और सरकारी योजनाओं से गरीबों को उनके हक़ की सहायता दिलवाकर उनके साथ बहुत ही भावात्मक रिश्ता बनाने वाले लालसिंह संघर्ष की मिसाल है. खुद डबल मास्टर डिग्री होने के बावजूद सरकारी नौकरी नहीं पा पाए. मगर औरों के लिए मिसाल बने. विगत चार दशकों से शिक्षा-जगत् से जुड़े हैं तथा एक आदर्श शिक्षक के रूप में इनकी प्रतिष्ठा है। इनके दर्जनों शिष्य उच्च पदों पर कार्यरत हैं।  

 

गाँव के सरकारी स्कूल में हिंदी एवं गणित का अध्यापक न होने पर लालसिंह ने कई सालों तक फ्री में अपनी सेवाएं दी. खेलों में रूचि को देखते हुए गाँव में पहली खेल प्रतियोगिता आयोजित करने में अहम भूमिका निभाई. इन सबके साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण हेतु हर वर्ष पौधरोपण अभियान चलाते है. कोरोना काल महामारी में इन्होंने स्वास्थ्य विभाग की टीमों के साथ ड्यूटी देकर पूर्ण सहयोग किया। समाज को इस बीमारी से सतर्क किया और इसके बचाव के बारे में अवगत कराया। लालसिंह लालू कहते है संघर्ष कीजिए, निराश होने की आवश्यकता नहीं है.

 

( लेखक देश के चर्चित रिसर्च स्कॉलर, कवि,स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, आकाशवाणी एवं टीवी पेनालिस्ट है। )

 

 

 

 

 

 -सत्यवान 'सौरभ', 

 

रिसर्च स्कॉलर, कवि,स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, आकाशवाणी एवं टीवी पेनालिस्ट,

 

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नोट- आपको प्रकाशनार्थ भेजी गई मेरी रचना/आलेख/ कविता/कहानी/लेख नितांत मौलिक और अप्रकाशित है।

 

 

 

 

 

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