image

Mahatma Gandhi Kashi Vidyapeeth : अब वोकेशनल कोर्सों के लिए भी देना होगा परीक्षा शुल्क

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के स्नातक पाठ्यक्रमों में भी सेमेस्टर प्रणाली लागू कर दी गई है। ऐसे में अब वर्ष में दो बार परीक्षा हो रही है। वहीं परीक्षार्थियों को परीक्षा शुल्क अब दो बार देना होगा।

जागरण संवाददाता, वाराणसी : राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के स्नातक पाठ्यक्रमों में भी सेमेस्टर प्रणाली लागू कर दी गई है। ऐसे में अब वर्ष में दो बार परीक्षा हो रही है। वहीं परीक्षार्थियों को परीक्षा शुल्क अब दो बार देना होगा। यही नहीं अब वोकेशनल व स्किल डेवलमेंट कोर्सों की परीक्षा के लिए छात्रों को अतिरिक्त शुल्क देना होगा।

काशी विद्यापीठ की परीक्षा समिति ने स्किल डेवलपमेंट की परीक्षाएं संबद्ध कालेजों अपने स्तर से कराने का निर्देश दिया है। परीक्षा कराने के बाद कालेजों को स्किल डेवलपमेंट का अंक को विश्वविद्यालय के पोर्टल पर अपलोड कराना है। वहीं कई संबद्ध कालेज शुल्क के अभाव में स्किल डेवलपमेंट की परीक्षा कराने में हीलाहवाली कर रहे थे। इसे देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्किल डेवलपमेंट की परीक्षा के लिए 250 रुपये शुल्क निर्धारित कर दिया है। ऐसे में विद्यार्थियाें को 250 रुपये प्रति सेमेस्टर अलग से शुल्क देना होगा।

कुलसचिव डा. सुनीता पांडेय के मुताबिक इसमें अध्यापन के अलावा परीक्षा के प्रश्नपत्रों का निर्माण, उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन सहित अन्य कार्य शामिल है। उन्होंने बताया कि एनईपी के तहत अब स्नातक स्तर पर मिड टर्म की परीक्षा भी अनिवार्य कर दी गई है। ऐसे में मिड टर्म की परीक्षा के प्रश्नपत्रों, उत्तर पुस्तिकाओं के निर्माण व मूल्यांकन के लिए संबद्ध कालेज विद्यार्थियों से 100 रुपये अतिरिक्त ले सकते हैं। उन्होंने बताया कि यह व्यवस्था राजकीय, अनुदानित व स्ववित्तपोषित सभी महाविद्यालयों पर समान रूप से लागू होगी। इसका आदेश भी जारी कर दिया गया है।

काशी विद्यापीठ में साक्षात्कार के 16 साल बाद हुई नियुक्ति

सुप्रीम कोर्ट के आदेश क्रम में डा. दिनेश चंद्र शुक्ल ने मंगलवार को महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के संस्कृत विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर कार्यभार ग्रहण कर लिया। चयन समिति ने उनकी नियुक्ति की संस्तुति वर्ष 11 नवंबर 2007 में ही की थी। ऐसे में साक्षात्कार के करीब 15 साल बाद काशी विद्यापीठ ने नियुक्ति का आदेश जारी किया। काशी विद्यापीठ के संस्कृत विभाग में कर्मकांड पढ़ाने के लिए डा. दिनेश चंद्र की नियुक्ति वर्ष 2006 में हुई थी। वर्ष 2006 में ही संस्कृत विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्ति के लिए जारी विज्ञापन में डा. दिनेश चंद्र ने भी आवेदन किया। उनकी नियुक्ति के लिए चयन समिति ने संस्तुति भी कर दी लेकिन विभागीय टिप्पणियों में उनकी ज्वाइनिंग फंस गई। इसके खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट से अपील खारिज होने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली। सुप्रीम कोर्ट ने काशी विद्यापीठ ने डा. दिनेश चंद्र को असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर कार्यभार ग्रहण कराने का निर्देश दिया। ऐसे में लंबी कानूनी लड़ाई के बाद डा. दिनेश चंद्र को असिस्टेंट प्रोफेसर का पद मिला है।

Post Views : 287

यह भी पढ़ें

Breaking News!!