भगवान शिव को अति प्रिय है यह माह, कई त्योहार इसे बनाते हैं खास
भगवान शिव को प्रिय सावन माह आरंभ हो गया है। मान्यता है कि प्रत्येक वर्ष सावन माह में भगवान शिव अपनी ससुराल आते हैं। इस महीने भगवान शिव की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। श्रावण मास में ही समुद्र मंथन
भगवान शिव को प्रिय सावन माह आरंभ हो गया है। मान्यता है कि प्रत्येक वर्ष सावन माह में भगवान शिव अपनी ससुराल आते हैं। इस महीने भगवान शिव की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। श्रावण मास में ही समुद्र मंथन हुआ जिसमे निकले हलाहल विष को भगवान शिव ने ग्रहण किया, जिस कारण उन्हें नीलकंठ नाम मिला। श्रावण माह में कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व है।
श्रावण माह में दो एकादशी आती हैं, जिसमें पुत्रदा एकादशी शुक्ल पक्ष में आती है और कामिका एकादशी कृष्ण पक्ष एकादशी है। सावन माह में जितने भी सोमवार आते हैं उनका विशेष महत्व है। श्रावण शुक्ल पक्ष की तृतीया को तीज का त्योहार मनाया जाता है। नाग पंचमी का त्योहार भी इस माह शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। श्रावण पूर्णिमा पर रक्षाबंधन का पावन पर्व मनाया जाता है। सावन माह में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा हमेशा परिवार के साथ मिलकर करनी चाहिए। ऐसा करने से परिवार में खुशियां आती हैं और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। श्रावण माह में सुंदर कांड, रामायण, भागवत कथा का वाचन एवं श्रवण अवश्य करें। इस माह दान का विशेष महत्व है। श्रावण मास में ही माता पार्वती ने तपस्या कर भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न किया और उन्हें पति रूप में प्राप्त किया। श्रावण मास में सूर्यदेव राशि परिवर्तन करते हैं, जिसका प्रभाव सभी 12 राशियों पर पड़ता है। इस माह भगवान शिव और माता पार्वती की अपने भक्तों पर असीम अनुकंपा रहती है। भगवान श्री हरि विष्णु चातुर्मास के चार माह योगनिद्रा में रहते हैं, ऐसे में सम्पूर्ण मानव जाति और पृथ्वी की देखरेख भगवान शिव के हाथ में होती है। माना जाता हैं कि सावन सोमवार का व्रत करने से नवग्रह दोष दूर हो जाते हैं। समस्त इच्छाएं पूर्ण होती हैं। सावन माह में आने वाले सोमवार में भगवान शिव को घी, शक्कर और गेहूं के आटे से बने पंचमेवा प्रसाद का भोग लगाएं।