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पेट्रोल-डीजल के दाम रोजाना निर्धारित करने वाला नियम हो सकता है खत्म

अप्रैल से अब तक कच्चा तेल130 डॉलर से उतरकर 103 डॉलर हो चुका है। डीजल विदेशी बाजार में एक माह में 14 फीसदी सस्ता हुआ है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोल के एक माह में 17 फीसदी घटे हैं दाम।

उपभोक्ताओं को सस्ता पेट्रोल-डीजल उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने कवायद तेज कर दी है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का फायदा तेल विपणन कंपनियों देश में उपभोक्ताओं को नहीं दिया है। ऐसे में सरकार ईंधन उत्पादों के दैनिक मूल्य निर्धारण की नीति की समीक्षा करना चाह रही है।
एक मई, 2017 से पांच शहरों में दैनिक आधार पर पेट्रोल-डीजल के दाम की समीक्षा करने की व्यवस्था शुरू हुई थी, जबकि रसोई गैस और विमान ईंधन के मामले में इसे 15 दिन पर किया जाता है।

मामले से जुड़े तीन सूत्रों ने कहा कि सरकार मौजूदा वाहहन ईंधन मूल्य निर्धारण व्यवस्था की समीक्षा कर सकती है क्योंकि सरकारी तेल विपणन कंपनियों ने सात अप्रैल से पेट्रोल पंप पर दरों में दैनिक परिवर्तन बंद कर दिया है, जबकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जून के पहले पखवाड़े की तुलना में जुलाई में यानी एक माह में पेट्रोल की कीमत में 17 फीसदी से अधिक और डीजल में 14 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है। सरकार ने जब मई में पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती की तो कंपनियों ने केवल उतनी ही राशि कीमतों में कम की और अपनी ओर से कोई रियायत उपभोक्ताओं को नहीं दी।

सूत्रों का कहना है कि सरकार इस बात से सख्त नाराज है कि कच्चे तेल की कीमतें अप्रैल में 130 डॉलर प्रति बैरल थीं और इस समय यह कई बार 100 डॉलर प्रति बैरल से भी नीचे जा चुका है। इसके बावजूद कंपनियों ने दाम नहीं घटाए। सोमवार को वैश्विक मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 1.82 प्रतिशत बढ़कर 102.98 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था।

दाम में तेज उतार-चढ़ाव से राहत मिलेगी

आईआईएफएल के उपाध्यक्ष अनुज गुप्ता का कहना है कि रोजाना दरों की समीक्षा की बजाय साप्ताहिक या 15 दिन पर (पाक्षिक) आधार पर समीक्षा होती है तो उसमें औसत दाम को आधार बनाया जा सकता है। इससे पेट्रोल-डीजल के दाम में तेज उतार-चढ़ाव से उपभोक्ताओं को राहत मिल सकती है। वहीं कंपनियों के पास भी यह कहने का मौका नहीं रहेगा कि उन्हें नुकसान हो रहा है। हालांकि, सरकार के फैसले के बाद ही पूरी स्थिति स्पष्ट होगी।

तेल कंपनियों का घाटे का दावा

पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कमी नहीं करने के लिए तेल कंपनियां घाटे का तर्क देती हैं। निजी क्षेत्र की तेल कंपनियों का कहना है कि उन्हें डीजल की बिक्री पर प्रति लीटर 20 से 25 रुपये और पेट्रोल पर 14 से 18 रुपये प्रति लीटर का नुकसान हो रहा है। इन कंपनियों ने पेट्रोलियम मंत्रालय को पत्र लिखा है और सरकार से इस समस्या का उचित कदम उठाने की मांग की है।

वहीं सीएलएसए की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 12 डॉलर प्रति बैरल के अप्रत्याशित लाभ कर की वजह से शोधन से प्राप्त लाभ घटकर महज दो डॉलर प्रति बैरल रह गया। इसी तरह निर्यात कर के बाद डीजल पर लाभ भी 26 डॉलर प्रति बैरल से घटकर सिर्फ दो डॉलर प्रति बैरल रह गया है।

तेल कंपनियों ने दाम नहीं घटाए

इस घटनाक्रम के बारे में जानकारी रखने वाले तीन सूत्रों ने हिन्दुस्तान टाइम्स से कहा कि मौजूदा नीति के अनुसार तेल विपणन कंपनियों को इस महीने ईंधन की कीमतों में कमी करनी चाहिए थी लेकिन उन्होंने अब तक ऐसा नहीं किया है।

सरकार ने कम किया था उत्पाद शुल्क

केंद्र सरकार ने मई के अंतिम सप्ताह में आम आदमी को बड़ी राहत देते हुए पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में क्रमशः आठ रुपये और छह रुपये प्रति लीटर की कटौती करने की घोषणा की थी। इससे पेट्रोल-डीजल के दाम क्रमशः 9.5 रुपये और सात रुपये प्रति लीटर तक गिर गए थे। देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें मूल्य वर्धित कर (वैट) और माल ढुलाई शुल्क के आधार पर राज्यों में अलग-अलग हैं।

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