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दिल्ली में शराब ठेकों के बाहर फिर लंबी लाइनें, 'लॉकडाउन' वाला नजारा; इस डर से लोग जमा कर रहे स्टॉक

दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने नई आबकारी नीति पर यू-टर्न लेते हुए फिलहाल इसे वापस लेने का फैसला किया है और सरकार द्वारा संचालित दुकानों के जरिए शराब की बिक्री किए जाने का निर्देश दिया है।

राजधानी दिल्ली में शराब ठेकों के बाहर शनिवार सुबह से एक बार फिर लंबी-लंबी कतारें देखी जा रही हैं। दरअसल, दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति पर यू-टर्न लेते हुए फिलहाल इसे वापस लेने का फैसला किया है। इस कारण शराब की दुकानें बंद होने के डर से लोग स्टॉक जमा कर रहे हैं।

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शनिवार को बताया कि दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति पर यू-टर्न लेते हुए फिलहाल इसे वापस लेने का फैसला किया है और सरकार द्वारा संचालित दुकानों के जरिए शराब की बिक्री किए जाने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के मुख्य सचिव को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि शराब अब केवल सरकारी दुकानों के माध्यम से बेची जाए और कोई अराजकता न हो।

नई आबकारी नीति के तहत दिल्ली में चल रहीं 468 निजी शराब की दुकानें 1 अगस्त से उनके लाइसेंस की अवधि खत्म होने के चलते बंद हो जाएंगी। इस नीति की अवधि को 30 अप्रैल के बाद दो बार दो-दो महीने के लिए बढ़ाया गया था। यह अवधि 31 जुलाई को समाप्त होगी।  

सिसोदिया ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि वे (भाजपा) गुजरात में अवैध शराब का कारोबार चला रहे हैं और वे अब दिल्ली में भी ऐसा ही करना चाहते हैं।

सिसोदिया ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा शराब की दुकानों के लाइसेंसधारियों और आबकारी अधिकारियों को धमकाने के लिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसी एजेंसी का इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने कहा कि कई लाइसेंसधारियों ने अब दुकानें बंद कर दी हैं और आबकारी अधिकारी खुदरा लाइसेंस की खुली नीलामी शुरू करने को लेकर डरे हुए थे।

सिसोदिया ने कहा कि वे शराब की कमी पैदा करना चाहते हैं ताकि वे दिल्ली में शराब का अवैध व्यापार कर सकें, जैसा कि वे गुजरात में कर रहे हैं, लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे। 

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