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देवों का कल्याण करने को जन्मे शिवनन्दन

डीके श्रीवास्तव

आगरा । श्रीशिवमहापुराण में कुमार कार्तिकेय का चरित्र यह सिद्ध करता है कि सृष्टि के कारण भगवान शिव के तेज से उत्पन्न होने के बाद भी कुमार कार्तिकेय अपने बल, पराक्रम, बुद्धि, चातुर्य तथा कौशल की परीक्षा देते हैं, तब कहीं जाकर देवसेनापति होने का गौरव प्राप्त करते हैं।' नगला डीम में चल रही शिव महापुराण कथा में पांचवे दिन कथावाचक डॉ. दीपिका उपाध्याय ने कुमार कार्तिकेय के जन्म की दिव्य कथा सुनाई। श्रावण मास में शिव कथा सुनने का विशेष महत्व है। शिव भक्तों की भीड़ प्रतिदिन नगला डीम में शिव कथा सुनने के लिए उमड़ रही है। आज कथा के पांचवें दिन जब कुमार कार्तिकेय के जन्म की कथा सुनाई गई तो श्रोता भावविभोर हो उठे।

 तारकासुर के अत्याचारों से पीड़ित होकर जब देवता ब्रह्मा जी के पास पहुंचे तो ब्रह्मा जी ने कहा कि वह तारकासुर को वरदान दे चुके हैं कि भगवान शिव से उत्पन्न पुत्र के द्वारा ही उसका वध होगा। देवताओं के अनुरोध पर ब्रह्मा जी उनके साथ शिव जी के पास गए और सती के वियोग से दुखी महादेव को पुनः विवाह बंधन में बंधने का अनुरोध किया। माता पार्वती एवं भगवान शिव दोनों ही देवताओं के धैर्य की परीक्षा ले रहे थे। अंततः भगवान शिव ने देवों का मनोरथ सिद्ध करने का वचन दिया और तब कहीं जाकर शिवनंदन कुमार कार्तिकेय अवतरित हुए। 

कृतिकाओं के पुण्य कर्मों का फल देने के लिए कुमार ने उनकी गोदी में बड़ी सुंदर बाल लीलाएं की। कुमार का लालन-पालन कृतिकाओं ने बड़े ही प्रेम से किया। माता पार्वती ने जब यह जाना कि भगवान शिव का पुत्र जन्म चुका है तो नंदीश्वर को गणों के साथ कुमार को ढूँढने भेजा। कुमार को लेकर समस्त गण बाजे बजाते हुए कैलाश पर आए। माता पार्वती के द्वार पर बड़ा ही महान उत्सव हुआ।

 संयोग से तभी तारकासुर ने भी देवताओं पर आक्रमण कर दिया और भीषण देवासुर संग्राम छिड़ गया। बलशाली तारकासुर पराक्रमी एवं चपल कुमार कार्तिकेय के हाथों परास्त हुआ। तारकासुर के वध से देवता बड़े प्रसन्न हुए और सृष्टि में सब ओर आनंद छा गया। कार्तिकेय ने तारकासुर के साथ सभी अन्य राक्षसों का भी वध कर दिया।

 कुमार कार्तिकेय का यह प्रसंग मनोरथ पूर्ण करने वाला, कामना पूर्ति करने वाला, आयु बढ़ाने वाला, युद्ध में विजय प्रदान करने वाला तथा मुक्ति प्रदाता है। अतः इस प्रसंग को बड़े ही प्रेम से सुनकर कुमार कार्तिकेय को बार-बार प्रणाम करना चाहिए।

इस अवसर पर होतीलाल, गोरेलाल, राजेश, वीरेन्द्र, मनोज, मुरारी लाल, जितेन्द्र, पीतम सिंह, थान सिंह आदि उपस्थित रहे।

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