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गुरुदीपिका योगक्षेम फाउण्डेशन ने दिया पर्यावरण संरक्षण का संदेश

डीके श्रीवास्तव

आगरा। गुरुदीपिका योगक्षेम फाउण्डेशन द्वारा आगरा के ग्राम नगला डीम में पौधारोपण किया गया। श्रीशिवमहापुराण कथा के दौरान सुप्रसिद्ध कथावाचक डा. दीपिका उपाध्याय ने सभी भक्तों को प्रकृति की रक्षा का संदेश दिया। प्रसाद के रुप में सभी ग्रामवासियों को तुलसी के पौधे वितरित किए। गुरुदीपिका योगक्षेम फाउण्डेशन के निदेशक रवि शर्मा ने बताया कि फाउंडेशन के तत्त्वावधान में मंदिर परिसर में तुलसी के बिरवे लगाकर धरती को हरा भरा रखने का संकल्प लिया गया है।
'भक्तों के श्राप को भी भगवान सहर्ष धारण करते हैं। चाहे तुलसी हो, राधा हो या नारद- श्री हरि भक्तों के श्राप को भी हंसकर ग्रहण करते हैं और यही कारण है कि भगवान शिव को जितने श्री हरि प्रिय है उतना कोई नहीं। कारण स्पष्ट है श्रीहरि भगवान शिव के समान श्राप रुपी विष को भी हंसते हंसते पी जाते हैं।' शंखचूड़ और तुलसी का प्रसंग सुनाते हुए यह प्रवचन कथा वाचक डॉ. दीपिका उपाध्याय ने कहे।
 आगरा के ग्राम नगला डीम में चल रही श्री शिव महापुराण कथा का आज आठवां दिन था। आगरा की सुप्रसिद्ध कथावाचक डॉ दीपिका उपाध्याय की कथा सुनने के लिए ग्राम वासी ही नहीं बल्कि दूर दूर से भी शिव भक्त जुट रहे हैं।
 शंखचूड़ के पूर्व जन्म का वृतांत सुनाते हुए कथावाचक ने बताया कि यह भगवान शिव की माया का प्रभाव था जिसके कारण गोलोक में भगवान श्री कृष्ण का अनन्य भक्त श्रीकर नामक गोप राधा जी के श्राप से शंखचूड़ नामक दैत्य बन गया। राधा भी आंशिक शक्ति से तुलसी के रूप में आयीं। दोनों का विवाह हुआ।
 भगवान शिव ने दैत्य को मुक्त करने के लिए उसका वध करना चाहा किंतु तुलसी के सतीत्व के कारण न कर सके।
 श्री हरि ने तुलसी के साथ छल किया तब भगवान शिव ने शंखचूड़ का वध किया। तुलसी का शरीर गंडकी नदी बन गया। आज भी शालग्राम शिला के रुप में श्री हरि नदी में विराजते हैं।
 आगे भगवान शिव के अनन्य भक्त बाणासुर की कथा सुनाते हुए कथावाचक डा. दीपिका उपाध्याय ने बताया कि बाणासुर के नृत्य से प्रसन्न हो कर भगवान शिव उस असुर की नगरी में वास करने लगे। भगवान श्री कृष्ण और बाणासुर के बीच भगवान शिव की माया से बैर हो गया। एक हजार भुजाओं से युक्त बाणासुर बड़ा ही अभिमानी था। उस अभिमानी दैत्य की भगवान श्रीकृष्ण ने चार भुजाएं छोड़कर शेष काट दी। तब बाणासुर ने भगवान श्रीकृष्ण से मैत्री की और अपनी पुत्री उषा का विवाह भगवान श्री कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध के साथ कर दिया।
कथा के दौरान डा. राहुल शर्मा ने मंच व्यवस्था संभाली।
इस अवसर पर होतीलाल, पीतम सिंह, राजेश, वीरेंद्र, जितेन्द्र, मनोज, टिंकू आदि उपस्थित रहे।

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