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सरोजनी नगर लखनऊ के प्राथमिक विद्यालय अलीनगर खुर्द में बच्चों ने मनाया हिंदी दिवस

रीना त्रिपाठी

लखनऊ। प्राथमिक स्तर पर बच्चों मे हिन्दी का रुझान काफी अच्छा रहता है बच्चों को स्वर और व्यंजन का ज्ञान कराते हुए वर्णमाला मात्रा  ज्ञान, शब्द और अनुच्छेदों का वाचन कराना जिस प्रकार प्रत्येक अध्यापक का कर्तव्य होता है उसी प्रकार खेल खेल में हिंदी सिखाना और सीखना बच्चों का रोचक विषय हमेशा से रहा है ।
        आम जीवन में हिंदी के महत्व को बताते हुए शिक्षिका रीना त्रिपाठी ने बताया....
         हिंदी की पहेलियां ,अंताक्षरी गीत और कविताएं जहां एकओर बच्चों को एक दूसरे से अपने मन की भावनाओं को कहने को प्रेरित करती हैं ,वहीं दादी और नानी की कहानियों में हिंदी के बड़े-बड़े व्याख्यान अक्सर बच्चों को सुनने में मिलते हैं। मीठी लोरियां और कहानियां सुनकर अक्सर हिंदी भाषी प्रदेशों के बच्चे बड़े होते हैं।
           
 14 सितम्बर को हम बड़े गर्व के साथ विश्व की प्राचीन समृद्ध ,सरल भाषा हिंदी पर गर्व करते हुए हिंदी दिवस आयोजित करते हैं ।हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा होने के साथ ही पूरे विश्व में यह हमें मान सम्मान ,स्वाभिमान और गर्व दिलाती है हिंदी बोली जाने वाली विश्व की तीसरी बड़ी भाषा है पूरे देश में बेसिक स्तर पर बच्चों को हिंदी का ज्ञान कराना अनिवार्य होना चाहिए।
         निश्चित रूप से कश्मीर से कन्याकुमारी, गुजरात से गुजरात से असम तक यदि आप विभिन्न प्रदेशों का भ्रमण करते हैं और उनकी स्थानीय भाषा से रूबरू होते हैं तो शायद आप हिंदी भाषी होने के कारण कुछ कठिनाई का अनुभव भी करें.....
 क्योंकि वहां या तो लोग अपनी क्षेत्रीय भाषा जानते हैं या अंग्रेजी। 
     जैसा की सर्वविदित है देश के विभिन्न प्रदेशों में यदि आप जाते हैं तो वहां पर प्राइमरी स्तर से ही अंग्रेजी और वहां की क्षेत्रीय भाषा विषय के रूप में पढ़नी अनिवार्य होती है और लगभग प्रत्येक व्यक्ति इन दोनों में पारंगत होते हैं अब प्रश्न यह उठता है यदि दो भाषाएं विषय के रूप में पढ़ी जा सकती हैं तो फिर हिंदी को अनिवार्य रूप से विषय के तौर पर पूरे देश में एक समान रूप से क्यों नहीं लागू किया जा सकता????
            राष्ट्रभाषा सभी के लिए सम्मानित है देश के एक कोने में बैठा हुआ गांव क्षेत्रीय भाषा और हिंदी के ज्ञान के साथ  यदि कोई व्यक्ति रामेश्वरम , जगानाथ पुरी, मदुरै, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश या महाराष्ट्र की यात्रा में जाता है तो उसे इस बात का गर्व होना चाहिए कि उसे हिंदी आती है ।वहां जाकर स्थानीय लोगों से वह बात कर सकता है जबकिअभी वर्तमान स्थिति ऐसी नहीं है।
   हिन्दी हमारे देश की सम्पर्क भाषा है जिसे सभी प्रान्तों में आसानी से बोला और समझा जाता है। आज विश्व में भी हिन्दी भाषा का तेजी से प्रसार हो रहा है। ऐसे में हमारा कर्त्तव्य है कि हम क्षेत्रवाद और प्रान्तीयता की भावना से ऊपर उठकर  हिन्दी को भारत की राष्ट्रभाषा लिखा पढ़ी नहीं रही वास्तव में बनाने में सहयोग करें।
       उपभोक्तावादी वैश्वीकरण के इस युग में जितना शीघ्र हम हिंदी में बेचना सीख जाएंगे, कॉर्पोरेट घराने की बड़ी-बड़ी मीटिंग में या इंजीनियर और डॉक्टर बनने की भाषाओं में अंग्रेजी की जगह हिंदी का वर्चस्व स्थापित कर पाएंगे निश्चित रूप से वह दिन सभी राष्ट्रवादी यों के लिए गर्व का दिन होगा।

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