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जनकपुरी महोत्सव आयोजन समिति द्वारा काटे गए हरे पेड़, कुंभकर्णी नींद में सोया वन विभाग

संतोष शर्मा वरिष्ठ पत्रकार

आगरा ।  दयालबाग क्षेत्र में जनकपुरी महोत्सव की आड़ में आयोजन समिति के पदाधिकारियों ने सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों को दरकिनार कर दसकों पुराने हरे भरे लहलहाते हुए वृक्षों को काट दिया है । ख़ास बात यह है कि कुंभकर्णी नींद में सोया हुआ वन विभाग और प्रशासनिक अमला इस पर कोई संज्ञान नहीं ले पा रहा है । जबकि सच्चाई यह है कि जनकपुरी महोत्सव आयोजन समिति कार्यालय के आसपास बड़ी संख्या में हरे पेड़ों को काट दिया गया है ।
     बता दें कि सरकारें पर्यावरण संरक्षण पर प्रत्येक वर्ष करोड़ों रुपए का व्यय करतीं आ रही है और देश भर में पर्यावरण बचाने का जनजागरण अभियान चलातीं आ रही है । किंतु यहां तो पर्यावरण के विषय पर बड़ी बड़ी बातें करने वाले और समस समय पर वृक्षों के साथ फ़ोटो खिंचाने वाले कथित समाजसेवियों द्वारा हरे भरे पेड़ों को नेस्तनाबूद कर पर्यावरण बचाओ अभियान को पलीता लगाया जा रहा है । 
      हरे पेड़ों को काटना कानूनन और शास्त्र सम्मत दोनों हीं रूप में अक्षम्य अपराध है । बड़ी संख्या में हो रही पेड़ों की कटाई पर वन विभाग और प्रशासनिक अमला मौन क्यों हैं ? पेड़ों की अंधाधुंध कटाई का विडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है , वीडियो वायरल होने के बावजूद अधिकारी संज्ञान क्यों नहीं ले रहे हैं ?
पेड़ों के हत्यारों पर प्रशासन महरवान क्यों है ? क्या आम आदमी और ख़ास आदमी के लिए कानून के दो पैमाने है ? अब देखने वाली बात होगी कि वन विभाग और प्रशासनिक अमला इन पेड़ों के हत्यारों पर कोई कार्रवाई अमल में लात है या फिर इसी तरह प्रथ्वी के श्रंगार को मिटाने का क्रम जारी रहेगा ।

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