रत्ना पाठक शाह ने खोली पुरानी पोल, बताया बॉलीवुड में किसे नहीं मिला हक
रतना पाठक शाह ने फिल्म इंडस्ट्री में उन्हें अपना हक नहीं मिलने के बारे में पोल खोली और कहा कि कैसे कई अभिनेता हैं, उदाहरण के लिए दीप्ति नवल, जिन्हें शायद ही कभी अच्छी फिल्मों में अवसर दिए गए थे।
अभिनेत्री रत्ना पाठक शाह बॉलीवुड की उन एक्टर में से हैं जो किसी भी टॉपिक पर अपने विचार और राय खुलकर सामने रखती हैं। बॉलीवुड में लंबे समस ये जुड़े रहने वाली रतना पाठक शाह मंडी (1983) और मिर्च मसाला (1987) जैसी फिल्मों के साथ बॉलीवुड की कई फिल्म और टीवी शो का हिस्सा रही हैं। उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में उन्हें अपना हक नहीं मिलने के बारे में पोल खोली और कहा कि कैसे कई अभिनेता हैं, उदाहरण के लिए दीप्ति नवल, जिन्हें शायद ही कभी अच्छी फिल्मों में अवसर दिए गए थे।
रत्ना अभी अपनी अगली फिल्म कच्छ एक्सप्रेस के लिए प्रमोशन कर रही हैं। उन्होंने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा कि कैसे एक स्टार सिस्टम था जो न केवल कमर्शियल सिनेमा का एक हिस्सा था, बल्कि यह 1980 के दशक में कला फिल्म सर्किट में भी एंट्री कर गया था। एक बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि आप उस जमाने की फिल्में देखें, दीप्ति नवल जैसे कमाल की एक्ट्रेस को कितने रोल मिले उस तरह की फिल्मों में? वही चार थे ना बंदे - नसीर, ओम, शबाना, स्मिता! उन्होंने नसीर (नसीरुद्दीन शाह), ओम (पुरी), शबाना (आजमी), स्मिता (पाटिल!) के बारे में बात की।
उन्होंने अपनी बहन सुप्रिया पाठक और उनके पति पंकज कपूर की बारे में बात की और जोर देकर कहा कि ऐसे कई अभिनेता थे जिन्हें गैर-व्यावसायिक सिनेमा में भी उनका हक नहीं मिला। रत्ना ने कहा कि कैसे टेलीविजन एक ऐसी जगह थी जहां वह एक अभिनेता के रूप में विकसित हो सकती थी और कई अलग-अलग चीजों को आजमा सकती थी । उन्होंने कहा कि वह एक बहुत अच्छा समय था। उसमें सीखने का अवसर मिला, कॉमेडी के वजह से सीखने का अवसर मिला।
गौरतलब हो कि दीप्ति ने पिछले साल साहित्य आजतक चर्चा में शेयर किया था कि शादी के बाद उन्हें एक्टिंग रोल मिलने बंद हो गए थे। उन्होंने कहा था कि यह ऐसा था जैसे मेरी प्रतिभा पूरी तरह से मिट गई थी। जो हुआ, मैं उस दौर से गुजरी। कई साल ऐसे थे जब मेरे पास कोई काम नहीं था। मुझे नहीं पता था कि क्या हो रहा है क्योंकि मैंने हमेशा खुद को एक कलाकार के रूप में देखा। अगर आपको काम नहीं मिलता है, तो आप कौन हैं? मुझे अपना रास्ता वापस खोजना पड़ा। वह उन चीजों में से एक थी जिसने मुझे अवसाद में डाल दिया।