लखनऊ। राज्य सूचना आयुक्त डॉ दिलीप अग्निहोत्री ने कहा कि करीब चार दशकों की प्रतीक्षा के बाद भारत को नई शिक्षा नीति मिली है। यह पूरी तरह भारतीय परिवेश के अनुरूप है। विद्यार्थियों के सर्वागीण विकास का अवसर मिल रहा है। भारत कभी विश्व गुरु हुआ करता था। दुनिया के अनेक देशों से लोग यहां ज्ञान-विज्ञान की प्राप्ति के लिए आते थे। नई शिक्षा नीति देश को उसी गौरव की ओर अग्रसर करेगी। राज्य सूचना आयुक्त राष्ट्रीय शिक्षा दिवस पर खुनखुन जी गर्ल्स पीजी कालेज में आयोजित नेशनल सेमिनार को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। प्राचार्य प्रो अंशु केडिया ने राज्य सूचना आयुक्त का स्वागत किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो निशि पांडेय ने की। प्रो मनोज पांडेय और प्रो अरुण कुमार ने भी विचार व्यक्त किए। राज्य सूचना आयुक्त ने कहा कि अंग्रेजों द्वारा भारत में शुरू की गई शिक्षा राष्ट्रीय स्वाभिमान को हीनता में बदलने वाली थी। शिक्षा केवल बाबू बनाने के लिए होगी,तो उससे व्यक्ति समाज और राष्ट्र का अपेक्षित लाभ नहीं हो सकता। मानवीय दृष्टिकोण का भाव भी होना चाहिए। भारत में तो जीवन का अंतिम लक्ष्य मोक्ष बताया गया। उसी के अनुरूप सभी कार्यों का संदेश दिया गया। आधुनिक युग में होने वाले सकारात्मक बदलाव को स्वीकार करना अनुचित नहीं। लेकिन यह सब अपनी महान विरासत के प्रतिकूल नहीं होना चाहिए।
शिक्षा नीति में भाषा सभ्यता संस्कृति सामाजिक मूल्यों को समुचित स्थान मिल रहा है। ऐसी शिक्षा नीति ही राष्ट्रीय स्वाभिमान का जागरण करती है।
उन्होंने कहा कि
सरकार ने भारतीय परिवेश के अनुरूप नई शिक्षा नीति बनाई थी, उस पर अमल चल रहा है। इसमें सांस्कृतिक चेतना के साथ आधुनिक विकास को महत्व दिया गया।
यह एक आत्मनिर्भर भारत के निर्माण से जुड़ी दृष्टि को रेखांकित करने वाली है। स्किल इंडिया से जुड़े कोर्सों की शुरुआत होने लगी है। मातृभाषा में पढ़ाई से गरीबों का बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ रहा है। क्लास छह से व्यावसायिक शिक्षा प्रारंभ की गई।
पांचवीं कक्षा तक मातृभाषा क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई होने लगी। उच्च शिक्षा में अवसर बढ़ रहे है। इसके पाठ्यक्रम में विषयों की विविधता आई है। स्कूली और उच्च शिक्षा दोनों में बहुभाषावाद को बढ़ावा देती है। पाली, फारसी और प्राकृत के लिए राष्ट्रीय संस्थान, भारतीय अनुवाद और व्याख्या संस्थान की स्थापना हो रही है। स्टार्टअप इण्डिया,स्टैण्डअप इण्डिया,अटल इनोवेशन मिशन,प्रधानमंत्री रिसर्च फेलोशिप जैसे अन्य कार्यक्रमों ने देश के युवाओं के लिए नये रास्ते बनाये हैं।शैक्षणिक संस्थानों के परिसर में मूल्यों, आदर्शों तथा राष्ट्रीयता के विपरीत किसी नई धारा को स्थान नहीं मिलना चाहिए।