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लखनऊ। भारतीय चिंतन में धर्म अर्थ काम और मोक्ष का जीवन दर्शन है। इस यात्रा में आस्था और अर्थव्यवस्था है। इसी आधार पर भारत विश्वगुरु पद पर विभूषित रहा है। हमारे उत्सव और आस्था के स्थल इसी विचार का संवर्धन करते है। प्रयागराज महाकुंभ में मानवता और वसुधैव कुटुंबकम् की भावभूमि है। भारत की इस विरासत और धरोहर का यहां प्रत्यक्ष अनुभव किया जा सकता है। आस्था के इस आयोजन से अर्थव्यवस्था में लगभग चार लाख करोड़ रुपए की अभिवृद्धि होगी।