जैन धर्म के सिद्धान्त देते है दुनिया को शान्ति का संदेश : डा दिनेश शर्मा

लखनऊ । राज्यसभा सांसद एवं यूपी के पूर्व उपमुख्यमंत्री डा दिनेश शर्मा ने कहा कि जैन धर्म के सिद्धान्त दुनिया को शान्ति का सन्देश देते हैं। इस धर्म का एक अलग और विशिष्ट इतिहास रहा है। सत्य और अहिंसा इसके मुख्य सिद्धान्त है तथा इसके अनुसार पेड पौधों में भी जीव का वास माना गया है। मानव का कल्याण इसके केन्द्र में है। यहां पर आत्मा ही सर्वाेच्च है और कहा गया है कि आत्मा के अनुसार ही व्यक्ति अपने सुख दुख को भोगता है। यह अत्यन्त सहिष्णु धर्म है जो आज के समय विश्व शान्ति के लिए बहुत आवश्यक है।
सेन्ट्रम होटल, लखनऊ समाज में सेवा, शिक्षा एवं आर्थिक सुदृढ़ता को समर्पित जैन समाज की अंतरराष्ट्रीय संस्था “जैन इंटरनेशनल ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन”(जीतो) के लखनऊ चैप्टर के शपथ ग्रहण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित होकर, जैन समाज द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में किए गए उत्कृष्ट सामाजिक कार्यों पर प्रकाश डालते हुए डा शर्मा ने कहा कि जैन धर्म के बारे में स्कन्दपुराण एवं मनुस्मृति में वर्णन मिलता है। यह दुनिया के प्राचीनतम धर्मो में से एक है। इसके पहले तीर्थंकर को आदिनाथ अथवा ऋषभदेव के नाम से जाना जाता है। उनके बाद 24 तीर्थंकर हुए थे तथा तीर्थंकर पाश्र्वनाथ ने सत्य और अहिंसा की शिक्षा दी थी। अंतिम तीर्थंकर महावीर स्वामी ने जैन धर्म को नई दिशा और ऊचाई दी । उनके बारे में नई नई कथाएं भी हैं।
सांसद ने कहा कि इस धर्म की विशेषताओं को देखते हुए उन्होंने अपने महापौर के कार्यकाल के दौरान महावीर चौराहे एवं महावीर पार्क का निर्माण कराया था। सभी धर्म मानव कल्याण की भावना लिए हुए हैं। व्यक्ति रोते हुए पैदा होता है और जीवन में तमाम अपेक्षाए लिए हुए रोते रोते ही विदा कर दिया जाता है। पैदा होने से लेकर विदा होने के बीच के समय को आनन्दमय बनाने की शिक्षा यहीं से मिलती है। यहां पर कण कण स्वतंत्र है। खान पान आचार विचार को लेकर अपने सिद्धान्त हैं। जीवन में आत्म संतुष्टि का भाव ही सबसे श्रेष्ठ भाव है। जो वर्तमान से संतुष्ट है वहीं श्रेष्ठ भाव में है तथा यही भविष्य को उज्जवल बनाता है।
उन्होंने कहा कि अलग अलग काल खंड में जैन धर्म को मानने वाले मौजूद रहे हैं। इस धर्म के अनुयायियों का जीवन पूरी तरह से संस्कारयुक्त होता है। धर्म बच्चों में संस्कारों का समावेश करने के साथ ही पालन पोषण की विकृतियों को दूर करता है। बच्चें को अगर पेड पौधों को भी जीव मानते हुए उन्हें नष्ट नहीं करने की शिक्षा दी जाएगी तो फिर ऐसे समाज का निर्माण हो सकेगा जो हिंसा से मुक्त रहेगा। कोई किसी को नुकसान नहीं पहुचाएगा।
धर्म जीवन को बेहतर बनाने की शिक्षा प्रदान करके मनुष्य को श्रेष्ठ बनाता है। जीवन में यश और धन क्षणिक है पर संस्कार बैंक बैलेंस की तरह हैं। जो वर्तमान में खुश होता है उसका भविष्य भी अच्छा होता है। उदाहरण देते हुए कहा कि बच्चें को अगर बचपन से ही अच्छे संस्कार दिए जाएंगे तभी वे अपने माता पिता और देश के प्रति प्रेम का भाव रखेंगे। बच्चों को दादा दादी के साथ रखना चाहिए जिससे उनकी तार्किक शक्ति बढती है।
इस अवसर पर माo उप मुख्यमंत्री, श्री ब्रजेश पाठक जी, सदस्य विधान परिषद, श्री मुकेश शर्मा जी, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विभाग कार्यवाह श्री प्रशांत भाटिया जी, जीतो ऐपेक्स के अध्यक्ष श्री विजय भंडारी जी, उपाध्यक्ष श्री कमलेश सोजतिया जी, श्री रमेश हरन जी, महिला प्रकोष्ठ अध्यक्ष श्रीमती शीतल डुग्गर जी, आदि उपस्थित रहे।
होटल मोमेंट्स, कृष्णा नगर लखनऊ में आर्यकुल ग्रुप ऑफ कॉलेजेस द्वारा आयोजित ‘आर्य–इति 2025’ में मुख्य अतिथि के रूप में सहभागिता कर उपस्थित विद्यार्थियों/अभिभावकों एवं शिक्षकों को संबोधित करते हुए एक अन्य कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि समय के साथ शिक्षा के तरीकों में बदलाव आया है। स्मार्ट क्लास के साथ ही नए नए कोर्स भी आ रहे हैं। पहले के समय में बच्चों को अपने भविष्य के बारे में अधिक जानकारी नहीं होती थी पर आज बच्चें छोटी उम्र में ही अपने भविष्य के प्रति जागरूक नजर आते हैं। समय के बदलाव के साथ ही प्राथमिकताओं में भी परिवर्तन हुआ है। अच्छे विद्यार्थी में पठन पाठन के प्रति समर्पण होता है। जीवन में लक्ष्य को निर्धारित करने वाला ही सफल होता है। अगर लक्ष्य ही तय नहीं है तो सफलता नहीं मिल सकती है।
इस अवसर पर कॉलेज के प्रबंध निदेशक डॉ. सशक्त सिंह, वरिष्ठ पत्रकार डॉ. अजय शुक्ला जी उपस्थित रहे।