चुनाव आयोग ! एसआईआर उत्पीड़न रोकने,समयसीमा वृद्वि पर तत्काल ध्यान दे : इंजी.हरिकिशोर तिवारी,अध्यक्ष राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उ.प्र.
मुख्य निर्वाचन अधिकारी को राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने बताई समस्याएं

लखनऊ। प्रदेश में चल रहे एसआईआर (विशेष गहन पुनरीक्षण) अभियान में लगे राजकीय कर्मचारियों,शिक्षकों के साथ हो रहे अव्यावहारिक बर्ताव से राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उ.प्र. के प्रान्तीय पदाधिकारियों द्वारा गहरी निराशा एवं विरोध व्यक्त किया गया है। भारत निर्वाचन आयोग तथा उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से मांग करते हुए इस अप्रयोगिक प्रक्रिया पर अविलम्ब रोक लगाने हेतु आवश्यक कदम उठाने हेतु अनुरोध किया है। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद की उच्चाधिकार समिति में अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी,कार्यकारी अध्यक्ष इं.एन.डी.द्विवेदी,वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ.नरेश कुमार,महामंत्री शिव वरन सिंह यादव,अपर महामंत्री प्रेम कुमार सिंह ने प्रदेश भर से कार्मिकों और शिक्षकों से मिल रही शिकायत और समस्याओं के आधार पर मुख्य निर्वाचन अधिकारी उत्तर प्रदेश को समस्या, सुझाव और खासतौर से समय सीमा वृद्धि के लिए पत्र लिखा है।
पत्र की जानकारी देते हुए महामंत्री शिव वरन सिंह यादव ने बताया कि एसआईआर के कार्य में लगे प्रदेश भर के तृतीय श्रेणी के कार्मिकों,शक्षकों पर इतना प्रशासनिक दबाव बनाया जा रहा है,कि वे अत्यधिक कार्य के दबाव के कारण खुद की जीवन लीला तक समाप्त कर रहे हैं। प्रशासनिक ज्यादती के उदाहरण प्रदेश भर से आ रहे हैं,जिनमें कुछ ही प्रकाश में हैं,और शेष वही पर प्रशासनिक दबाव के कारण दबा दिये जा रहे हैं। परिषद का स्पष्ट मानना है,कि कर्मचारियों शिक्षकों की नियुक्ति नियमानुसार उन्हें विभाग द्वारा सौंपे गए विभागीय दायित्वोंजन उपयोगी सुविधाओं,व्यवस्थाओं के संचालन के लिए किया जाता है,जिन्हें वे बड़ी ही मेहनत एवं लगन के साथ निभाते हैं, जिसके कारण ही सरकार की योजनाएं निचले स्तर तक जाती है और उत्तम प्रदेश बनता है। उन्हें देश व प्रदेश में होने वाले विशेष अभियानों,कार्यक्रमों में अपनी सेवाएं देने के लिए भी निर्देश मिलते रहते हैं यथा जनगणना, पशुगणना,कोरोना महामारी या अन्य किसी विपदा या सार्वजनिक हितार्थ कार्यों के निष्पादन के लिए,किन्तु निर्वाचन एक ऐसी प्रक्रिया है,जिसके लिए एक पूर्ण कालिक स्टाफ की आवश्यकता होती है,लगभग प्रतिवर्ष लोकसभा से लेकर ग्राम सभा तक निर्वाचन की प्रक्रिया चलती रहती है । और इसके लिए मतदाता सूची में पात्रों की सूची में बदलाव आदि के लिए अभियानों का संचालन चलता रहता है । कर्मचारियों की निर्वाचन आदि अतिरिक्त कार्यों के लिए नियुक्त करते समय यह आदेश दिया जाता है,कि वह अपने विभागीय कार्यों,दायित्वों के साथ निर्वाचन आदि का कार्य देखेंगे,किन्तु अब देखा जा रहा है कि प्रशासन के अधिकारी दिन-रात विशेष व्यवस्था करके गहन देख-रेख (त्रिस्तरीय) में बीएलओ,सुपरवाइजर,प्रभारी आदि नाम से नियुक्त कार्मिकों का मानसिक उत्पीड़न कर रहे है। जब कर्मचारियों पर दबाव की मात्रा इतनी हो जाए, कि वह या तो नौकरी ही छोड़ने पर मजबूर हो जाय या अपनी जीवन लीला समाप्त कर लें तो फिर इस पर पुनर्विचार आवश्यक हो जाता है। परिषद ने वर्तमान में चल रहे एसआईआर पर सुझाव प्रेषित किए जिससे एसआईआर कार्य कराये जाने में सुगमता होगी। इसके लिए एसआईआर के अन्तर्गत फॉर्म भरकर ऑनलाइन फीडिंग हेतु निर्धारित तिथि को 04 दिसम्बर 2025 को बढ़ाया जाए। प्रत्येक बूथ में नियुक्त तैनात बीएलओ की सहायता हेतु कम से कम एक बीएलआ,तकनीकी सहायक,डाटा इन्ट्री ऑपरेटर तथा डाटा फीडिंग हेतु अन्य पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए। प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा किये जा रहे अव्यावहारिक दबाव पर नियंत्रण किया जाए। प्रदेश में एसआईआर के दौरान काल कलवित हुए कार्मिकों को तत्काल एक करोड़ की अतिरिक्त आर्थिक सहायता एवं आश्रित को सरकारी नौकरी की व्यवस्था दी जाए। बीएलओ एवं पर्यवेक्षक की वर्तमान व्यवस्था पर पुनर्विचार किया जाए। प्रशासनिक दबाव इतना ना बनाया जाए कि कार्मिक आत्महत्या करने पर मजबूर हो।



