राजनीतिसम्पादकीय

पुनः पराजित प्रतिपक्ष

राकेश कुमार मिश्र

भारत के उप-राष्ट्रपति के पद पर हुए चुनाव में एनडीए के प्रत्याशी श्री सी पी राधाकृष्णन जी ने 452 मत प्राप्त कर विपक्ष के संयुक्त प्रत्याशी श्री सुदर्शन रेड्डी को 152 मतों से पराजित किया। श्री सुदर्शन रेड्डी को 300 मत मिले। मतदान के तुरन्त पश्चात कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने कहा कि विपक्ष के सभी 315 सांसदों ने मतदान किया है और हमारा स्ट्राइक रेट 100 प्रतिशत रहा है। हम पूर्ण रूप से आश्वस्त हैं कि विपक्ष के प्रत्याशी एनडीए के प्रत्याशी को कड़ी टक्कर देंगे। उप-राष्ट्रपति के चुनाव के लिए संसद के दोनों सदनों के 781सांसदों को मतदान करना था और विजय प्राप्त करने के लिए बहुमत का जादुई आंकड़ा 392 मत था। मतदान करने वाले सांसदों की संख्या 767 रही। बीजू जनता दल, अकाली दल ओर भारतीय राष्ट्र समिति ने पहले ही मतदान से अनुपस्थित रहने एवं मतदान न करने की घोषणा कर दी थी। मतदान में पड़े 767 मतों में 15 मत अवैध पाए गए। इस प्रकार 752 वैध पाए गए मतों में से श्री सी पी राधाकृष्णन जी 452 मत पाए और विजयी घोषित किए गए। इस भारी मतों के अन्तर से प्राप्त जीत ने जहां सत्तारूढ़ एनडीए के घटक दलों को जश्न मनाने का मौका दिया, वहीं विपक्ष को मायूस करने के साथ साथ उसे चिंतन और आत्ममंथन के लिए मजबूर करने का काम किया। यह अलग बात है कि विपक्षी दल मुख्यतः कांग्रेस के नेता इस हार में भी जीत तलाश रहे हैं और तरह तरह के तर्क देकर खुद ही हंसी के पात्र बन रहे हैं। इस चुनाव में एनडीए जहाँ अपने को एकजुट रखने में सफल रहा, वहीं विपक्ष अपने सांसदों को एकजुट रखने में असफल साबित हुआ। यदि जयराम रमेश के हो आंकड़े मान लिए जाएं तब भी कम से कम 15 विपक्ष के सांसदों ने एनडीए प्रत्याशी के पक्ष में मतदान किया। सत्य यह है कि 25 से 30 के बीच विपक्षी सांसदों ने एनडीए के प्रत्याशी के पक्ष में मतदान किया। एनडीए के पास 425 सांसदों के समर्थन का आंकड़ा मतदान के पूर्व था जिसमें उनके सभी सांसदों के साथ वाई एस आर पी जेसे कुछ एनडीए से असम्बद्ध दलों के सांसद भी शामिल थे। एनडीए प्रत्याशी श्री सी पी राधाकृष्णन जी को मिले 452 मतों से स्पष्ट है कि उन्हें 27 मत अपने घोषित समर्थकों के अतिरिक्त मिले जो विपक्षी दलों या कुछ अन्य असम्बद्ध सांसदों के ही हो सकते हैं।
अब यह स्पष्ट हो गया है कि एनडीए के प्रत्याशी को अपने गठबंधन के बाहर से भी समर्थन मिला जिसके लिए भाजपा की तरफ से इस चुनाव के संयोजक श्री राजनाथ सिंह जी ने सभी दलों से समर्थन जुटाने के लिए भरपूर प्रयास एवं सम्पर्क बनाने का काम किया। उप-राष्ट्रपति पद के लिए हुए इस चुनाव में एनडीए के प्रत्याशी की विजय एवं बाहरी दलों से भी मिले समर्थन के गहरे निहितार्थ हैं और विपक्षी नेताओं के दुष्प्रचार का जवाब भी सन्निहित है। यह तो अभी नहीं कहा जा सकता है कि विपक्षी दल के किन घटक दलों के सांसदों ने एनडीए प्रत्याशी को वोट दिया परन्तु यह तो साफ है कि विपक्षी गठबंधन में आन्तरिक मतभेद हैं जो जब तब सामने आ ही जाते हैं। सूत्रों के अनुसार विपक्ष के जिन सांसदों ने क्रास वोटिंग करके एनडीए के पक्ष में मतदान किया, उसमें शिवसेना उद्धव ठाकरे के साथ साथ कांग्रेस के भी कई सांसद शामिल हो सकते हैं जो वर्तमान नेतृत्व विशेषतः राहुल गांधी के मोदी सरकार के प्रति नकारात्मक एवं असम्मानजनक रवैये और दुष्प्रचार की राजनीति से प्रसन्न नहीं हैं। श्री राधाकृष्णन जी को जब एनडीए ने उप राष्ट्रपति पद के लिए प्रत्याशी घोषित किया तो राहुल गांधी ने खुलकर कहा कि हम संघ जैसे राष्ट्र विरोधी एवं साम्प्रदायिक नफरत फैलाने वाले संगठन से जुड़े रहे व्यक्ति का पुरजोर विरोध करेंगे। संघ की विचारधारा से असहमति के बावजूद अनेक कांग्रेस के सांसद एवं अन्य विपक्षी भी संघ के प्रति ऐसे नजरिए से सहमति नहीं रखते। आज हुए चुनाव में ऐसे ही सांसदों ने संघ को समर्पित एवं संघ से लम्बे समय से जुड़े रहे प्रत्याशी के पक्ष में मत देकर राहुल गांधी और उनकी सोच को नकारने का ही काम किया है।
श्री सुदर्शन रेड्डी जी को प्रत्याशी घोषित करने के उपरान्त राहुल गांधी ने यह भी कहा कि यह चुनाव विचारधारा की लड़ाई का है। हम संघ और भाजपा की संविधान विरोधी, साम्प्रदायिक एवं तानाशाही की विचारधारा से लड़ेंगे और संविधान बचाने तथा देश को एकजुट रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मेरा विचार है कि राहुल गांधी के साथ साथ सम्पूर्ण विपक्ष के संघ और भाजपा के प्रति ऐसे दुष्प्रचार की हवा उनके ही गठबंधन के सांसदों ने श्री सी पी राधाकृष्णन जी के लिए वोट डालकर और भारी अन्तर से उन्हें जीत दिलाकर निकाल दी। यह अब किसी से छिपी बात नहीं है कि आज कांग्रेस राहुल गांधी के नेतृत्व में अपनी मूल विचारधारा से कितनी दूर हो चुकी है और किस सीमा तक वामपंथी विचारधारा के शिकंजे में है जहां राष्ट्रीयता,देशभक्ति और भारतीय संस्कृति एवं विरासत के लिए कोई भी स्थान नहीं है। श्री सी पी राधाकृष्णन जी की विजय एक प्रकार से राष्ट्रवादियों और भारत की संस्कृति एवं विराट विरासत के लिए सम्मान का भाव रखने वालों की जीत है।यह जीत वामपंथी विचारों में यकीन रखने वालों, छदम धर्मनिरपेक्षी और भारतीय संस्कृति, सभ्यता एवं विरासत से घृणा करने वाले दलों की हार है। श्री सी पी राधाकृष्णन जी तमिलनाडु से आते हैं और भाजपा की तमिलनाडु राज्य इकाई के अध्यक्ष पद पर भी काम कर चुके हैं। वे अनेक राज्यों के राज्यपाल का पद भी सुशोभित कर चुके हैं और पूरी ईमानदारी के साथ एक समर्पित रूप से काम करने वाले व्यक्ति के तौर पर जाने जाते हैं। एक प्रखर राष्ट्रवादी एवं हिन्दुत्व की विचारधारा के लिए समर्पित व्यक्तित्व के धनी हैं जो विवादों से परे कार्य करने के लिए जाने जाते हैं। उनकी इन्हीं विशेषताओं ने उन्हें इस उच्च संवैधानिक पद पर पहुँचाया है। हम सभी यह आशा करते हैं कि वह पूर्ण समर्पण भाव से अपने संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन कर सकने में सक्षम साबित होंगे। प्रधानमन्त्री सहित अन्य अनेक पक्ष विपक्ष के नेताओं ने उन्हें बधाई देते हुए उनके एक बेहतरीन उप-राष्ट्रपति साबित होने की उम्मीद जताई है।मैं भी उन्हें भारत के उप-राष्ट्रपति पद पर चयनित होने के लिए बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूँ।

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