राजनीतिसम्पादकीय

संकल्प से सिद्धि की ओर अग्रसर माओवाद का समापन

मृत्युंजय दीक्षित

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में गृहमंत्री अमित शाह ने देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बने माओवाद को मार्च 2026 तक समाप्त करने का जो संकल्प लिया है वह अब सिद्धि की ओर अग्रसर है। देश का एक बहुत बड़ा भू भाग जो विकास की मुख्यधारा से अलग था अब शेष भारत के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने को तत्पर है। माओवाद का अंत गृहंमत्री अमित शाह के संकल्प व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास मन्त्र से ही संभव हो सका है।
आज छत्तीसगढ़ के नक्सवलादी आतंकवाद के लिए कुख्यात बस्तर में तिरंगा फहरा रहा है और नक्सलवादियों के गढ़ में गृहमंत्री अमित शाह की जनसभाएं हो रही हैं। गृहमंत्री नक्सलवादियों को स्पष्ट संदेश देते हैं कि, “माओवादियों आपके पास अब दो ही विकल्प बचे हैं या तो समर्पण कर दें या फिर एनकाउंटर के लिए तैयार रहें”। इस सख्ती का ही असर है कि 17 अक्टूबर 2025 को छत्तीसगढ़ में एक साथ 210 माओवादियों ने समर्पण किया है ।
उधर महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के समक्ष छह करोड़ रुपए के इनामी माओवादी पोलित ब्यूरो सदस्य मल्लेजुला वेणुगोपाल राव उर्फ भूपति उर्फ सोनू उर्फ अभय ने 60 साथियों सहित बंदूक छोड़कर विकास कि राह थाम ली है। इन माओेवादियों ने 54 हथियारों के साथ आत्मसमर्पण किया है जिनमें सात एके 47 और नौ इंसास राइफलें है। भूपति माओवादी संगठन में सबसे प्रभावशाली रणनीतिकारों में माना जाता था और उसने लंबे समय तक महाराष्ट्र -छत्तीसगढ़ सीमा पर अभियानों का नेतृत्व किया। भूपति वही खतरनाक माओवादी आतंकवादी है जिसने छत्तीसगढ़ में सीआारपीएफ के 76 जवानों का नरसंहार किया था।
महाराष्ट्र का गढ़चिरौली जिला दशकों से माओवादी गतिविधियों का केंद्र रहा है। इस क्षेत्र के शीर्ष माओवादी का समर्पण शेष बचे हुए नक्सलियों खासकर निचले स्तर के कैडर को सीधा संदेश दे रहा है कि अब जब उनका सबसे बड़ा और अनुभवी नेता हथियर डाल रहा है तो उनके पास भागने या छिपने का कोई रास्ता नहीं बचा है। इससे वे भी समर्पण करने के लिए मन बनायेंगे । यह समर्पण छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तेलंगाना जैसे राज्यों के लिए शांति का बड़ा संकेत है। भूपति व उसके साथियों के समर्पण करने से माओवादियों की सबसे मजबूत दीवार ढह गई है।
जनवरी 2023 में गृहमंत्री अमित शाह ने माओवाद के खिलाफ ऑपरेशन को हरी झंडी दी, उसके बाद से अब तक सुरक्षाबलों ने 312 माओवादियों को मार गिराया है। मारे गए माओवादियों में में सीपीआई माओवादी महासचिव वासव राजू समेत पोलित ब्यूरो और केंद्रीय समिति के आठ सदस्य भी शामिल हैं। 21 जनवरी 2024 से लेकर अब तक माओवाद के खिलाफ अनेक ऑपरेशन सफलतापूर्वक चलाए जा चुके हैं, जिनमें 836 माओवादी गिरफ्तार किये गए हैं और 1639 आत्मसमपर्ण कर चुके हैं। आत्मसमर्पण करने वालों में पोलित ब्यूरो और एक केंद्रीय समिति सदस्य शामिल है।
वर्ष 2010 में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय मनमोहन सिंह ने माओवाद को भारत की सबसे बड़ी चुनौती बताया था किंतु उस समय राजनैतिक कारणों से माओवाद के पूर्ण सफाए का कोई ब्लूप्रिंट नहीं बन पाया था। मनमोहन सरकार के कार्यकाल में माओवादी बहुत बड़ी चुनौती थे। यह लोग नेपाल के पशुपतिनाथ से आंघ्र प्रदेश के तिरुपति तक लाल कारिडोर बनाने का सपना देख रहे थे । यह लोग भारत, भारत के संविधान और भारत कि सनातन संस्कृति से बैर रखते हैं। इनको सशक्त राष्ट्र नहीं चाहिए।

वर्ष 2013 में विभिन्न राज्यों के 126 जिलों के माओवादी हिंसा से ग्रस्त होने की रिपोर्ट केंद्र को भेजी गई थी। वर्ष 2014 में मोदी सरकार आने के बाद से मार्च 2025 तक यह संख्या 126 से घटकर केवल 18 जिलों तक सीमित रह गई है। वर्तमान में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 11 रह गई है। इनमें छत्तीसगढ़ के सात जिले, झारखंड का एक जिला पश्चिम सिंहभूम, मध्यप्रदेश का एक जिला बालाघाट, महाराष्ट्र का एक जिला गढ़ चिरौली और ओडिशा का एक जिला कंधमाल शामिल है। इनमें भी अब छत्तीसगढ़ के तीन जिले बीजापुर, नाराणपुर और सुकमा ही अति माओवादी प्रभावित बचे हैं ।
वर्ष 2014 के पूर्व माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में 15 अगस्त और 26 जनवरी जैसे राष्ट्रीय पर्वों पर तिरंगा फहराना अपराध माना जाता था, गरीबों के लिए सरकारी सहायता नहीं पहुच पाती थी और दूर दराज के गांवो से किसी भी माध्यम से संपर्क नहीं हो पाता था।
अब समय बदल चुका है, छत्तीसगढ़ के माओवाद से मुक्त हुए क्षेत्रों में विकास की नई गंगा बह रही है। बस्तर जैसे कुख्यात जिले मे तिरंगा शान से फहरा रहा है। युवा बड़ी संख्या में खेलो इंडिया जैसे कार्यक्रमों में भागीदारी कर रहे है। माओवादियों से मुक्त हुए क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का तीव्र विकास किया जा रहा है। कल्याणकारी योजनाएं लागू की जा रही हैं जिससे वहां की जनता दोबारा माओवादियों के दुष्प्रचार में न फंसे। माओवाद के विरुद्ध अभियान के अंतर्गत उनकी फंडिग को रोकने का काम भी किया जा है।
जैसे – जैसे माओवाद के सफाए का अभियान आगे बढ़ रहा है वैसे वैसे उसके समर्थक राजनैतिक तत्वों के पेट मे दर्द भी उठ रहा है। माओवाद के समर्थन से फल फूल रहे वामपंथी दलो ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर माओवादियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान को बंद करने की अपील तक कर दी। तेलंगना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने तो एक कार्यक्रम में कह दिया कि, “माओवाद एक विचारधारा है जो कभी समाप्त नहीं हो सकती। सोशल मीडिया पर भी माओवादी विचारधारा के समर्थकभी यही बात कह रहे हैं कि यह विचारधारा पूरी तरह समाप्त नहीं हो सकती।
माओवाद एक जहरीली, खतरनाक और नरसंहार का समर्थन करने वाली विचारधारा है जिसका अंत करने के लिए सरकार ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। सुरक्षा बल आक्रामक भी हैं और समर्पण करने वालों का स्वागत भी कर रहे हैं। पुनर्वास और पुनर्जीवन का प्रयास कर रही है। विकास को हर द्वार तक ले जा रही है जिससे आम व्यक्ति नक्सल के लाल आतंक के भय को भूल कर आगे बढ़ सके।

Share this post to -

Related Articles

Back to top button