तनाव का प्रमुख कारण परीक्षा और प्रतिदिन कक्षाये हैं
आगरा। बढती प्रतिस्पर्धा के चलते चिकित्सा छात्रों पर एक लगतार दबाव बना रहता है जिसके चलते छात्र परीक्षा मे अपना सत प्रतिशत नही दे पाते। कई बार छात्र आत्महत्या के लिए भी मजबूर हो जाते है इस बात को ध्यान मे रखते हुए सरोजनी नायडू मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉक्टर प्रशांत गुप्ता के मार्गदर्शन में कम्युनिटी मेडिसिन विभाग मे कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर हिमालय सिंह के गाइडेंस में मे स्नातक (MBBS) कर रहे छात्र कुलदीप कुमार ( वतर्मान में इंर्टन डॉक्टर) ने एक शोध किया।
इस शोध में सभी स्नातक ( MBBS) कर रहे छात्र जिन्होंने कम से कम एक वर्ष तक मेडिकल कॉलेज मे पढ़ाई की हो और आगे के सभी प्रोफेशनल वर्षों के छात्रों को अपनी शोध के बारे जानकारी देते हुए आमंत्रित किया, जिसमे से उन्होंने पहले 120 लोगों को शोध के लिये नामांकित किया, जिसमे से 60 छात्रों को रैनडॉमाएजेशन के द्वारा अलग कर उन्हें हार्टफ़ुलनेस एप के माध्यम से ध्यान ( मेडिटेशन) करने के लिये पहले तीन दिन प्रशिक्षण दिया उसके बाद प्रतिदिन दिन मे एक बार व्हाट्सएप समूह बना के उनको ध्यान करने के लिये सूचना दी ऐसा लगतार एक महीने करने के बाद छात्रों को स्वयं ध्यान करने के लिये बताया गया।
इस शोध मे कुलदीप कुमार ने परसीवड स्ट्रेस स्केल (पी एस एस) और जनरल वेल बीइंग स्केल (ज़ी डब्ल्यू बी एस) का प्रयोग किया।
इस शोध से यह पता चला की शोध के प्रारंभ मे 120 मे से 82.50% छात्र माध्यम स्तर के तनाव और 4.16% छात्र निम्न स्तर के तनाव मे थे। जिन 60 छात्रों ने ध्यान किया उनका परसीवड स्ट्रेस स्केल शुरुआत मे 21 .32±3.61 था जो की बाद मे घट कर 19.32±3.61 हो गया जबकि दूसरी तरफ 60 छात्र जिन्होंने ध्यान नही किया उनके परसीवड स्ट्रेस स्केल मे कोई विशेष बदलाव नही मिला | शोध मे यह भी पता चला की तनाव का प्रमुख कारण परीक्षा और प्रतिदिन कक्षाये हैं और छात्र तनाव को कम करने के लिये ज्यदातर (76.66%) संगीत सुनाना एवं सोशल मीडिया (60.83%) पर जुड़ना पसंद करते हैं।
इस शोध से यह पता चला दैनिक ध्यान( मेडिटेशन) छात्रों के मानसिक तनाव को कम करने मे मददगार है।
डॉ प्रीति भारद्वाज