उत्तर प्रदेशलखनऊ

कर्तव्य पथ पर महाकुंभ

डॉ दिलीप अग्निहोत्री

गणतंत्र दिवस पर उत्तर प्रदेश की ओर से निकाली गई झांकी “कर्तव्य पथ पर महाकुंभ” लोगों की पहली पसंद रही। झांकी को पीपुल्स च्वाइस अवार्ड कटेगरी में पहला स्थान मिला है। इस कैटेगरी में चालीस प्रतिशत वोट के साथ उत्तर प्रदेश अव्वल रहा। वस्तुतः यह झांकी भारतीय संस्कृति के अनुरूप थी। गणतंत्र दिवस के मुख्य समारोह में इसके प्रदर्शन से मूल संविधान का प्रसंग भी प्रासंगिक हो गया। मूल संविधान में अनेक चित्र थे। इनका निर्माण नन्दलाल बोस ने किया था। यह हमारे गौरवशाली अतीत की झलक देने वाले थे। गणतंत्र दिवस पर इनकी भी चर्चा होनी चाहिए। तीन सौ आठ सदस्यों ने 24 जनवरी 1950 को संविधान की दो हस्तलिखित कॉपियों पर हस्ताक्षर किए थे।
मूल संविधान में प्रत्येक अध्याय के प्रारंभ में दिए गए चित्रों की जानकारी भी नई पीढ़ी को होनी चाहिए। प्रारंभ में अशोक की लाट का चित्र है। प्रस्तावना को सुनहरे बार्डर से घेरा गया है, जिसमें मोहनजोदड़ो के घोड़ा, शेर, हाथी और बैल के चित्र बने हैं। भारतीय संस्कृति के प्रतीक कमल का भी चित्र है। अगले भाग में मोहन जोदड़ो की सील है। इसके बाद वैदिक काल की झलक है। इसमें ऋषि आश्रम में बैठे गुरु-शिष्य और यज्ञशाला है। मूल अधिकार वाले भाग के प्रारंभ में त्रेतायुग है। इसमें भगवान राम रावण को हराकर सीताजी को लंका से वापस ले कर आ रहे हैं। राम धनुष-बाण लेकर आगे बैठे हुए हैं और उनके पीछे लक्ष्मण और सीता हैं। नीति निदेशक सिद्धांतों के प्रारंभ में भगवान श्रीकृष्ण का गीता के उपदेश वाला चित्र है। भारतीय संघ के पांचवें भाग में गौतम बुद्ध की जीवन-यात्रा से जुड़ा एक दृश्य है।
संघ और उनका राज्य क्षेत्र एक में भगवान महावीर को समाधि की मुद्रा में दिखाया गया है। आठवें भाग में गुप्तकाल से जुड़ी एक कलाकृति है। दसवें भाग में गुप्तकालीन नालंदा विश्वविद्यालय की मोहर दिखाई गई है। ग्यारहवें भागमें मध्यकालीन इतिहास की झलक है। उड़ीसा की मूर्तिकला को दिखाते हुए एक चित्र को इस भाग में जगह दी गई है और बारहवें भाग में नटराज की मूर्ति बनाई गई है। तेरहवें भाग में महाबलिपुरम मंदिर है। शेषनाग के साथ अन्य देवी देवताओं के चित्र हैं।
भागीरथी तपस्या और गंगा अवतरण को भी इसी चित्र में दर्शाया गया है। चौदहवें भाग में मुगल स्थापत्य कला है। बादशाह अकबर और उनके दरबारी बैठे हुए हैं। पीछे चंवर डुलाती हुई महिलाएं हैं। पन्द्रहवें भाग में गुरु गोविंद सिंह और शिवाजी को दिखाया गया है।
सोलहवाँ भाग से ब्रिटिश काल शुरू होता है। टीपू सुल्तान और महारानी लक्ष्मीबाई को ब्रिटिश सरकार से लड़ते हुए दिखाया गया है। सत्रहवें भाग में गांधी जी की दांडी यात्रा को दिखाया गया है। अगले भाग में महात्मा गांधी की नोआखली यात्रा से जुड़ा चित्र है। गांधी जी के साथ दीनबंधु एंड्रयूज भी हैं। एक हिंदू महिला गांधी जी को तिलक लगा रही है और कुछ मुस्लिम पुरुष हाथ जोड़कर खड़े हैं। उन्नीसवें भाग में नेताजी सुभाष चंद्र बोस आजाद हिंद फौज का सैल्यूट ले रहे हैं। बीसवें भाग में हिमालय के उत्तंग शिखरों को दिखाया गया है। इक्कीसवें भाग में रेगिस्तान के बीच ऊटों काफिला है। बाइसवें भाग में समुद्र है, विशालकाय पानी का जहाज है।

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