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एसएन मेडिकल कॉलेज में रीजनल क्षय रोग कार्यक्रम प्रबंधन इकाई स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ आयोजन, 150 विशेषज्ञों ने टीबी के उपचार पर की चर्चा

आगरा। जनपद में राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के अंतर्गत 100 दिवसीय सघन टीबी जागरूकता अभियान को गति देने के उद्देश्य से शनिवार को सरोजनी नायडू मेडिकल कॉलेज आगरा के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग एवं एनटीईपी कोर कमेटी के द्वारा सर्जरी भवन के एमआरयू हॉल में रीजनल क्षय रोग कार्यक्रम प्रबंधन इकाई स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ. सूर्यकांत प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष रेस्पिरेटरी मेडिसिन केजीएमयू लखनऊ, राष्ट्रीय टास्क फ़ोर्स के उपाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. राजेंद्र प्रसाद, सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. प्रशांत गुप्ता, रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष तथा स्टेट टास्क फ़ोर्स फॉर टीबी एलीमिनेशन, उत्तर प्रदेश के चेयरमैन प्रोफेसर गजेंद्र विक्रम सिंह द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में चार कमिश्नरी आगरा, अलीगढ़, एटा, झांसी के तहत 14 मेडिकल कॉलेज के 150 प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया ।
प्रधानाचार्य डॉ प्रशांत गुप्ता ने कहा कि 100 दिवसीय टीबी उन्मूलन अभियान भारत की टीबी मुक्त राष्ट्र की ओर यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष एवं ज़ोनल टास्क फ़ोर्स ( नार्थ जोन) डॉ. सूर्यकांत त्ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत नई रिवाइज गाइडलाइन के बारे में अवगत कराते हुए जानकारी प्राप्त करना है। साथ ही उपस्थित प्रतिनिधियों को प्रशिक्षित करना है,जिससे कि वह अपने मेडिकल कॉलेज में जाकर गुणवत्ता पूर्वक प्रशिक्षण कर सकें। इसी दौरान टीबी मृत्यु दर को कैसे कम करें? इस पर चर्चा की गई।
श्वसन चिकित्सा विभाग, एराज़ मेडिकल कॉलेज, लखनऊ के प्रोफेसर डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा छाती के एक्स-रे में रेडियोलोजी से संबंधित जानकारी प्राप्त कराई गई।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रोफेसर गजेंद्र विक्रम सिंह ने अवगत कराया कि यह प्रदेश का पहला प्रशिक्षण कार्यक्रम है जिसमें आरटीपीएमयू आगरा के द्वारा इस कार्यक्रम में हमारे प्रदेश के ख्याति प्राप्त चेस्ट फिजिशियन, राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के विशेषज्ञों ने प्रतिभाग किया है। सभी प्रतिभागियों को क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत गतिविधियों और कार्यक्रम के उद्देश्य के बारे में जानकारी दी गई। नए आयामों को प्रोग्राम सहित अन्य एजेंसियों के द्वारा अडॉप्ट किया गया है, इस पर जानकारी प्राप्त कराई गई। कार्यक्रम की प्रोग्रेस और कमियों पर प्रकाश डाला गया।
टीबी डायग्नोज के लिए सप्तपदी अत्यंत आवश्यक हैं अतः हमें सात पर्दों के अनुसार ही टीबी डायग्नोज करनी चाहिए। अंत में नोटिफिकेशन के बाद पब्लिक हेल्थ एक्शन के द्वारा टीबी मरीजों को सरकार द्वारा दी जा रही योजनाओं का लाभ मिलता है। जैसे- निक्षय पोषण योजना, एचआईवी टेस्टिंग, उपचार, पेशेंट ट्रीटमेंट रेट आदि। उन्होंने बताया कि आज के कार्यक्रम में रेस्पिरेटरी मेडिसिन, पीडियाट्रिशियन, माइक्रोबायोलॉजिस्ट, कम्युनिटी मेडिसिन के प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया।
श्वसन चिकित्सा विभाग केजीएमयू, लखनऊ की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ ज्योति बाजपेई ने बिगड़ी हुई टीबी के बारे में जानकारी दी। एसजीपीजीआई लखनऊ के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की प्रोफेसर डॉ. रिचा मिश्रा ने लैब डायग्नोज टीबी के बारे में जानकारी दी। डॉ संतोष कुमार ने टीबी दवाओं से होने वाले दुष्प्रभाव एवं उनसे बचाव और उसके उपचार के बारे सहित अदर मैनेजमेंट पर जानकारी दी। असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.सचिन गुप्ता द्वारा ड्रग सेंसिटिव टीबी के बारे में विस्तार से जानकारी दी। साथ ही उन्होंने बताया कि ड्रग सेंसिटिव टीबी के मरीजों उपचार के बाद में उनका फॉलोअप करना भी जरूरी है।
डॉ. अनुराग श्रीवास्तव ने टीबी से बचाव और उपचार के बारे में जानकारी दी। कानपुर के डॉ सुधीर चौधरी ने टीबी की बीमारी में चेस्ट एक्स-रे के रोल के बारे में बताया।
कार्यक्रम के दौरान एसटीडीसी के निदेशक डॉ संजीव लवानियां, डॉ मधु नायक, डॉ अतिहर्ष अग्रवाल ,डॉ मधुरम्य शास्त्री ने भी टीबी बीमारी से संबंधित मुख्य विषयों पर प्रकाश डाला।

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